राजस्थान खनिज संसाधन नोट्स



ग्रेनाइट : 

– सर्वाधिक जालौर जिले में। 33 जिलों में से 23 में पाया जाता है। हरा ग्रेनाइट उदयपुर में तथा गुलाबी ग्रेनाइट जालौर में पाया जाता है। जालौर, सिरोही, बाड़मेर, अजमेर, जैसलमेर।

स्लेट पत्थर : 

– अलवर (बहरोड़ के पास रासलाना-गीगलाना गांव) में।

Sand स्टोन : 

– बंशी पहाड़पुर (भरतपुर) में। लाल पत्थर-धौलपुर (Red Diamond) में।

सोपस्टोन – देवपुरा – सालोज क्षेत्र (उदयपुर) भीलवाड़ा डूंगरपुर, राजसमंद

मिट्टियाँ :

  • मुलतानी मिट्टी :पहला स्थान बीकानेर (कोलायत), इसी कारण नमकीन प्रसिद्ध। जमाव बाड़मेर में।
  • गैरू मिट्टी :चित्तौड़गढ़ में सर्वाधिक। जयपुर को 1876 में पहली बार इस मिट्टी से रंगा गया था। इस मिट्टी को कानोता (जयपुर) से लाया गया।
  • वॉल क्ले :बीकानेर की प्रसिद्ध।
  • फायर क्ले :यह बीकानेर तथा धौलपुर में पाई जाती है।
  • चाइना क्ले :यह बीकानेर में गुढ़ा रानेरी तथा पलाना में।
  • सिलिका सैण्ड :बनास के क्षेत्र की प्रसिद्ध मिट्टी। बूँदी, सवाईमाधोपुर, जयपुर।



आण्विक खनिज :

  • यूरेनियम :प्रथम स्थान ऊमरा व शिकारबाड़ी (उदयपुर) में तथा दूसरा स्थान रॉयल (रोहिल), सीकर।
  • थोरियम :भद्रावन, (पाली) तथा भीलवाड़ा में।
  • लीथियम :अजमेर व राजगढ़।
  • बेरिलियम :बड़ी शिकार बाड़ी, उदयपुर तथा गुर्जरवाड़ा, जयपुर में। बादरसिदंरी (अजमेर) तोरड़ा, बूचरा, चूरला(सीकर)।

कीमती रत्न :

  • हीरा :केसरपुरा, प्रतापगढ़ में।
  • पन्ना :राजस्थान में सर्वप्रथम इसका पता 1943 में राजसमंद जिले के कालागुमान क्षेत्र में लगा।
  • कंज का खेड़ा (राजसमन्द) बुबानी (अजमेर)
  • जयपुर में पन्ने की अन्तर्राष्ट्रीय मंड़ी है।
  • – यह मणमल के समान हरे रंग का रत्न है जिसेहरी अग्नि भी कहा जाता है।

 

  • गार्नेट :राजमहल (टोंक) में।
  • एक्वामेरिन :नीला (फिरोजा), टोंक में। इसे तंजेनाइट के स्थान पर काम लेते हैं।
  • ईधन : लिग्नाइट :सर्वाधिक जमाव कपूरड़ी, जालीपा, गिरल (बाड़मेर) में। बीकानेर में सर्वाधिक निकलता है। बीकानेर में यह पलाना, बरसिंहसर, रानेरी गुढ़ा तथा बिठनोक में। नागौर में भदवासी, मेड़ता रोड़ तथा माता सुख स्थान पर। हीरा की ढ़ाणी, नापासर, रीरी, वानिया लिग्नाइट के लिए प्रसिद्ध।



खनिज तेल

  • खनिज तेल अवसादी चट्टानों से प्राप्त होता है।
  • 1955 में पहली बार भारत सरकार के द्वारा राजस्थान में खनिज तेल का अन्वेषण किया गया। जिसके परिणाम स्वरूप 1966 मेंमणिहारी टिब्बा के पास कमली ताल में गैस के भण्डार मिले। तथा सादेवाला में तेल के भण्डार मिले।
  • 1988 में मणिहारी टिब्बा व घोटारू में गैस के भण्डार मिले।
  • तेल की खोज के लिए राजस्थान को चार भागों में बांटा गया है-

(i)   राजस्थान शैल्फ बेसिन- जैसलमेर का क्षेत्र। इसे अब इटली की कम्पनी E.N.I. व ब्रिकबेक को दे दिया गया है।

(ii)  बाड़मेर-सांचौर बेसिन- केयर्न एनर्जी लिमिटेड (ब्रिटेन)।

(iii) बीकानेर-नागौर बेसीन- फोकस एनर्जी (शाहगढ़ में गैस खोजी), फीनिक्स (यूरोपीय कम्पनी)।

(iv)  विन्ध्यन बेसीन- केयर्न एनर्जी लिमिटेड व ONGC को दिया गया।

  • तेल के मुख्य कुएँ :(i) रागेश्वरी (ii) मंगला (iii) कामेश्वरी (iv) ऐश्वर्या (v) विजया (vi) भाग्यम।
  • जोगासरिया(नगाणा) – बाड़मेर के बायतु क्षेत्र के इस गाँव में खोदे गये कुएं में 5 फरवरी, 2004 को तेल के विशाल भण्डार मिले।
  • रामगढ़(जैसलमेर) में गैस आधारित बिजलीघर स्थापित किया गया है।
  • कोसलू(बाड़मेेर) से तेल भण्डार के प्रमाण मिले है।



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