राजस्थान मे उद्याेग-Industries in Rajasthan
उद्योग
- देश में क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रथम राज्य होते हुए औद्योगिक दृष्टि से भौगोलिक कारणों से राजस्थान पिछड़ा हुआ राज्य है।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के समय उद्योग :स्वतंत्रता प्राप्ति के समय राज्य में 11 वृहद् एवं मध्यम स्तर के उद्योग थे। इनमें 7 सूती वस्त्र मिलें, 2 शक्कर के कारखाने तथा 2 सीमेण्ट के कारखाने थे।
- इस पिछडेपन का मुख्य कारण आजादी से पूर्व राजस्थान का छोटी छोटी रियासतों में बँटा होना तथा तत्कालीन शासकों द्वारा औद्योगिक विकास पर ध्यान न देना था।
- राजस्थान में औद्योगिक विकास के लिए 1949 में उद्योग विभाग की स्थापना की गई तथा 1978 में जिला उद्योग केन्द्रो की स्थापना की गई।
राज्य में औद्योगिक विकास
- प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-56)– इस अवधि में राजस्थान में औद्योगिक कार्यक्रमों पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया।
- द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-61)– इस काल में राज्य में बड़े उद्योगों के अन्तर्गत भरतपुर मेंवैगन फैक्ट्री चालू की गई।
- तृतीय पंचवर्षीय योजना (1961-66)– इस काल में राज्य में भाखड़ा और चम्बल परियोजना से विद्युत सुविधा प्रारम्भ हुई तथा कई सूती कपड़े की मिले स्थापित हुई।
- चतुर्थ पंचवर्षीय योजना (1969-74)– इस काल में औद्योगिक विकास हेतु 4 करोड़ रुपये व्यय किये गये।
- पांचवी पंचवर्षीय योजना (1974-79)– इस काल में औद्योगिक एवं खनिज विकास पर 1 करोड़ रुपये व्यय किये गये।
- छठी पंचवर्षीय योजना (1980-85)– इस काल में उद्योग एवं खनिज विकास पर 59 करोड़ रुपये की राशि व्यय की गई।
- सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-90)– इस काल में मैसर्स अरावली फर्टिलाइजर्स लिमिटेड को गैस आधारित खाद संयंत्र की स्थापनागड़ेपान (कोटा) में की गई। जयपुर में जैम स्टोन इण्डस्ट्रियल पार्क की स्थापना की गई।
- आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-97)– इस काल में कोटा, जयपुर, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर आदि राजस्थान राज्य में प्रमुख औद्योगिक केन्द्र बन गये।
- नवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002)– इस अवधि में राज्य के बड़े व मध्यम उद्योगों के क्षेत्र में वृद्धि हुई।
- दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-07)– इस योजना में कृषि उद्योग व सेवाओं जैसे- सभी क्षेत्रों में विकास की वार्षिक औसत दरें समस्त भारत की औसत दरों से अधिक आंकी गई।
- 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12)– इस योजना में खनिज एवं उद्योगों के विकास हेतु कुल राशि का 40% व्यय करने का प्रावधान किया गया।
- राज्य में सर्वाधिक वृहद् एवं मध्यम औद्योगिक इकाइयों वाले जिले :
(i) अलवर (ii) जयपुर।
- वे जिले जिनमें उद्योग केन्द्रित हैं अर्थात सर्वाधिक औद्योगिक जिले :
(i) जयपुर (ii) पाली।
- कम औद्योगिक जिले :(i) बारां में 3 बड़े उद्योग (ii) झालावाड- 3 (iii) जालौर- 3 (iv) जैसलमेर- 4 (v) चूरू- 9 (vi) धौलपुर- 9।
सूतीवस्त्र उद्योग :
- यह आधुनिक संगठित उद्योगों में राज्य का परम्परागत व प्राचीनतम उद्योग है। राज्य की पहली सूती वस्त्र मिल कृष्णा मिल्स लिमिटेड है, जिसकी स्थापना 1889 ई. में सेठ दामोदर राठी ने ब्यावर में की थी।
- राज्य में सर्वाधिक सूती वस्त्र मिलें भीलवाडा जिले में है।
- राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र में सूती वस्त्र मिलें ब्यावर (अजमेर) तथाविजयनगर में स्थापित की गई हैं।सहकारी क्षेत्र में गुलाबपुरा (भीलवाड़ा), गंगापुर (भीलवाड़ा) तथा हनुमानगढ़ में सूती वस्त्र मिलें स्थापित की गई हैं। भीलवाड़ा को ‘राजस्थान का मेनचेस्टर’ या वस्त्र नगरी कहा जाता है।
- स्पिनफैड (राजस्थान राज्य सहकारी स्पिनिंग व जिनिंग मिल्स संघ लिमिटेड) की स्थापना :- 1 अप्रैल, 1993 को।
राजस्थान की प्रमुख सूती वस्त्र मिलें
मिलें | स्थापना | स्थान |
एडवर्ड मिल्स लिमिटेड | 1906 | ब्यावर |
श्री महालक्ष्मी मिल्स लिमिटेड | 1925 | ब्यावर |
मेवाड़ टेक्सटाइल्स मिल्स | 1938 | भीलवाड़ा |
महाराजा उम्मेद सिंह मिल्स लिमिटेड | 1942 | पाली |
सार्दुल टेक्सटाइल्स लिमिटेड | 1946 | श्रीगंगानगर |
राजस्थान स्पिनिंग एण्ड वीविंग मिल्स | 1960 | भीलवाड़ा |
आदित्य मिल्स | किशनगढ़ | |
उदयपुर कॉटन मिल्स | 1961 | उदयपुर |
राजस्थान टेक्सटाइल्स मिल्स | 1968 | भवानीमण्डी |