राजस्थान मे कृषि एवं प्रमुख फसलें नोट्स




विशिष्ट कृषि जिन्सों की मण्डियों की स्थापना : ‘उत्पादन वहाँ विपणन‘ के सिद्धान्त को दृष्टिगत रखते हुए राज्य में पहली बार निम्नलिखित विशिष्ट मण्डियाँ स्थापित की गई हैं-

क्र.सं. नाम मुख्य/गौण मण्डी जिन्स का नाम   क्र.सं. नाम मुख्य/गौण मण्डी जिन्स का नाम
1.मेड़ता सिटी (नागौर)जीरा2.जोधपुरजीरा
3.भवानी मण्डी (झालावाड़)सन्तरा4.टोंकमिर्च
5.अलवरप्याज6.श्रीगंगानगरकिन्नू
7.सवाई माधोपुरअमरूद8.रामगंज मण्डी (कोटा)धनिया
9.अजमेरफूल10.पुष्कर-अजमेर फ.स.फूल
11.चौमूँ (जयपुर)आंवला12.शाहपुरा-जयपुर फ.स.टिण्डा
13.बस्सी-जयपुर फ.स.टमाटर14.छीपाबड़ौद-छबड़ा (बारां)लहसुन
15.सोजतसिटी-सोजत रोड़ (पाली)सोनामुखी16.सोजतसिटी-सोजत रोड़(पाली)मेहन्दी
17.भीनमाल (जालौर)ईसबगोल18. झालरापाटन(झालावाड़)अश्वगंधा
19.बीकानेर (अनाज मंडी)मूंगफली   




कृषि विस्तार हेतु योजनाएँ एवं कार्यक्रम

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एन.एफ.एस.एम.)

  • केन्द्रीय सरकार द्वारा केन्द्र प्रवर्तित योजना के रुप में वर्ष 2007-08 से राज्य में गेहूं एवं दलहन पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन प्रारम्भ किया गया था। वर्तमान में इस मिशन मे 7 फसले शामिल है।
  • भारत सरकार ने वर्ष 2015-16 के दौरान वित्त पोषण पैटर्न में परिवर्तन कर केन्द्रीय एवं राज्य के अंश का अनुपात 60:40 कर दिया है।
  • वर्ष 2015-16 में गेहूं एवं दलहन पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एन.एफ.एस.एम.) के अन्तर्गत प्रमाणित बीजों का वितरण, उन्नत उत्पादन तकनीक का प्रदर्शन, समेकित पोषण प्रबन्धन (आई.एन.एम.), जैविक खाद, सूक्ष्म तत्वों, जिप्सम, समन्वित कीट प्रबन्धन (आई.पी.एम.), कृषि यंत्रों, फव्वारा, पम्प सैट, सिंचाई जल हेतु पाइप लाईन, मोबाईल रेनगन एवं फसल तंत्र आधारित प्रशिक्षण आदि महत्वपूर्ण कार्यक्रम हैं।

राष्ट्रीय तिलहन एवं ऑयल पॉम मिशन (एन.एम.ओ.ओ.पी.)

  • राष्ट्रीय तिलहन एवं ऑयल पाम मिशन का मुख्य उद्देश्य तिलहन फसलों एवं वृक्ष जनित पौधों, खाद्यान्न की उत्पादकता में वृद्धि, गुणवत्ता में सुधार कर राज्य को खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भर बनाना है।
  • राजस्थान में मिशन के अन्तर्गत दो सब मिनी मिशन (मिनी मिशन-I तिलहनी फसलों एवं मिनी मिशन-III वृक्ष जनित तिलहनी फसलों के लिए) क्रियान्वित किये जा रहे हैं।
  • इस मिशन की मुख्य गतिविधियाँ आधारभूत एवं प्रमाणित बीज का उत्पादन, प्रामाणित बीज का वितरण, फसल प्रदर्शन, समन्वित कीट प्रबन्धन, पौध संरक्षण उपकरण, जैव उर्वरक, जिप्सम, जल वितरण के लिए पाइन लाईन, कृषक प्रशिक्षण, कृषि सृधार, नवाचार, फव्वारा सेट तथा आधारभूत विकास आदि हैं।
  • भारत सरकार ने वर्ष 2015-16 में वित्त पोषण पैटर्न में परिवर्तन कर केन्द्रीयांश एवं राज्यांश का अनुपात 60:40 कर दिया है।


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