राठौड़ राजवंश




राव जैतसी (1526-1541 ई.) :-

  • 1527 ई. में राणा सांगा एवं बाबर के मध्य खानवा के युद्ध में राव जैतसी ने राणा सांगा की सहायता के लिए अपने पुत्र कुंवर कल्याणमल को सैन्य सहायता के लिए भेजा।
  • बाबर के उत्तराधिकारी कामरान ने 1534 ई. में भटनेर पर अधिकार करके राव जैतसी को अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिए कहा, परन्तु जैतसी ने अपनी बड़ी सेना के साथ 26 अक्टूबर, 1534 को अचानक कामरान पर आक्रमण कर दिया और उन्हें गढ़ छोड़ने के लिए बाध्य किया। उस समय भटनेर का किलेदारखेतसिंह कांधल था।
  • इस युद्ध की जानकारी बीठू सूजा की पुस्तक राव जैतसी रो छन्द से मिलती है।
  • साहेबा/पाहेबाका युद्ध (1541-42 ई.) में बीकानेर के शासक राव जैतसी व मारवाड़ के शासक मालदेव के बीच हुआ। मारवाड़ की सेना का नेतृत्व सेनानायक कूँपा ने किया। इस युद्ध का प्रमुख कारण मालदेव की साम्राज्य विस्तार की नीति थी।
  • इस युद्ध में राव जैतसी मारा गया और कूँपा को बीकानेर का प्रशासक नियुक्त किया गया और कुंवर कल्याणमल शेरशाह सूरी की शरण में चला गया।




राव कल्याणमल (1544-1574 ई.) :-

  • राव कल्याणमल राव जैतसी का पुत्र था जो जैतसी की मृत्यु के समय सिरसा में था।
  • 1544 ई. मेंगिरी सुमेल (जैतारण) के युद्ध में शेरशाह सूरी ने मारवाड़ के राव मालदेव को पराजित किया, इस युद्ध में कल्याणमल ने शेरशाह की सहायता की थी तथा शेरशाह ने बीकानेर का राज्य राव कल्याणमल को दे दिया।
  • बीकानेर का पहला शासक था जिसने सन् 1570 ई. को अकबर के नागौर दरबार में उपस्थित होकर उसकी अधीनता स्वीकार की एवं मुगलों से वैवाहिक संबंध स्थापित किए।
  • अकबर ने नागौर के दरबार के बाद सन् 1572 ई. में कल्याणमल के पुत्र रायसिंह को जोधपुर की देखरेख हेतु उसे प्रतिनिधि बनाकर जोधपुर भेज दिया।
  • कवि पृथ्वीराज राठौड़ (पीथल) कल्याणमल का ही पुत्र था।
  • पृथ्वीराज राठौड़ की प्रसिद्ध रचनावेलि किशन रूकमणी री है, कवि दुरसा आढ़ा ने इस रचना को 5वां वेद एवं 19वां पुराण कहा है। इटालियन कवि ‘लुईजी पिओ तैस्सितोरी ने कवि पृथ्वीराज राठौड़ को डिंगल का हेरोस कहा है।
  • अकबर ने कवि पृथ्वीराज राठौड़ को गागरोन का किला जागीर में दिया था।




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