राजस्थान की वनस्पति नोट्स




वनों के उत्पाद

  1. गोंद– चौहटन (बाड़मेर) में सर्वाधिक। कदम्ब वृक्ष से गोंद उतारा जाता है।
  2. कत्था– खदिर से प्राप्त होता है। इसे खैर भी कहते हैं। वानस्पतिक नाम– एकेसिया कैटेचू। क्षेत्र -: उदयपुर, चितौड़, बूंदी, झालावाड़
  • कत्थे से सम्बन्धित जाति – काथोड़ी (उदयपुर व झालावाड़) में।
  1. महुआ– आदिवासियों का कल्प वृक्ष।इसकी पत्तियों, फूल, फल व छाल से शराब बनाते हैं। यह अधिकतर बांसवाड़ा व डूंगरपुर में पाया जाता है। वानास्पतिक नाम -: मधुका लोंगोफोलिया।
  2. आँवल (द्रोण पुष्पी)– उदयपुर, पाली, राजसमंद में पाई जाती है। चमड़े की टैनिंग के लिए काम आती है। इसका निर्यात् किया जाता है।
  3. खस– इत्र व शरबत बनता है। खस का तेल जड़ों से प्राप्त करते हैं। यह अधिकतर भरतपुर, सवाई माधोपुर व करौली में पाया जाता है।
  4. बांस– बांसवाड़ा में,आदिवासियों का हरा सोनानाम से प्रसिद्ध है।
  5. सेवण– यह एक प्रकार कीपौष्टिक घासहै। पश्चिम राजस्थान की गायें इसी के कारण अधिक दूध देती है। वानस्पतिक नाम – लुसियुरूस सिडीकुस। यह लाठी सीरीज (जैसलमेर) में सर्वाधिक पायी जाती है।


  • इसका अन्य नामलीलोण है।
  • जैसलमेर से पोकरण व मोहनगढ़ तक पाकिस्तानी सीमा के सहारे-सहारे एक चौड़ी भूगर्भीय जलपट्टी (60 किमी.) है, जिसे लाठी सीरीज क्षेत्र कहा जाता है।
  1. अर्जुन वृक्ष– यह उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा में पाये जाते हैं।रेशम कीट पालन इस वृक्ष पर करते हैं।
  2. पंचकूटा– कैर, सांगरी, काचरी, कूम्मट के बीज व गूंदा का फल।
  3. पंचवटी– बड़, आंवला, पीपल, अशोक, बिल्व थे। पांचों वृक्ष वर्तमान में राज्य सरकार के द्वारा पंचवटी योजना के अन्तर्गत लगाये जा रहे हैं।
  4. राजस्थान में सेवण, लीलोण, मुरत (सेन्फ्रस) और अंजन घास प्रसिद्ध है।

मुरत (सेन्फ्रस) –इसकी जड़ों में माइकोराइजा नामक कवक पाया जाता है। जो फसल को रोगों (मोल्या) से बचाता है।

धामण (ट्राइडोक्स) – मधुमेह को दूर करने की बेहतरीन दवा।

कांग्रेस घास (गाजर घास) – अमेरिका से आयातित गेहूँ के साथ इस खरपतवार के बीज भारत में आये और यह जयपुर जिले में सर्वाधिक पायी जाती है। जो चर्म रोग और अस्थमा की वाहक है।


  • रेगिस्तान वनरोपण एवं भू-संरक्षण केन्द्रजोधपुर स्थित है।
  • ‘प्रत्येक बच्चा-एक पेड़’ का लक्ष्य स्कूली कार्यक्रम मेंछठी पंचवर्षीय योजना में चलाया गया।
  • राज्य में जीवों की रक्षार्थ पहला बलिदान 1604 में जोधपुर रियासत के ही रामसड़ी गांव मेंकरमा व गौरा नामक व्यक्तियों द्वारा दिया गया।
  • खेजड़ी (शमी वृक्ष) –इसे रेगिस्तान का कल्पवृक्ष कहते हैं इसकी फली को सांगरी कहते हैं जो सुखाकर सब्जी के रूप में प्रयुक्त होती है तथा इसकी पत्तियाँ लूम चारे के रूप में प्रयुक्त होती है।
  • वैज्ञानिक भाषा में –प्रोसोपिस सिनेरेरिया
  • अन्य उपनाम –कल्पवृक्ष, रेगिस्तान का गौरव, थार का कल्पवृक्ष दशहरे के दिन खेजड़ी का पूजन।
  • गोगाजी व झुंझार बाबा के मन्दिर/थान खेजड़ी वृक्ष के नीचे बने होते हैं।
  • खेजड़ी वृक्ष को पंजाबी व हरियाणवी भाषा में – जांटी, तामिल भाषा में – पेयमेय, कन्नड भाषा में-बन्ना-बन्नी, सिन्धी भाषा में-छोकड़ा, बिश्नोई सम्प्रदाय के द्वारा-शमी, स्थानीय भाषा में-सीमलों कहा जाता है। 1983 में राज्य वृक्ष घोषित।
  • 12 सितम्बर को प्रतिवर्षखेजड़ली दिवस मनाया जाता है।
  • प्रथम खेजड़ली दिवस 12 सितम्बर, 1978 को बनाया गया।


  • वन्य जीव संरक्षण के लिए दिया जाने वाला सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार, “अमृता देवी वन्य जीव” पुरस्कार है।
  • इस पुरस्कार की शुरूआत 1994 में की गयी।
  • प्रथम अमृता देवी वन्य जीव पुरस्कार पाली के गंगाराम बिश्नोई को दिया गया।
  • विश्व का एक मात्र वृक्ष मेलाखेजड़ली में भरता है। खेजड़ली में सन् 1730 ई. में (जोधपुर के राजा अभय सिंह के समय) अमृता देवी विश्नोई ने 363 नर-नारियों सहित खेजड़ी वृक्षों को बचाने हेतु अपनी आहुति दे दी थी। इस उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ला दशमी को विश्व का एकमात्रा वृक्ष मेला भरता है। पर्यावरण संरक्षण हेतु 1994 ई. अमृता देवी स्मृति पर्यावरण पुरस्कार प्रारम्भ किया गया है।
  • राजस्थान की क्षारीय लवणीय भूमि परइमली का वृक्ष अधिक वृद्धि रखते हुए अच्छी उपज दे सकता है।
  • ओरणधार्मिक स्थलों से जुड़ा पारम्परिक आखेट एवं वन कटाई निषिद्ध हलाता है।
  • वराहमिहिर के अनुसार जब कैर एवं शमी (खेजड़ी) के वृक्षों पर फूलों में असामान्य वृद्धि होती है, तो उस वर्षदुर्भिक्ष होता है।
  • राज्य में अर्जुन वृक्ष लगाने का उद्देश्यटसर रेशम तैयार करना है।
  • मरू प्रदेश में सड़कों के किनारे वृक्षारोपण मेंइजराइली बबूल वृक्ष प्रजाति का सर्वाधिक रोपण किया गया है।
  • देश का प्रथम राष्ट्रीय मरू वानस्पतिक उद्यानमाचिया सफारी पार्क (जोधपुर) में स्थापित किया जायेगा।
  • घास के मैदान या चरागाह को स्थानीय भाषा मेंबीड़ कहते हैं। ये बीड़ बीकानेर, जोधपुर, चुरू, सीकर व झुंझनुँ आदि में मिलते हैं।
  • राजस्थान पर्यावरण नीति बनाने वाला देश का पहला राज्य है। पर्यावरण नीति 22 अप्रेल, 2010 पृथ्वी दिवस को लागू की गई।
  • केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार 2010 में राजस्थान का सर्वाधिक प्रदूषित शहर जोधपुर। देश में 91 शहरों में 18वें स्थान पर।
  • नई वन नीति 17 फरवरी, 2010 को लागू की गई।
  • राजस्थान में 13 वन मण्डल है।
  • जोधपुर – क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा वन मण्डल है।
  • उदयपुर सर्वाधिक वन क्षेत्र वाला वन मण्डल है।


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