राजस्थान में 1857 की क्रांति
- राजस्थान की रियासतों ने1818 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ संधि करके बाह्य आक्रमणों के प्रति निश्चिंत हो गए, लेकिन कंपनी द्वारा उन संधि की शर्तों के अनुसार आंतरिक मामलों में भी हस्तक्षेप किया जाने लगा।
- 1757 ई. के प्लासी के युद्धसे 1857 की क्रांति के मध्य ब्रिटिश शासन ने भारत में अपने एक सौ वर्ष पूरे कर लिए थे। भारत में अंग्रेजी नीतियों के विरुद्ध पनप रहे असंतोष का शासक वर्ग को पूर्वाभास हो चुका था।
- इस संदर्भ मेंजॉन सुलीवान का यह कथन उल्लेखनीय है- ‘हमें यह कदाचित् नहीं भूलना चाहिए कि भारत के इस शांत आकाश में कभी भी एक छोटी सी बदली उत्पन्न हो सकती है, जिसका आकार पहले तो मनुष्य की हथेली से बड़ा नहीं होगा, किंतु जो उत्तरोतर विराट रूप धारण करके अंत में वृष्टि विस्फोट के द्वारा हमारी बर्बादी का कारण बन सकती है।’
- राजस्थान काप्रथम एजेंट टू गवर्नर जनरल लॉकेट को बनाया गया।
- 1832 ई. में ए. जी. जी. का मुख्यालय अजमेरमें स्थापित किया गया।
- 1845 में ए. जी. जी. कामुख्यालय ग्रीष्मकाल में माउण्ट आबू (सिरोही) में स्थापित किया गया।
- राजस्थान मेंलार्ड डलहौजी की हड़पनीति / गोदनिषेध नीति / डाक्ट्रिन ऑफ लेप्स नीति द्वारा हड़पा गया प्रथम क्षेत्र ब्यावर तथा हड़पी गई प्रथम रियासत उदयपुर थी।
- 1857 की क्रांति के समय इंग्लैंड का प्रधानमंत्री पार्मस्टर्न था।
- 1857 में ईस्ट इंडिया कंपनी कामुख्य सेनापति जॉर्ज एनिसन था।
- 1857 काविद्रोह शुरू होने के पश्चात् सेनापति कॉलिन कैम्पबैल को बनाया गया।
- चर्बी लगे कारतूसों का प्रयोग 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण माना जाता है।
- कैनिंगने 1857 में ब्राउन बैस रायफल की जगह एनफील्ड रायफल का प्रयोग शुरू करवाया। इसमें कारतूस लगाने के लिए दाँत से चर्बी का खोल उतारना पड़ता था। इस कारतूस में गाय व सुअर दोनों की चर्बी का प्रयोग हुआ था। अत: हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्षों के सैनिकों में असंतोष उत्पन्न हुआ और 1857 की क्रांति की शुरुआत हुई।
- भारत में 1857 कीक्रांति का नेतृत्व बहादुर शाह जफर के द्वारा किया गया।
- बैरकपुर छावनी, पश्चिमी बंगाल की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेन्ट्री के सैनिकमंगल पांडे व ईश्वरपांडे ने 29 मार्च,1857 को इन रायफलों का प्रयोग करने से मना कर दिया व सर ह्यूस्टन तथा सर बाग की हत्या कर दी। 8 अप्रैल, 1857 ई. को मंगलपांडे व ईश्वरपांडे को कोलकाता में फांसी दे दी गई।
- 1857 की क्रांति में फांसी पर चढ़ने वाला प्रथम क्रांतिकारी मंगल पांडे था। इसे रॉबर्ट हुक नाम के अंग्रेज अधिकारी ने फाँसी की सजा सुनाई।
- राजस्थान में 1857 की क्रांति में फांसी पर चढ़ने वाला प्रथम क्रांतिकारी बीकानेर निवासीअमरचंद बांठिया था, जिसे 22 जून, 1857 को ग्वालियर में पेड़ पर लटका कर फाँसी दे दी गई।
- 1857 की क्रांति का भामाशाहअमरचंद बांठिया को कहते हैं तथा इसे राजस्थान का मंगल पांडे भी कहते हैं।
- 1857 की क्रांति के समय शहीद होने वाला राज्य कासबसे युवा क्रांतिकारी हेमू कालानी था। यह टोंक का निवासी था।
- राजस्थान में 1857 की क्रांति की शुरुआत28 मई, 1857 ई. को नसीराबाद छावनी अजमेर में गुरुवार के दिन हुई।
- 1857 की क्रांति के समय अंग्रेजों का शस्त्रागारअजमेर में था, वहीं एजीजी का मुख्यालय माउण्ट आबू (सिरोही) में था। उस समय एजीजी जॉर्ज पैट्रिक लॉरेंस था।
- अजमेर, मेरवाड़ा का नागरिक प्रशासन कमिश्नर कर्नल डिक्सन द्वारा संचालित था।
- 1857 की क्रांति के समय अंग्रेजों कीचार प्रमुख एजेंसियां कार्यरत थी-
- मेवाड़ राजपूताना स्टेट एजेंसी- उदयपुर – मेजर शॉवर्स
- राजपूताना स्टेट एजेंसी- कोटा – मेजर बर्टन
- पश्चिम राजपूताना स्टेट एजेंसी – जोधपुर – मैक मोसन
- जयपुर राजपूताना स्टेट एजेंसी- जयपुर- कर्नल ईडन
- राजस्थान में 1857 की क्रांति के समय 6 सैनिक छावनियाँ थी-
- खेरवाड़ा- उदयपुर- भील रेजिमेंट
- नीमच – वर्तमान में मध्यप्रदेश में – कोटा- कोटा बटालियन
- एरिनपुरा – पाली- जोधपुर लीजन
- ब्यावर- अजमेर – मेर रेजिमेंट
- नसीराबाद –अजमेर – बंगाल नेटिव इन्फेन्ट्री
- देवली- टोंक – कोटा कंटिंजेंट
- इनमें से 2 सैनिक छावनियां खेरवाड़ा और ब्यावर ने 1857 के विद्रोह में भाग नहीं लिया।
- क्रांति के समय इन छावनियों में पाँच हजार सैनिक थे, लेकिन सभी भारतीय सैनिक थे।