चीनी उद्योग :
- देश का दूसरा बडा कृषि आधारित उद्योग लेकिन राजस्थान में चीनी का उत्पादन बहुत कम मात्रा में होता है।
- राज्य के गन्ना उत्पादन में प्रथम स्थान पर गंगानगर जिला तथा द्वितीय स्थान बूँदी जिला है।
- राज्य में चीनी की तीन (एक निजी क्षेत्र, में एक सार्वजनिक क्षेत्र में तथा एक सहकारी क्षेत्र में) वृहद् इकाइयाँ हैः
(i) दि मेवाड शुगर मिल्स लिमिटेड भोपाल सागर (चितौडगढ 1932) : यह निजी क्षेत्र में है तथा राज्य की प्राचीनतम चीनी मिल है।
(ii) दि गंगानगर शुगर मिल्स लिमिटेड श्री गंगानगर (1956) : यह सार्वजनिक क्षेत्र में है तथा इसमें उत्पादन सन् 1945 से आरम्भ हुआ था। उस समय यह बीकानेर इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन लिमिटेड के नाम से स्थापित कि गई थी यहाँ गन्ना एवं चुकन्दर दोनों से चीनी बनाई जाती है। इसके अधीन एक शराब और स्प्रिट बनाने का कारखाना तथा धौलपुर की ग्लास फैक्ट्री भी कार्यरत है।
(iii) श्री केशोरायपाटन सहकारी शुगर मिल्स लि., केशोरायपाटन (बूँदी) 1965 यह सहकारी क्षेत्र में है। इसका एक उद्देश्य आस-पास के क्षेत्रों में गन्ने के उत्पादन को बढावा देना भी है।
ऊनी वस्त्र उद्योग
- राज्य में ऊन का उत्पादन देश के कुल ऊन का लगभग 40 प्रतिशत होता है।
- राजस्थान में ऊन उद्योग से संबंधित संस्थाएँ एवं फैक्ट्रियाँ निम्न हैं-
- स्टेट वूलन मिल- बीकानेर
- वर्स्टेड स्पिनिंग मिल्स- चूरू तथा लाडनूँ (नागौर)
- जोधपुर ऊन फैक्ट्री- जोधपुर
- एशिया की सबसे बड़ी ऊन मण्डी- बीकानेर है।
कागज उद्योग
- राज्य के उदयपुर, बाँसवाड़ा तथा चित्तौड़गढ़ जिलों में बाँस की प्रचुरता के कारण कागज उद्योग पनप सकता है।
- राज्य में कागज बनाने का पहला कारखाना सांगानेर (जयपुर) में महाराजा मानसिंह प्रथम द्वारा लगाया गया था।
- घोसुण्डा (चित्तौड़गढ़) तथा साँगानेर (जयपुर) में हाथ से कागज बनाया जाता है।
- ‘कुमारप्पा राष्ट्रीय हस्तनिर्मित कागज विकास संस्थान’ साँगानेर जयपुर में स्थित है।
काँच उद्योग
- राज्य के जयपुर, बीकानेर, बूँदी तथा धौलपुर आदि जिलों में उत्तम श्रेणी के काँच, बालू के पत्थर पाए जाते है।
- राज्य में काँच उद्योग मुख्यतः धौलपुर में केन्द्रित है क्योंकि यहाँ श्रेष्ठ किस्म की बालू तथा आगरा से कुशल कारीगरों की पर्याप्त उपलब्धता है।
- नया कारखानाकहरानी (अलवर) में लगाया जा रहा है।
- काँच उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में मुख्यतः क्वार्ट्ज एवं काँच मिट्टी की आवश्यकता होती है।
- राज्य में धौलपुर ग्लास वर्क्स की स्थापना निजी क्षेत्र के काँच की बोतलें बनाने हेतु की गई।
(i) दी हाई टैक प्रिसिजन ग्लास वर्क्स, धौलपुर
(ii) धौलपुर ग्लास वर्क्स, धौलपुर
(iii) सैम्कोर ग्लासेज लि., नया नोहरा, कोटा (टी.वी. ग्लास का उत्पादन)
(iv) सेंट गोबेन फ्रांसीसी कम्पनी का नया कारखाना कहरानी, भिवाड़ी में खोला गया।
एशिया का सबसे बड़ा फ्लोट ग्लास संयंत्र :- भिवाड़ी (अलवर) में।