1857 की क्रांति के परिणाम
- 1857 ई. के विद्रोह के बाद ब्रिटिश संसद में भारत सरकार अधिनियम ( 2 अगस्त, 1858 ई. को पारित हुआ ) के द्वारा कम्पनी का शासन समाप्त हो गया व भारत का शासन बिटिश क्राउन ब्रिटिश ताज ने अपने हाथों में ले लिया।
- 1 नवम्बर 1858 ई. को इलाहाबाद में दरबार आयोजित कर लार्ड केनिंग ने महारानी विक्टोरिया की उद्घोषणा को पढ़ा जिसे इलाहाबाद घोषणा पत्र के नाम से जाना जाता है।
- भारत मेंवायसराय का नया पद सृजित किया गया तथा भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन 1858 ई. में समाप्त किया।
- 1858 ई. मेंभारत सचिव का पद सृजित हुआ तथा प्रथम भारत सचिव चार्ल्स वुड को बनाया गया।
- 1858 ई. में लार्ड कैनिंग के द्वारा जोनाथन पील कमीशन गठित किया जिसने सेना में भारतीय सैनिकों का अनुपात कम कर दिया।
- 1857 के विद्रोह से पूर्व ब्रिटिश और भारतीय सेना का अनुपात 1:5 था, 1857 ई. में ईस्ट इण्डिया कम्पनी में भारतीय सैनिकों की कुल संख्या 2,38,000 थी। विद्रोह के पश्चात् बंगाल प्रेसिडेन्सी में यूरोपीय और भारतीय सैनिकों का अनुपात 1:2 तथा मद्रास और बम्बई प्रेसिडेन्सी में 1:3 का अनुपात रखा गया।
1857 की क्रांति के प्रमुख व्यक्तित्व –
अमरचंद बांठिया-
- ये मूलत:बीकानेर के निवासी थे तथा ग्वालियर में व्यापार करते थे। इन्हें ग्वालियर का नगर सेठ और कोषाध्यक्ष का सम्मान प्राप्त हुआ।
- 1857 की क्रांति के समय अमरचंद बांठिया ने रानी लक्ष्मी बाई की आर्थिक सहायता की थी। अत: इनको ग्वालियर में सराफा बाजार में सन् 22 जून, 1858 ई. को फाँसी दे दी गई। इन्हें राजस्थान का प्रथम शहीद और राजस्थान का मंगलपांडे कहा जाता है। लक्ष्मीबाई की आर्थिक सहायता करने के कारण इनको इस क्रांति का भामाशाह भी कहा गया।
डूंगरजी – जवाहर जी (काका-भतीजा)
- यह मूलत:सीकर के बठोठ-पटोदा के निवासी थे व शेखावाटी रेजीमेंट में रिसालहदार के पद पर कार्यरत थे।
- इन्होंने सन् 1875 ई. में नसीराबाद छावनी को लूटा था। शेखावटी रेजीमेंट का मुख्यालय झूंझुनूँ में था। अंग्रेजों ने डूंगजी को बंदी बनाकर आगरा दुर्ग में रखा था। जवाहरजी ने लोठिया जाट, करणिया मीणा व साँवता नाई आदि की सहायता से डूंगरजी को मुक्त करवाया। बीकानेर रियासत ने जवाहरजी को संरक्षण दिया।
रामसिंह द्वितीय-
- यहबूंदी के महाराजा थे। इन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से तात्या टोपे की सहायता की।
- सूर्यमल्ल मिश्रण इनके दरबारी साहित्यकार थे। इनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार है- वंश भास्कर, वीर सतसई। सूर्यमल्ल मिश्रण ने क्रांति के दौरान हाथी पर बैठकर युद्ध भूमि में क्रांतिकारयों का उत्साहवर्धन किया था। क्रांति के दौरान अंग्रेजों ने बाबोसर गढ़ (सीकर) को बारूद से उड़ा दिया था।
मेहराब खान (कोटा) –
- कोटा स्टेट आर्मी में रिसालदार मेहराब खान का जन्म तत्कालीन कोटा स्टेट केकरौली में 11 मई, 1815 ई. को हुआ। इन्होंने कोटा में एजेंसी हाउस पर अक्टूबर, 1857 में आक्रमण किया। इस आक्रमण में राजनीतिक एजेंट मेजर बर्टन, उनके दो पुत्र और कई सारे लोग मारे गए तथा इन्होंने लाला जयदयाल भटनागर के साथ कोटा राज्य का शासन अपने हाथ में ले लिया।
- 1859 ई. में अंग्रेजों के हाथों पकड़े गए और इन्हें मृत्युदंड दे दिया गया था।
रावत जोधसिंह (कोठारिया) –
- मेवाड़ केकोठारिया ठिकाने के रावत जोधसिंह ने 1857 ई. की क्रांति के समय क्रांतिकारियों का साथ दिया।
- रावत जोधसिंह ने आउवा के ठाकुर कुशालसिंह को अंग्रेजों के विरुद्ध सहायता दी तथा बाद में उन्हें अपने यहाँ शरण भी दी।
- जोधसिंह ने अगस्त, 1858 ई. में ताँत्या टोपे की रसद आदि से सहायता की। विद्रोही नेता नाना साहब जब बिठुर से भाग कर कोठारिया की ओर आया, तब रावत जोधसिंह ने उसे शरण दी तथा उसकी हरसंभव सहायता की।
लाला जयदयाल भटनागर (कोटा)-
- इनका जन्म भरतपुर स्टेट केकामां नामक सथान पर हुआ।
- ये कोटा महाराव के दरबार में वकील थे। इन्होंने 1858 ई. में अंग्रेजी आक्रमण के विरुद्ध जनता में विप्लवकारी टुकड़ियों का नेतृत्व किया। कोटा के महाराव ने इनकी गिरफ्तारी के लिए 10 हजार रुपए का इनाम की घोषणा की।
- 17 सितम्बर, 1860 में इस क्रांतिकारी नेता को कोटा के एजेंसी हाउस में फाँसी दी गई। लाला जयदयाल कोटा में 1857ई. की क्रांति का मुख्य संगठनकर्ता था।