राजस्थान खनिज संसाधन नोट्स



तेल, पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस की खोजकर्ता कम्पनियाँ

कम्पनीदेश
केयर्न एनर्जी इण्डिया लिमिटेडब्रिटेन
शैल इंटरनेशनल कम्पनीनीदरलैण्ड (हॉलैण्ड)
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेडभारत
ऑयल इण्डियाभारत
पोलिश ऑयल एंड गैस कम्पनीपोलैण्ड
एस्सार ऑयलभारत

 

खनिज संसाधन के अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  1. राजस्थान सीसा – जस्ता (100%), जास्पर, वोलेस्टोनाइट (100%),  केल्साइट (98%) सेलेनाइट (100%) व गार्नेट का देश में एकमात्र उत्पादक राज्य है।
  2. देश की पहली खनन (माइनिंग) अकादमी :- उदयपुर में।
  3. केन्द्र सरकार द्वारा 2015 में 31 खनिजों को गौण खनिज (माइनर मिनरल्स) के रूप में चिन्हित किया गया है – क्वार्ट्ज, केल्साइट, गेरू, अभ्रक, संगमरमर, बेराइट्स, ग्रेनाइट, सोपस्टोन, फायरक्ले, पाइरोफाइलाइट, कोरंडम, लेटेराइट आदि।
  4. राजस्थान खनिज नीति-2015 :- 4 जून, 2015 को जारी।
  5. प्रथम ग्रेनाइट नीति :- वर्ष 1991 में घोषित।
  6. प्रथम मार्बल नीति :- अक्टूबर 1994 में घोषित।
  7. राज्य की प्रथम खनिज नीति :- 24 जून, 1978 में घोषित।
  8. मैंगनीज अवसादी शैलों से प्राप्त होता है।



– “हरि अग्नि’ की उपमा :- पन्ना

– “हरसौठ’ की उपमा :- जिप्सम

– गार्नेट को तामड़ा या रक्तमणि भी कहा जाता है।

– एस्बेस्टॉस को “Rock Wool’ या “Mineral Silk’ भी कहा जाता है। एस्बेस्टॉस अग्नि व विद्युत का कुचालक होता है। एम्फीबॉल राजस्थान में पाई जाने वाली एस्बेस्टॉस खनिज की किस्म है।

– राजस्थान में क्वार्ट्‌जाइट का उत्पादन सवाईमाधोपुर में होता है।

– नीम का थाना (सीकर) :- चीनी मिट्‌टी धुलाई का कारखाना।

– “Yellow Cake’ की उपमा :- यूरेनियम को।

– ग्रेफाइट :- “Black Head’ या “Mineral Carbon’ की उपमा

– हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड :- नवम्बर 1967 में स्थापना

– हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड :- जनवरी 1966 में स्थापित

– पूनम :- ऑयल इण्डिया लिमिटेड द्वारा बीकानेर – नागौर बेसिन में खोजा गया तेल क्षेत्र।

– राजस्थान में पेट्रोलियम निदेशालय की स्थापना :- 1997 में।

– रॉक फॉस्फेट :- अम्लीय भूमि को उपजाऊ बनाने में उपयोगी।

जिप्सम :- क्षारीय भूमि को उपजाऊ बनाने में उपयोगी।

– राजस्थान राज्य खान व निगम लिमिटेड (RSMML) की स्थापना :- 1974 में।

– राजस्थान राज्य खनिज विकास निगम (RSMDC) की स्थापना :- 27 सितम्बर, 1979

20 फरवरी, 2003 को RSMDC का RSMML में विलय।

– प्रोजेक्ट सरस्वती :- ONGC की 1000 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना, जिसके तहत जैसलमेर जिले में मीठे भूमिगत जलस्रोत खोजने के लिए कुएँ खोदेगी।

– बायोफ्यूल प्राधिकरण :- सितम्बर 2005 को स्थापित।

– गोटन व खारिया खंगार :- सफेद सीमेंट के कारखाने।

– केल्साइट :- मकराना में मिलने वाले विश्व प्रसिद्ध संगमरमर की किस्म।

– मार्बल आयात नीति :- 1 अक्टूबर, 2016

– मंगला तेल क्षेत्र से 29 अगस्त, 2009 को खनिज तेल उत्पादन प्रारम्भ किया गया।

– राजस्थान में गौण खनिजों की संख्या :- 55

– राजस्थान में रीको व कोटरा (कोरिया ट्रेड इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन एजेन्सी) ने मिलकर घीलोठ (अलवर) में साउथ कोरियन इण्डस्ट्रियल जोन की स्थापना करने का निर्णय लिया है।

– भीलवाड़ा के हमीरगढ़ क्षेत्र की पहाड़ियों में लौहे के भण्डार मिले हैं।

– डी. ए. पी. उर्वरक कारखाना :- कपासन (चित्तौड़गढ़)

– खनिज नीति 2015 के अनुसार राजस्थान में 79 किस्म के खनिज पाये जाते हैं जिनमें से 57 का व्यवसायिक दृष्टि से विदोहन किया जा रहा है।

– राजस्थान का सीसा-जस्ता, जिप्सम, सोपस्टोन, बॉलक्ले, कैल्साइट, रॉक फॉस्फेट, फेल्सपार, कैओलीन, तांबा, जास्पर, गार्नेट, वोलस्टोनाइट चाँदी के उत्पादन में एकाधिकार है।



– राजस्थान रिफाइनरी :- पचपदरा (बाड़मेर) में।

प्रदेश की पहली व देश की 26वीं रिफाइनरी।

16 जनवरी, 2018 को कार्य शुभारम्भ।

संयुक्त भागीदारी : HPCL (74%) व राजस्थान सरकार (26%)

BS-VI मान की पहली रिफाइनरी।

लागत :- 43,129 करोड़ रुपये।

क्षमता :- 9 MMTPA

इस रिफाइनरी में पेट्रोकेमिकल्स कॉम्पलेक्स का निर्माण किया जायेगा।

– राजस्थान में पहला सीमेन्ट कारखाना :- लाखेरी (बँूदी) में 1917 में।

– पन्ना की अन्तर्राष्ट्रीय मंडी :- जयपुर में।

– वर्ष 2016 में ब्यावर (अजमेर), साबला (डूंगरपुर) व टोंक में लाइमस्टोन पाया गया।

– गार्नेट उत्पादक जिले :- टोंक, उदयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, जयपुर।

– जास्पर उत्पादक जिला :- जोधपुर

– वर्मीक्युलाइट उत्पादक जिले :- अजमेर व बाड़मेर।

– फेल्सपार को “Moon Stone’ भी कहा जाता है।



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