(10) सिरोही –
सिरोही के प्रमुख पर्यटन स्थल –
(a) माउण्ट आबू –
- यह राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है।
- माउण्ट आबू में राजस्थान की सर्वोच्च पर्वत चोटी गुरु शिखर (1727 मीटर) स्थित है।
- समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित आबू पर्वत राजस्थान का एकमात्र पहाड़ी नगर है।
- यह अरावली पर्वतमाला का सर्वोच्च शिखर, हिन्दू और जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है।
- माउण्ट आबू सर्वप्रथम चौहान साम्राज्य का हिस्सा था उसके बाद सिरोही के महाराजा ने माउण्ट आबू को राजपूताना मुख्यालय के लिए अंग्रेजों को पट्टे पर दे दिया था।
- ब्रिटिश शासन के दौरान माउण्ट आबू मैदानी इलाकों की गर्मियों से बचने के लिए अंग्रेजों का प्रमुख आश्रय स्थल बना।
- यूनानी राजदूत मेगस्थनीज ने अपने संस्मरणों में माउण्ट आबू का उल्लेख किया है।
(b) दिलवाड़ा जैन मन्दिर –
- दिलवाड़ा का विश्व प्रसिद्ध जैन मन्दिर संगमरमर की उत्कृष्ट वास्तुकला एवं स्थापत्य कला का प्रतीक है।
- इस मन्दिर का निर्माण 1031 ई. में विमलशाह द्वारा करवाया गया था।
- यह मन्दिर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है।
- इन मुख्य पाँच मंदिरों में से वास्तुपाल और तेजपाल के मंदिर अतिउत्तम है।
(c) अचलगढ़ –
- यहाँ पर चार मन्दिर है जिनमें गोमुखजी का मन्दिर अत्यन्त लोकप्रिय है।
- यह अचलगढ़ के किले एवं मन्दिर के रूप में स्थित है।
- इसका निर्माण मेवाड़ के महाराणा कुम्भा ने 1452 ई. एक पहाड़ी के ऊपर करवाया था।
- इसी पहाड़ी के तल पर भगवान शिव को समर्पित 15 वीं शताब्दी का अचलेश्वर मन्दिर स्थित है।
(d) नक्की झील –
- नक्की झील माउण्ट आबू में स्थित एक अत्यन्त सुन्दर पर्यटन स्थल है।
- यह राजस्थान की मीठे पानी की सबसे ऊँची झील है।
- किवदन्ती के अनुसार इस झील का निर्माण देवताओं ने अपने नाखुनों से खोदकर किया था इसलिए इसे नक्की (नख या नाखुन) नाम से जाना जाता है।
(e) टॉड रॉक व नन रॉक –
- यह रॉक नक्की झील के दक्षिण में स्थित है।
- इसका आकार मेंढक की भाँति है। इसे टॉड रॉक के नाम से जाना जाता है।
- राजपूताना क्लब के पास स्थित एक अन्य चट्टान घूंघट निकाले स्त्री जैसी है जिसेनन रॉक कहते है।
सिरोही के अन्य प्रमुख पर्यटन स्थल –
- सनसेट पॉइंट, अर्बुदा देवी, भर्तृहरि की गुफा, राणा कुम्भा का महल, गौमुख गुरुशिखर, वशिष्ट आश्रम, अचलेश्वर महादेव मन्दिर आदि।
(11) जैसलमेर –
- राजस्थान के थार के मरुस्थल में स्थित जैसलमेर प्राचीन कला और इतिहास की दृष्टि से अति महत्त्वपूर्ण नगर है जिसकी स्थापना 1156 ई. में यादव वंशीय राजपूत शासक रावल जैसल सिंह ने की थी।
जैसलमेर के प्रमुख पर्यटन स्थल –
(a) जैसलमेर दुर्ग (सोनारगढ़) –
- जैसलमेर दुर्ग का निर्माण 12 वीं शताब्दी में हुअा।
- इसका निर्माण कार्य रावल जैसल सिंह ने प्रारम्भ करवाया जिसे उनके उत्तराधिकारी शालिवाहन ने पूर्ण करवाया।
- जैसलमेर दुर्ग पीले पत्थरों के विशाल शिलाखण्डों से निर्मित है।
- इस पूरे दुर्ग का निर्माण पत्थर पर पत्थर जमाकर व फंसाकर किया गया है।
- इसके सोने जैसे पीले रंग के कारण ही इसे सोनारगढ़ कहा जाता है।
- इस दुर्ग में 99 बुर्ज हैं।
- इस दुर्ग मेंविलास महल, रंगमहल, राजविलास तथा मोती महल आदि की भित्ति चित्रकारी उत्कृष्ट है।
- यहाँ पर जैन ग्रंथों का संग्रहालय भी स्थित है।
(b) पटवों/पटुओं की हवेली –
- पटवों की हवेली का निर्माण जैसलमेर के बड़े व्यापारी गुमानचन्द पटवा ने 1805 ई. में करवाया था। जैसलमेर के पटवा सेठाें ने इस काल में 4 हवेलियांे का निर्माण करवाया था इसलिए इन्हें पटवों/पटुओं की हवेली के नाम से जाना जाता है।
- इन हवेलियों की खिड़कियाँ, झरोखें व मेहराब स्थापत्य कला की दृष्टि से आकर्षक व कलात्मक है।
जैसलमेर में अन्य प्रमुख पर्यटन स्थल –
- गड़ी सागर तालाब, मरु राष्ट्रीय उद्यान, अमरसर तालाब, बाघ की छतरी आदि।
(12) जाेधपुर –
- जोधपुर नगर राठौड़ राजा राव जोधा द्वारा 1459 ई. में बसाया गया था।
- जोधपुर को आधुनिक नगर का स्वरूप देने का श्रेय महाराजा उम्मेद सिंह को जाता है।
जोधपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल –
(a) मेहरानगढ़ दुर्ग –
- जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग का निर्माण चिड़ियाटुंक पहाड़ी पर किया गया है।
- इस किले की नींव 12 मई, 1459 ई. को राव जोधा ने डाली थी जिसे महाराजा जसवन्त सिंह (1638 ई. – 1678 ई.) ने पूर्ण करवाया था।
- राव जोधा, महाराजा रणमल का पुत्र था।
- इस दुर्ग में कुल सात द्वार है जिसे पोल कहा जाता है।
- इस दुर्ग में चामुण्डा माता का मन्दिर स्थित है जो राठौड़ों की कुल देवी है।
- इस दुर्ग में प्रमुख महल – मोती महल, फूल महल, मान महल।
(b) जसवंतथड़ा –
- यह सफेद संगमरमर से निर्मित स्मारक है जिसे जोधपुर के महाराजा जसवन्त सिंह की स्मृति में बनाया गया।
- इसका निर्माण 1899 ई. में जोधपुर के महाराजा सरदार सिंह द्वारा करवाया गया था।
- यह स्थान जोधपुर के राजपरिवार के सदस्यों के लिए दाह संस्कार के लिए सुरक्षित रखा गया है।
- इस स्मारक हेतु मकराना के सफेद संगमरमर का प्रयोग किया गया है।
- इसमें जोधपुर के स्वर्गीय नरेशों की आदमकद प्रतिमाएँ स्थित हैं।
- इसे राजस्थान का ताजमहल कहते है।
(c) उम्मेद भवन (छीतर पैलेस) –
- इसका निर्माण जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह ने करवाया था।
- यह बालु पत्थर से निर्मित स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है।
(d) बालसमन्द झील –
- इस झील का निर्माण बालक राव द्वारा करवाया गया था। यह एक प्राकृतिक स्थल, सुन्दर उद्यान तथा इसमें एक महल भी है।
(e) मण्डोर –
- राव जोधा द्वारा जोधपुर किले की नींव रखने से पूर्व तक मण्डोर मारवाड़ की राजधानी था।
- यहाँ पर जोधपुर के प्राचीन राजाओं की छतरियाँ स्थित है।
- मण्डोर उद्यान में‘वीरों की गैलरी’ बनी हुई है जिसमें 16 आदमकद प्रतिमाएं लगी हुई है, जो पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है।
(f) ओसियां –
- जोधपुर में स्थित ओसियां कस्बा वैष्णव तथा जैन मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध है।
- यहाँ पर निर्मित हरिहर के तीन मन्दिर खजुराहाे के समान प्रसिद्ध है।
- यहाँ स्थित सच्चियाय माता का मन्दिर पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है जिसका निर्माण 9 वीं या 10 वीं सदी में करवाया गया था।