राजस्थान के प्रमुख व्यक्तित्व

राजस्थान के प्रमुख व्यक्तित्व

  1. अर्जुनलाल सेठीजयपुर निवासी, 1907 में जयपुर में जैन वर्धमान पाठशाला स्थापित की। आजीवन स्वतंत्रता आंदोलन की गतिविधियों में भाग लिया तथा वेलूर जेल में रहे। हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए प्रयास किये। अर्जुनलाल सेठी ने 1907 ई. में जयपुर में जैन शिक्षा सोसायटी (जैन वर्धमान विद्यालय) की स्थापना की, यह भारत की प्रथम राष्ट्रीय विद्यापीठ थी, जहाँ क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता था। 1912 ई. में सेठी गवर्नर जनरल लॉर्ड हार्डिंग्ज पर बम फेंकने के आरोप में दोषी पाये गये। निमेज हत्याकांड (बिहार के आरा जिले में एक महंत की हत्या) के आरोप में सेठी को गिरफ्तार कर पाँच वर्ष की सजा दी गई। ‘पार्श्व यज्ञ’, ‘मदन पराजय’, ‘महेन्द्र कुमार’ सेठी द्वारा रचित प्रसिद्ध पुस्तकें है। 1941 ई. में अजमेर में देहान्त हुआ। अंतिम दिनों में अजमेर में ख्वाजा साहिब की दरगाह के पास मदरसे में मुस्लिम बच्चों को पढ़ाते थे। मृत्यु के बाद इन्हें मुस्लिम समझकर दफना दिया गया।


  2. केसरीसिंह बारहठइनका जन्म 21 नवम्बर, 1872 को शाहपुरा (भीलवाड़ा) में हुआ। शाहपुरा (भीलवाड़ा) रियासत में वीर भारत सभा नामक गुप्त क्रान्तिकारी सभा की 1910 ई. में स्थापना की। कवि व विद्वान, ‘चेतावनी रा चुंगट्या’ (डिंगल भाषा में 13 सोरठे) रचना द्वारा मेवाड़ महाराणा फतहसिंह को दिल्ली दरबार (1903 ई. में एडवर्ड-VII के सम्मान में आयोजित) में भाग लेने से रोका।
  3. जोरावर सिंह बारहठकेसरीसिंह बारहठ के छोटे भाई, इन्होंने दिल्ली के चाँदनी चौक में लार्ड हार्डिंग्ज पर बम फैंका (23 दिसम्बर 1912 ई.)। आजीवन फरार, 1939 ई. में मृत्यु ।
  4. प्रतापसिंह बारहठकेसरीसिंह बारहठ के पुत्र, महान क्रांतिकारी, 22 वर्ष की अवस्था में पुलिस यातनाओं के कारण बरेली जैल में 27 मई 1918 को शहीद । क्रान्तिकारी रासबिहारी बोस के विख्यात सहायक। हार्डिंग्ज बम काण्ड में अपने चाचा जोरावर सिंह बारहठ के साथ शामिल। प्रतापसिंह बारहठ के प्रसिद्ध कथन- “मेरी माँ रोती है तो उसे रोने दो जिससे सैंकड़ों माताओं को न रोना पड़े। यदि मैंने दिल का भेद खोल दिया तो यह मेरी वास्तविक मृत्यु होगी और मेरी माता पर अमिट कलंक”।


  5. गोपाल सिंह खरवाखरवा ठिकाने (अजमेर) के जागीरदार, राजस्थान के क्रांतिकारी आंदोलन में उल्लेखनीय योगदान, 21 फरवरी 1915 में प्रस्तावित सशस्त्र क्रान्ति के राजस्थान के प्रमुख कार्यकर्त्ता। वीर भारत सभा का गठन केसरी सिंह बारहठ के साथ किया।
  6. विजयसिंह पथिकवास्तविक नाम भूपसिंह, बुलन्द शहर (उ.प्र.) के निवासी थे, बिजोलिया कृषक आंदोलन का नेतृत्व किया। ‘राजस्थान केसरी (1920 ई. में वर्धा से प्रकाशित)’ व ‘नवीन राजस्थान (1921 ई. अजमेर से प्रकाशित जिसका नाम बाद में ‘तरूण राजस्थान‘ रख दिया गया।)‘ समाचार पत्र निकाले। राजस्थान सेवा संघ (1919 ई.), उपरमाल किसान पंचायत (1917 ई.) की स्थापना की। वीर भारत समाज के संस्थापक थे। कानपुर से प्रकाशित होने वाले ‘प्रताप’ समाचार-पत्र में समाचारों के माध्यम से विजयसिंह पथिक ने बिजोलिया किसान आन्दोलन को पूरे भारत में लोकप्रिय कर दिया। What Are The Indian States विजय सिंह द्वारा रचित प्रसिद्ध पुस्तक है।
  7. सेठ दामोदर दास राठीमूलतः पोकरण (जैसलमेर) निवासी। क्रान्तिकारियों को आर्थिक सहायता देने में अग्रणी। ब्यावर में राजस्थान की प्रथम सूती वस्त्र मिल ‘दी कृष्णा मिल‘ की स्थापना की। सनातन धर्म स्कूल (ब्यावर) एवं नवभारत विद्यालय (वर्धा) की स्थापना की। राजस्थान के स्वाधीनता आन्दोलन के भामाशाह के रूप में प्रसिद्ध।


  8. सागरमल गोपाजैसलमेर निवासी, जैसलमेर शासक महारावल जवाहरसिंह के अत्याचारों का वर्णन ‘जैसलमेर का गुण्डा राज’ पुस्तक में किया। 3 अप्रेल, 1946 को इन्हें जैलर गुमानसिंह ने जैसलमेर जैल में जिन्दा जलाया तथा ‘गोपाल स्वरूप पाठक‘ समिति ने इसे आत्महत्या करार दिया। ‘आजादी के दिवाने’ इनकी अन्य प्रसिद्ध पुस्तक है।
  9. जयनारायण व्यासजन्म 1899 ई. में, जोधपुर निवासी, मारवाड़ हितकारिणी सभा (1923) का गठन, किसान आंदोलनों का नेतृत्व। तरूण राजस्थान, अखण्ड भारत, आगीबाण (राजस्थानी) व पीप (अंग्रेजी) इत्यादि समाचार-पत्रों का सम्पादन व प्रकाशन। ये मनोनीत व निर्वाचित दोनों प्रकार के मुख्यमंत्री रहे।
  10. गोकुल भाई भट्टसिरोही (हाथल गाँव) में 25 जनवरी 1898 को जन्म। प्रमुख स्वतन्त्रता सैनानी व सर्वोदयी नेता। राजस्थान के गाँधी। 1935 ई. में सिरोही प्रजामण्डल की स्थापना की।


  11. भोगी लाल पंड्याजन्म 13 नवम्बर 1904 को डूंगरपुर में, डूंगरपुर राज्य में आदिवासियों के कल्याणार्थ कार्य किया। बांगड सेवा मंदिर, सेवा संघ की स्थापना। ‘वागड के गाँधी‘ उपनाम से प्रसिद्ध। 1944 ई. में डूंगरपुर प्रजामण्डल की स्थापना की।
  12. हीरालाल शास्त्रीजन्म 24 नवम्बर 1899, जोबनेर (जयपुर) निवासी, ‘प्रत्यक्ष जीवन शास्त्र‘ पुस्तक के रचयिता, वनस्थली मे वनस्थली जीवन कुटीर (शान्ताबाई शिक्षा कुटीर) व विद्यापीठ के संस्थापक। 30 मार्च 1949 को (राजस्थान दिवस) राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री मनोनीत किए गए। 1938 में जमनालाल बजाज के साथ जयपुर प्रजामण्डल का पुनर्गठन किया। शास्त्री जी की पत्नी श्रीमती रतन शास्त्री वनस्थली विद्यापीठ (टोंक) की संचालिका थी। ‘प्रलय प्रतीक्षा नमो नमः‘ शास्त्री द्वारा रचित प्रसिद्ध लोकगीत है। 1942 ई. में जयपुर प्रजामण्डल के अध्यक्ष हीरालाल शास्त्री व जयपुर के प्रधानमंत्री सर मिर्जा इस्माइल के मध्य समझौता हुआ जिसे ‘जैंटलमैन्स एग्रीमेंट’ कहा गया। जिसके तहत सरकार ने वादा किया कि जयपुर रियासत अंग्रेजों को युद्ध में कोई भी मदद नहीं करेगी व जयपुर में शीघ्र उत्तरदायी शासन की स्थापना की कार्यवाही हेतु प्रयास किया जायेगा।
  13. जमनालाल बजाजजन्म 4 नवम्बर 1889 को, सीकर निवासी, ‘गाँधीजी के पांचवे पुत्र‘ के रूप में प्रसिद्ध। अहिंसक राजनीतिक गतिविधियों में भाग। जमना लाल बजाज अपने आपको गुलाम नम्बर-4 (पहले तीन गुलाम- भारत, देशी राजा, सीकर) कहते थे। सत्याग्रह आश्रम (वर्धा, 1921 ई.) की स्थापना। जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) में अंग्रेजों से प्राप्त ‘राय बहादुर’ की उपाधि लौटाई। राजस्थान में सर्वप्रथम उत्तरदायी शासन की मांग करने वाले प्रथम नेता। बीकानेर के महाराजा गंगासिंह ने जमनालाल बजाज के बीकानेर आने पर रोक लगा रखी थी।


  14. रामनारायण चौधरीजन्म 1896 ई. में, नीम का थाना (सीकर) निवासी, प्रमुख किसान नेता एवं राजनीतिक कार्यकर्ता। बेगू किसान आन्दोलन के  नेतृत्वकर्ता, 1932 ई. में ‘हरिजन सेवक संघ‘ की स्थापना की, ‘नया राजस्थान’ नामक समाचार-पत्र के संस्थापक।
  15. माणिक्य लाल वर्मा –जन्म 4 दिसम्बर 1897 को बिजोलिया (भीलवाड़ा) में, उदयपुर के किसान नेता एवं प्रजामण्डल आंदोलन के अग्रणी नेता। बिजोलिया आंदोलन में सक्रिय भाग। 1938 में मेवाड़ प्रजामण्डल की स्थापना, ‘पंछीड़ा’ लोकगीत के रचयिता, ‘मेवाड़ का वर्तमान शासन‘ पुस्तक का प्रकाशन अजमेर से कराया। 1934 में खांडलाई आश्रम की स्थापना की।
  16. हरिभाऊ उपाध्यायजन्म 1892 में ग्वालियर के भौरासा गाँव में, हटुडी        (अजमेर) में 1925 ई. में गाँधी आरण्य (आश्रम) की स्थापना, औदुम्बर व नवजीवन पत्र का प्रकाशन, ‘दा साहब’ के नाम से प्रसिद्ध, ‘युगधर्म‘, ‘सर्वोदय की बुनियाद‘, हरिभाऊ द्वारा लिखित पुस्तकें है। अजमेर के राजस्थान संघ में मिलने से पहले तक वहाँ के मुख्यमंत्री थे।
  17. बलवंतसिंह मेहता –मेवाड़ प्रजामण्डल के नेता, स्वतन्त्रता आदोलन में सक्रिय भाग, संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य। पंचायती राज आन्दोलन के जनक।
  18. टीकाराम पालीवालजयपुर निवासी, राजस्थान के लोकप्रिय नेता, प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री (3 मार्च, 1952 को) एवं प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी।
  19. दुर्गाप्रसाद चौधरी –‘कप्तान‘ उपनाम से प्रसिद्ध, 1936 ई. में दीनबन्धु चौधरी के सहयोग से अजमेर से दैनिक नवज्योति समाचार-पत्र का प्रकाशन किया।


 

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