- अजमेर–
- अजमेर जिले के चारों ओर स्थित अरावली पर्वत क्रम की पहाड़ियाँ “अजयमेरु’ के नाम से जानी जाती है, इसलिए अजमेर का प्राचीन नाम “अजयमेरु’ भी है।
- अजमेर की स्थापना अजयपाल चाैहान द्वारा 7वीं शताब्दी में की गई थी।
- इस नगर की सबसे प्रमुख विशेषता हिन्दू-मुस्लिम दोनों धर्मावलम्बियों हेतु इसकी उपयोगिता है।
अजमेर के प्रमुख पर्यटन स्थल –
(a) ख्वाजा साहिब की दरगाह –
- पर्यटन की दृष्टि से अजमेर का सबसे प्रमुख स्थल ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है।
- यहाँ प्रतिवर्ष उर्स के अवसर पर विश्वस्तरीय मेला लगता है, जिसमें लाखों व्यक्ति जियारत के लिए आते हैं।
(b) मैगजीन –
- अजमेर में स्थित मैगजीन का महल, वर्तमान में संग्रहालय के रूप में स्थित है।
(c) आना सागर –
- आनासागर का निर्माण 1130 से 1150 ई. के बीच पृथ्वीराज चौहान के पिता आनाजी ने करवाया था।
(d) तारागढ़ (गढबीठली) –
- तारागढ़ दुर्ग का निर्माण अजय देव चौहान द्वारा करवाया गया था, जो कि एक पहाड़ी पर स्थित है।
(e) सोनीजी की नसियाँ –
- मूलचंद सोनी द्वारा 1865 ई. में निर्मित इस मंदिर को सिद्धकूट चैत्यालय (वर्तमान में सोनीजी की नसियाँ) के नाम से जाना जाता है।
- लाल पत्थर से बना हुआ यह मंदिर प्रथम जैन तीर्थंकर “ऋषभदेव’ का मंदिर है।
- यह मंदिर गोल आकृति का है, जिसमें सृष्टि की रचना का चित्र बना हुआ है, जिसके मध्य भाग में सुमेरू पर्वत तथा दूसरे भाग में महावीर के जन्म के दृश्यों को दर्शाया गया है।
(f) ढाई दिन का झौंपड़ा –
- इसका निर्माण 1153 ई. में सम्राट बीसलदेव द्वारा संस्कृत महाविद्यालय के रूप में करवाया गया था।
- 1192 ई. में मोहम्मद गौरी ने इसको ध्वस्त कर इसे ढाई दिन में मस्जि़द का रूप दिया था, इसी कारण इसे ढाई दिन के झौंपड़े के नाम से जाना जाता है।
- यह हिंदू वास्तुकला का प्राचीनतम एवं सर्वोत्कृष्ठ नमूना है।
(g) पुष्कर –
- यह हिन्दुओं का पवित्र तीर्थ स्थल है। यहाँ पर ब्रह्मा जी एवं सावित्री का मंदिर स्थित है, जहाँ कार्तिक पूर्णिमा को विशाल मेला लगता है, जिसमें पर्व स्नान किया जाता है।
- रमा बैकुंठ मंदिर, बाईजी का मंदिर, अटभटेश्वर जी का मंदिर आदि मंदिर दर्शनीय हैं।