महेंद्रपाल प्रथम (885-910 ई.) :-
- इनकी माता का नाम‘चन्द्रा भट्टारिका देवी’ था।
- इनके दरबारी राजकवि‘राजशेखर’ ने इनको विद्धशालभंजिका ग्रन्थ में ‘निर्भय नरेंद्र’, ‘निर्भयराज’, ‘रघुकुल तिलक’ व ‘रघुकुल चूड़ामणि’ की उपाधियाँ दी।
- राजशेखरने ‘कर्पूरमंजरी’, ‘काव्यमीमांसा’, ‘विद्धशालभंजिका’, ‘बालभारत’, ‘प्रबंधकोष’, ‘बालरामायण’, ‘हरविलास’ और ‘भुवनकोष’ आदि ग्रन्थों की रचना की।
- बी.एन. पाठकने अपने ग्रन्थ ‘उत्तर भारत का राजनीतिक इतिहास’ में प्रतिहार शासक महेंद्रपाल प्रथम को ‘हिंदू भारत का अंतिम महान हिंदू सम्राट’ स्वीकर करते हैं।
भोज द्वितीय (910-913 ई.) :-
- भोज द्वितीय का उल्लेख‘एशियाटिक सोसायटी ताम्रपत्र’ से हुआ है और ‘असनी अभिलेख’ में महीपाल प्रथम का उल्लेख मिलता है।
महिपाल प्रथम (914-943 ई.) :-
- राजशेखर ने इन्हें‘आर्यावर्त का महाराजाधिराज’, ‘रघुकुल
मुक्तामणि’ व ‘रघुवंश–मुकुटमणि’ की उपाधियाँ दी।
- राजशेखर का ग्रन्थ – ‘प्रचंडपाण्डव’में महिपाल की विजयों का वर्णन किया।
- 915 ई. में अरब यात्री‘अल मसूदी’ ने भारत की यात्रा की।
- ‘कहलाअभिलेख’ में ‘कलचूरि वंश’ का राजा भीमदेव महिपाल के अधीन गोरखपुर प्रदेश का शासक था।
- अरब यात्री‘अल मसूदी’ के अनुसार उत्तर-पश्चिम में पंजाब के ‘कुलूतों’ और ‘रनठों’ को पराजित किया था।
- ‘हड्डलअभिलेख’ से प्रकट होता है कि उसका सामंत ‘धरणिवराह’ उसकी अधीनता में सौराष्ट्र पर शासन पर कर रहा था।
- ‘रखेत्रअभिलेख’ से चंदेरी और ग्वालियर के विनायकपाल महिपाल की अधीनता स्वीकार करते थे।
राज्यपाल (990-1019 ई.) :-
- जब 1018 ई. में गजनी के सुल्तान महमूद गजनवी ने कन्नौज पर आक्रमण किया, तब राज्यपाल भागकर जंगलों में चला गया था।
- इनके कारण बुंदेलखंड के शासक‘विद्याधर’ ने राज्यपाल को कायर कहना प्रारंभ कर दिया।
- विद्याधर ने राज्यपाल पर आक्रमण किया। इस दौरान राज्यपाल वीरगति को प्राप्त हुआ।
त्रिलोचनपाल (1019-1027 ई.) :-
- ‘अलबरूनी’के अनुसार इनकी राजधानी ‘बारी’ थी, जो रामगंगा और सरयू के संगम के निकट थी।
- 1020 ई. में महमूद गजनवी ने कन्नौज पर आक्रमण किया और लूट-मार करके वापस गजनी चला गया।
यशपाल ( 1027-1036 ई.) :-
- इलाहाबाद जिले के कड़ा नामक स्थान पर 1036 ई. का लेख मिला है, जिसमें महाराजाधिराज यशपाल व उनके दान का वर्णन मिलता है।
- यह गुर्जर-प्रतिहारों काअंतिम शासक था।
- इनके बाद गुर्जर-प्रतिहारों ने सामंतों के रूप कुछ समय तक कन्नौज पर शासन किया। तत्पश्चात्‘गहड़वाल वंश’ ने भी कुछ समय तक (1994 ई.) कन्नौज पर शासन किया था।