राव बीका (1465-1504 ई.) :-
- बीकानेर के राठौड़ वंश का संस्थापक राव बीका मारवाड़ के शासक राव जोधा का पुत्र था।
- इनकी माता का नाम‘नौरंग दे’ सांखला था।
- इनका विवाह पुंगल के‘राव शेखा भाटी’ की पुत्री ‘रंग दे’ से हुआ था।
- अपने पिता के ताना देने के कारण ये 1465 ई. में जांगल प्रदेश में आ गये।
- गोदारा (पांडु) व सारण (पूला) जाटों की आपसी फूट का फायदा उठाकर बीका ने एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की। तब से बीकानेर राजपरिवार का राजतिलक गोदारा जाट ही करते थे।
- बीका ने प्रारंभ में अपनी राजधानी‘कोडमडेसर’ को बनाना चाहा, लेकिन पुंगल के भाटियों के विरोध करने पर बीकानेर को अपनी राजधानी बनाया।
- राव बीका ने‘करणी माता’ के आशीर्वाद से 1488 ई. में जांगल प्रदेश में ‘राठौड़ वंश’ की स्थापना की तथा सन् 1488 ई. में ‘नेरा जाट’ के सहयोग से बीकानेर (राव बीका तथा नेरा जाट के नाम को संयुक्त कर नाम बना) नगर की स्थापना की।
- राव बीका ने जोधपुर के राजा राव सूजा को पराजित कर राठौड़ वंश के सारे राजकीय चिह्न छीनकर बीकानेर ले गये।
- राव बीका की मृत्यु के बाद उसका ज्येष्ठ पुत्र‘नरा‘ बीकानेर का शासक बना।
- ‘कोडमडेसर’में बीका ने भेरूजी का मंदिर बनाया।
- बीकानेर से पूर्व इस स्थान को‘राती घाटी’ कहते थे।
- बीकाजी ने जिस स्थान पर निवास किया था उसे‘बीकाजी की टेकरी’ या ‘गढ़ गणेश’ कहा जाता है।
- बीकाजी के घोड़े का नाम‘रेवन्त’ था।
राव लूणकरण (1505-1526 ई.) :-
- बीका के बाद राव नर्रा बीकानेर की गद्दी पर बैठा, मगर 1505 ई. में नर्रा की मृत्यु हो गई अत: लूणकरण शासक बना।
- ‘कर्मचन्द्रवंशोत्कीर्तनकाव्यम्’ में उसकी दानशीलता की तुलना कर्ण से की गई है।
- राव लूणकरण बीकानेर का दानी, धार्मिक, प्रजापालक व गुणीजनों का सम्मान करने वाला शासक था। दानशीलता के कारण‘बीठू सूजा’ ने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ ‘राव जैतसी रो छन्द’ में इसे ‘कर्ण‘ अथवा ‘कलियुग का कर्ण‘ कहा है।
- सन् 1526 ई. में इसने नारनौल के नवाब पर आक्रमण कर दिया, परन्तु घौंसा नामक स्थान पर हुए युद्ध में लूणकरण वीरगति को प्राप्त हुआ।
- इसने लूणकरणसर झील का निर्माण करवाया।