नसीराबाद में विद्रोह
- राजस्थान में क्रांति की शुरुआत नसीराबाद छावनी से हुई। नसीराबाद छावनी अजमेर में स्थित है। इसका निर्माण 25 जून, 1818 ई. में किया गया।
- 15वीं बंगाल नेटिव इंफेंट्री के एक सैनिकबख्तावर सिंह द्वारा एक अंग्रेज अधिकारी प्रिचार्ड से पूछा गया कि तुम्हें हमारे ऊपर विश्वास नहीं है, अंग्रेज अधिकारी से उसे संतोषजनक उत्तर नहीं मिला, अत: 28 मई, 1857 ई. को नसीराबाद छावनी में दोपहर 3 बजे के लगभग विद्रोह हो गया।
- नसीराबाद मेंस्पोटिश वुड व कर्नल न्यूबरी नामक दो अंग्रेज अधिकारियों को काटकर टुकड़े कर दिए गए। दिल्ली में बहादुरशाह जफर को हिन्दुस्तान का बादशाह बनाया गया तथा उसने विद्रोही सैनिकों के नाम फरमान जारी किये। जोधपुर नरेश ने अंग्रेज अधिकारियों को जोधपुर आने का निमंत्रण दिया। इस पर अंग्रेज अधिकारी अपने परिवारों के साथ जोधपुर आ गए। ‘कर्नल पेन्नी’ का मार्ग में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
- नसीराबाद से क्रांतिकारी दिल्ली की ओर रवाना हुए।
नीमच में विद्रोह
- 2 जून, 1857 कोकर्नल एबॉट ने हिंदू सिपाहियों को गंगा और मुस्लिम सिपाहियों को कुरान की शपथ दिलाई कि वे ब्रिटिश शासन के प्रति वफादार रहेंगे। एबॉट ने स्वयं भी बाइबिल को हाथ में लेकर शपथ ली, जिससे वे सिपाहियों का समर्थन प्राप्त कर सके, इसी शपथ के समय एक सैनिक मोहम्मद अली बेग ने अंग्रेजों से कहा कि- अंग्रेजों ने स्वयं अपनी शपथ का पालन ( वफादारी) नहीं किया है, क्या आपने अवध का अपहरण नहीं किया? इसलिए भारतीय भी अपनी शपथ का पालन करने को बाध्य नहीं हैं। 3 जून, 1857 ई. को रात्रि के 11 बजे मो. अली बेग व हीरालाल के नेतृत्व में सैनिकों ने विद्रोह कर दिया।
- नीमच में क्रांति की शुरुआत हुई। नीमच छावनी मेजर शावर्स के नियंत्रण में थी।
- नीमच छावनी को नष्ट-भ्रष्ट कर क्रांतिकारी सैनिक वहाँ से चितौड़गढ, हम्मीरगढ़ व बनेड़ा के सरकारी बंगलों को लूटते हुए शाहपुरा पहुंचे, वहाँ के शासक लक्ष्मणसिंह ने अंग्रेजों के लिए किले का दरवाजा नहीं खोला । वहाँ से शॉवर्स जहाजपुर होता हुआ वापस नीमच गया और 8 जून,1857 ई.को नीमच पर वापस ईस्ट इंडिया कंपनी का अधिकार हो गया।,
- नीमच छावनी के क्रांतिकारियों ने डूंगला, चित्तौड़गढ में रूगाराम किसान के घर 40 अंग्रेज अधिकारियों को बंदी बनाकर रखा। मेजर शावर्स के कहने पर उदयपुर के महाराणा स्वरूप सिंह ने इन 40 अंग्रेज अधिकारियों को यहां से निकालकर पिछोला झील के किनारे जगमंदिर नामक मन्दिर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। यहां इन अंग्रेज अधिकारियों की देखभाल गोकुल चन्द मेहता द्वारा की गई।
- निम्बाहेड़ा के पटेल तारा को वहाँ के हाकीम को भगा देने तथा नीमच के संदेश वाहक की हत्या के अपराध में तोप से उड़ा दिया।