भरतपुर में विद्रोह
- भरतपुर में क्रांति का नेतृत्व 31 मई, 1857 ई. कोगुर्जर-मेवों ने किया।
- क्रांति के समय भरतपुर का राजा जसवंत सिंह नाबालिक था इसलिए यहां की शासन व्यवस्था मेजर मॉरिसन के हाथ में थी, लेकिन मॉरीसन विद्रोह के दौरान भागकर आगरा चला गया।
तिथ्यानुसार विद्रोह का क्रम-
क्रांति की तिथि स्थान
28 मई, 1857 नसीराबाद में विद्रोह
31 मई,1857 भरतपुर राज्य में विद्रोह
3 जून, 1857 नीमच में विद्रोह
10 जून, 1857 देवली छावनी में विद्रोह
14 जून,1857 टोंक राज्य में विद्रोह
11 जुलाई,1857 अलवर राज्य में विद्रोह
9 अगस्त, 1857 अजमेर के केंद्रीय कारागार में विद्रोह
21 अगस्त,1857 एरिनपुरा के सैनिकों का विद्रोह
23 अगस्त,1857 जोधपुरा लीजियन में विद्रोह
8 सितम्बर, 1857 बिठौड़ा / बिथौड़ा का युद्ध
18 सितम्बर, 1857 चेलावास का युद्ध
27 अक्टूबर, 1857 धौलपुर राज्य में विद्रोह
15 अक्टूबर, 1857 कोटा में विद्रोह
1857 की क्रांति की असफलता के कारण
- क्रांति का एक साथ निर्धारित समय पर शुरू न होना
- कुछ सीमित स्थानों पर ही क्रांति का होना।
- जनता की क्रांति में ज्यादा भागीदारी न होना।
- राजा-महाराजाओं का अंग्रेजों को सहयोग देना व विद्रोह दमन करना।
- विद्रोह में राजाओं के सहयोग के बारे में लार्ड कैनिंग ने कहा इन्होनें तूफान में तरंग अवरोध का कार्य किया, नहीं तो हमारी कश्ती बह जाती।’ विद्रोह के बारे में जॉन लॉरेन्स ने कहा कि यदि विद्रोहियों में एक भी योग्य नेता रहा होता तो हम सदा के लिए हार जाते।’