प्रष्न इसबगोल का कुल:-
प्रष्न गरीब का सेव कहलाता है:-
प्रष्न नीमगिरी में तेल की मात्रा व अजाडिरेक्टिन की मात्रा क्रमशः होती है:-
प्रष्न बेर के लिये उपयुक्त जलवायु।
प्रष्न इसबगोल का उत्पत्ति स्थल:-
प्रष्न बेर की झाड़ियाँ फल देने के बाद किस ऋतु में सुषुप्तावस्था में चले जाते है:-
प्रष्न बेर में कलिकायन हेतु उपयुक्त:-
प्रष्न नीम में R×R व P×P दूूरी रखते है:-
प्रष्न गमिंग मशीन का उपयोग करते है:-
प्रष्न बेर में कलिकायन हेतु व्यावसायिक प्रवर्धन की विधि।
प्रष्न वृक्षों पर चूने का लेप करके बचाया जा सकता है:-
प्रष्न भारत के किस राज्य में सर्वाधिक आम का उत्पादन होता है:-
प्रष्न नीम के कितने पुराने वृक्ष पर फल बनते है:-
प्रष्न बेर के पौधे लगाने हेतु गड्डों का आकार:-
प्रष्न नीम के एक वृक्ष से अनुमानतः एक वर्ष में कितने फल प्राप्त हो जाते है:-
प्रष्न तुलसी पादप में औषाीय महत्व का भाग है:-
प्रष्न बेर के वृक्षों में वर्ष के किस माह में वृन्तन या कटाई-छंटाई करते है:-
प्रष्न बेर की कटाई-छंटाई के बाद शाखाओं पर किसका लेप करते है:-
प्रष्न राजस्थान में सर्वाधिक आम का उत्पादन:-
प्रष्न वर्षा का अधिक होना कहलाता है:-
प्रष्न आम किस विटामिन का अच्छा स्त्रोत है:-
प्रष्न किस औषधीय पादप को नित्य जल चढ़ाना ही पुनित कार्य माना जाता है:-
प्रष्न बेर का मुख्य कीट:-
प्रष्न आम की सफल खेती हेतु उपयुक्त जलवायु:-
प्रष्न बेर के फलों की उपज वर्ष के किस माह में मिलती है:-
प्रष्न निम्न में से कौनसे देश में तुलसी की खेती व्यवसायिक स्तर पर की जाती है:-
प्रष्न बेर की सिंचित व असिंचित क्षेत्रों में प्रति पेड़/वर्ष उपज प्राप्त हो
प्रष्न मानव में आई शिथिलता, माताओं का दूध बढ़ाने एवं प्रसव पश्चात होने वलो रोगों की औषधीय हेतु उपयुक्त पौधा है:-
प्रष्न सफेद मूसली में औषधीय महत्व वाला भाग हे:-
प्रष्न FPO कम लागू हुआ:-
प्रष्न सफेद मूसली की जड़ों में पाये जाने वाला औषधीय महत्व का अवयव।
प्रष्न एकान्तर फलन की समस्या किसमें है:-
प्रष्न सफेद मूसली हेतु उपयुक्त जलवायु।
प्रष्न भारत में प्रथम परिरक्षण प्रयोगशाला (परीक्षण उद्योग शाला) कब व कहाँ स्थापित हुई ?
प्रष्न सफेद मूसली का B.N. है:-
प्रष्न छुंवारे किसके फल को सुखाकर बनाये जाते है:-
प्रष्न अनाजों की रानी:-
प्रष्न सब्जियों की रानी:-
प्रष्न आम की वृद्धि हेतु सर्वाािध्क उपयुक्त तापक्रम:-
प्रष्न हमारे देश में कितने प्रतिशत ;लगभगद्ध फल व सब्जियाँ तुड़ाई उपरान्त खराब हो जाती है:-
प्रष्न आम की अच्छी बढ़वार व फलन के लिये सर्वाधिक उपयुक्त मृदा है:-
प्रष्न हमारे देश में फल व सब्जी के कुल उत्पादन का कितना प्रतिशत भाग परिरक्षण में काम लिया जाता है:-
प्रष्न आम का उत्पत्ति क्षेत्र है:-
प्रष्न आम का फुलः-
प्रष्न मैंजीफेरा इण्डिका बा. नाम है:-
प्रष्न आम की बीज रहित किस्म:-
प्रष्न खजूर में प्रवर्धन की सर्वोत्तम विधि है:-
प्रष्न किसके बीजों में हरा रंजक द्रव्य (राजमोम, एल्यूमीन, पेक्टिन शर्करा एवं लुवाब द्रव्य) होता है:-
प्रष्न खजूर का उत्पत्ति स्थल:-
प्रष्न तुलसी का व्यावसायिक स्तर पर प्रवर्धन करते है:-
प्रष्न ईसबगोल की बुवाई का उपयुक्त समय:-
प्रष्न लहसुवा का उत्पत्ति स्थल है:-
प्रष्न सकर्स खजूर के कितने वर्ष पुराने पौधे के तने के पास निकलते है:-
प्रष्न खजूर में त्×च् की दूरी व गड्डे का आकार क्रमश रखते है:-
प्रष्न किस फल के गूदे से गोंद बनता है:-
प्रष्न खजूर के बगीचे में नर व मादा पौधों का अनुपात रखा जाता है:-
प्रष्न G-I-2 (गुजरात ईसबगोल&2) R.I.-B9 किस औषधीय पादप की उन्न किस्मे है:-
प्रष्न खजूर के एक पौधे से एक वर्ष में कितने सर्कस प्राप्त होते है:-
प्रष्न ईसबगोल में कतार से कतार की दूरी रखते है:-
प्रष्न तुलसी के पौधे की ऊँचाई होती है:-
प्रष्न लहसुवा का B.N.
प्रष्न सर्वाधिक कार्बोहाइड्रेट होता है:-
प्रष्न लहसुवा किस कुल से सम्बन्धित है:-
प्रष्न ईसबगोल के पौधे की लम्बाई व इससे निकलने वाले कल्लों की संख्या क्रमशः है:-
प्रष्न हलावी, मेघझूज, खदरावी, बरही, शामरान इत्यादि किस्में किस फल वृक्ष की से सम्बन्ध्तिा है:-
प्रष्न भारत के किस राज्य में सर्वाधिक खजूर का उत्पादन होता है:-
प्रष्न ईसबगोल का विश्व में सर्वाधिक उत्पादक एव ंनिर्यातित देश है:-
प्रष्न किस फलवृक्ष के लिये ‘‘सिर पर आग व जड़े पानी में कहावत उयुक्त है:-
प्रष्न ईबसगोल के बीजांकुरण के लिए सर्वाधिक उपयुक्त तापक्रम है:-
प्रष्न आर-आर.एल.ओ.सी.11, 02, 08, 07, 011 इत्यादि प्रजातियाँ है:-
प्रष्न तुलसी के एक फल से कितने बीज प्राप्त होते हैः-
प्रष्न खजूर के फलों के गुच्छे पर इथरेल की कितनी सान्द्रता के छिड़काव करने से फल शीघ्र पकते है एवं फल उच्च गुणवत्ता वाले होते हैः-
प्रष्न खजूर के फल -विकास की वह अवस्था जिसमे ंफल पूरा पककर गिर जाये:-
प्रष्न लहसुवा में प्रवर्धन की सर्वोत्तम विधि है:-
प्रष्न अंगूर का B.N. है:-
प्रष्न तुलसी की ख्ेाती से प्रथम वर्ष एवं बाद के वर्षो में होने वलो शकीय उत्पादन क्रमशः है:-
प्रष्न लहसुवा रोपण के कितने वर्ष बाद उपज देना प्रारम्भ कर देता है:-
प्रष्न तुलसी के पौधों में पुष्पन व फल पकने का समय क्रमशः हैः-
प्रष्न किस फल वुक्ष के फलों का आचार व सब्जी तथा पत्तों से पत्तल व दोने बनाये जाते है:-
प्रष्न तुलसी के बीजों में कितने समय की सुषुप्तावस्था होती है:-
प्रष्न राजस्थान के किस जिले में अंगूर का सर्वाधिक उत्पादन होता है:-
प्रष्न किस फलवृक्ष का वायुवरोधी रूप में रोपण करते है:-
प्रष्न खजूर में परागकण होता है:-
प्रष्न खजूर की किस अवस्था में फल हरे व विकसित अवस्था में कड़े होते है:-
प्रष्न एक है. में ईसबगोल की बुवाई हेतु बीजों की आवश्यकता:-
प्रष्न हमारे देश में खजूर को किस अवस्था में तोड़ते है:-
प्रष्न ईसबगोल किस ऋतु की फसल है:-
प्रष्न तुलसी की कटाई कि ििकतने दिनों पूर्व सिंचाई कर देनी चाहिये:-
प्रष्न ईसबगोल के बीजों का अंकुरण बुवाई के कितने दिनों बाद होता है:-
प्रष्न खजूर के विकास की अवस्था में फल पूर्ण विकसित कोश ठोस व लाल रंग के हो जाते है:-
प्रष्न इसबगोल की औसत पैदावार होती है:-
प्रष्न समुद्रतल की कितनी ऊँचाई तक तुलसी की खेती की जाती है:-
प्रष्न खजूर के 10-15 वर्ष की आयु एवं 16-40 वर्ष की आयु के फलवृक्षों से कितने kg फल 1 वृक्ष से प्राप्त हो जाते है:-
प्रष्न ईसबगोल की फसल कितने दिनों में तैयार हो जाती है:-
प्रष्न खजूर के फल विकास की किस अवस्था में फुलों का शीर्ष मुलायम हो जाता है:-
प्रष्न आम में उन्नत विधियों द्वारा प्रवर्धित किये गये पौधों का रोपण करना चाहिये:-
प्रष्न सफेद मूसली का कुल हैै:-
प्रष्न जब पुष्प में वर्तिका लम्बी व विपरीत हो तो स्थिति कहलाती है।
।
प्रष्न आम का मुख्य कीट:-
प्रष्न भारत के किस राज्य में सफेद मूसली की सर्वाधिक खेती है:-
प्रष्न आम के एक व्यावसायिक पौधे का उत्पादन कितना है:-
प्रष्न फलवृक्षों के फूलों में नर व मादा फुलों के अलग-अलग पकने को:-
प्रष्न एकान्तर फलन में जिस वर्ष आम की अचछी उपज प्राप्त होती है, कहलाता है:-
प्रष्न आम में जिस वर्ष उपज कम या नहीं होती है, उसे कहते है:-
प्रष्न सफेद मूसली का उत्पत्ति स्थल है:-
प्रष्न अलफासों, लंगड़ा, दशहरी, मुम्बई हरा, केसर, अरका अरूण, अरका अनमोल, अरका पुनीत इत्यादि किस्में किस फलवृक्ष की है:-
प्रष्न सफेद मूसली में बीज द्वारा प्रवर्धन करने हेतु बीजों की बुवाई का उपयुक्त समय।
प्रष्न अधिकांश एन्जाइम किस pH पर सक्रिय रहते हैः-
प्रष्न सफेद मूसली में बीजों का अंकुरण कितने दिन में हो जाता है:-
प्रष्न आम में मीलिबग को रोकने का प्रभावी उपायः-
प्रष्न पुष्प में नर जनांगों का पहले पकना कहलाता है:-
प्रष्न आम में ड्राउनी मिल्ड्यू अथवा चूर्णी फफूंद के नियंत्रण हेतु छिड़काव करते है:-
प्रष्न सफेद मूसली में किस माह में पौधे नर्सरी से खते में लगाने हेतु योग्य हो जाते है:-
प्रष्न फल सब्जियों के अस्थाई परिरक्षण में कितने से कम तापमान पर रखने पर उत्पाद खराब नहीं होते है:-
प्रष्न सफेद मूसली की कितने ग्राम की कंदिल जड़े बुवाई के लिये उपयुक्त रहती है:-
प्रष्न आम का चूर्णी-फफूंद रोग किस कवक के कारण होता है:-
प्रष्न सफेद मूसली में कन्दिल जड़ों की एक है. बुवाई हेतु कितनी कन्दिल जड़ों की आवश्यकता होगीः-
प्रष्न मादा जननांगों का नर जननांगों की तुलना मे ंपहले पकने को कहते है:-
प्रष्न प्रोटोएण्डी एवं प्रोओगायनी के उदाहरण क्रमशः हैः-
प्रष्न आम के वृक्ष अनवरत् रूप से वृद्धि नहीं करते इसके वृद्धि के स्वभाव को क्या कहते है:-
प्रष्न सफेद मूसली की खुलाई बुवाई के कितने समय बाद करते है:-
प्रष्न आम में अच्छे उत्पादन हेतु फूल आने के लिये:-
प्रष्न अस्थायी परीरक्षण में कितने अधिकतम तापमान से फल पदार्थो को परिरक्षित किया जा सकता है।
प्रष्न सफेद मूसली की अधिकतम ऊँचाई होती है:-
प्रष्न सफेद मूसली की कोनसी प्रजाति राज. में पायी जाती है:-
प्रष्न अधिकांश एंजाइमो की समुचित क्रिया कितने तापक्रम पर होती है:-
प्रष्न अस्थायी परिरक्षण हेतु नमक की मात्रा लेते है:-
प्रष्न आई.आई.वी.आर (IIVR-Indian Institutie of Vegetable of Agricultural Research) देश में कहाँ स्थित है:-
प्रष्न सेन्ट्रल इन्स्टीट्यूट फाॅर सब-ट्राॅपिकल हाॅर्टीकल्चर(CISH) स्थित है।
प्रष्न सेन्ट्रल इन्स्टीट्यूट आॅफ एरिड़ हाॅर्टीकल्चर (CIAH) स्थित है:-
प्रष्न बैंगन एवं टमाटर में प्रति है. बीज दर (पौधे लगाने हेतु)
प्रष्न पोमोलाॅजी में किसका अध्ययन किया जाता है:-
प्रष्न फ्लोरीकल्चर में किसका अध्ययन किया जाता है:-
प्रष्न ओलेरीकल्चर में अध्ययन करते है:-
प्रष्न लीची में वानस्पतिक प्रसारण की सर्वोत्तम विधि।
प्रष्न साॅस बनाने में सिरका का प्रयोग क्या बढ़ाने के लिये करते है:-
प्रष्न करौंदा का वानस्पतिक नाम है:-
प्रष्न किसके ताजे फल खाने व सूखाकर किसमिश बनाने में काम में:-
प्रष्न बेल का उत्पत्ति स्थल है:-
प्रष्न आंवला का कुल:-
प्रष्न करौंदा का कुल है:-
प्रष्न अंगूर के पौधों की उचित वृद्धि हेतु सर्वाधिक तापमान है:-
प्रष्न किसके फल ग्रीष्म ऋतु में शीतलता प्रदान करने वाले तथा क्षुधावर्धक होते है:-
प्रष्न आवंले में विटामिन ब् की मात्रा पायी जाती है:-
प्रष्न फालसा के लिए उपयुक्त जलवायु है:-
प्रष्न परलेट,पूसा सीड़लैस, थाॅम्सन सीड़लैस, बलैक प्रिस, ब्यूटी सीड़लैस, दाख कन्धारी बैंगलोर ल्यू, अर्का कंचन, अर्का श्याम, अंर्का हंस किस्म है:-
प्रष्न अंगूर के प्रवर्धन की विधि है:-
प्रष्न फालसे का पौधा किस ऋतु में पत्तियाँ गिराकर सुषुप्तावस्था में जाता है:-
प्रष्न फाल्से का प्रवर्धन किया जाता है:-
प्रष्न आंवले में प्रवर्धन की व्यवसायिक विधि है:-
प्रष्न अंगूर की कलमों में शीघ्र जड़े निकालने हेतु किसके घोल में डूबोते है ?
प्रष्न फालसा में R×R व P×P दूरी रखी जाती है:-
प्रष्न आवंले की किस किस्म में आन्तरिक उत्तक क्षय अधिक पाया जाता है:-
प्रष्न फलों को सुखाने हेतु जिस मशीन को काम में लेते है, उसे कहते है:-
प्रष्न किस फलवृक्ष में किस्मों के अभाव में दो वर्ग (A) शर्बती-मीठी किस्म (B) खट्टा या कड़वा-खट्ठी किस्म देखने को मिलती है:-
प्रष्न अंगूर में प्रवर्धन की सर्वोत्तम विधि है:-
प्रष्न नरेन्द्र बेल&1, 5, 7, 9 किस्में सम्बन्धित है:-
प्रष्न अंगूर में पौध रोपण का उपयुक्त समय:-
प्रष्न चकैया, बनारसी, फ्रांसिस (हाथीझूल) कंचन (NA-4) NA-7 कृष्णा, बलब GAI इत्यादि किस्में हैः-
प्रष्न अंगूर के प्रवर्धन हेतु कलमों की लम्बाई रखते है:-
प्रष्न फाल्से में बीज द्वारा लगाये गये पौधे कितने माह में रोपण योग्य हो जाते है:-
प्रष्न बेर में प्रवर्धन की सर्वोत्तम विधि है:-
प्रष्न अंगूर में R×R व P×P दूरी क्रमशः है:-
प्रष्न करौंदा में प्रवर्धन किया जाता है:-
प्रष्न लवणीय मृदा व जल की समस्याग्रस्त क्षेत्रों में अंगूर में प्रवर्धन कौनसे लवण रोधक मूलवृन्त का उपयोग कलिकायन करने हेतु करते है:-
प्रष्न अंगूर के पौधे लगाने हेतु R×R व P×P दूरी:-
प्रष्न बेल में कलिकायित पौधों में कितने वर्ष बाद फलन होता है:-
उत्तर 4-5 वर्ष बाद
प्रष्न फालसा के पौधे से कितनी उपज प्रतिवर्ष प्राप्त होती है:-
प्रष्न अंगूर के पौधे लगाने के 2-3 वर्ष तक उनको निश्चित आकार देने के लिए कटाई की जाती है, उसे कहते है:-
प्रष्न आंवला में आन्तरिक उत्तक क्षय किस तत्व की कमी के कारण होता है:-
प्रष्न फालसे का आपसी अन्तर रखते है:-
प्रष्न आंवलें का आपसी अन्तर रखते है:-
.
प्रष्न अंगूर में संधाई का मुख्य उद्देश्य है:-
प्रष्न आवंला की प्रमुख व्याधि है:-
प्रष्न फालसा के फल किस माह में पकते है:-
प्रष्न फालसा में कटाई-छटाई का कार्य किस माह में जमीन से 60 – 90 cm की ऊँचाई तक करना चाहिये:-
प्रष्न बेर में पुष्पन का समय है:-
प्रष्न आंवला रस्ट का रोगकारक है:-
प्रष्न दक्षिणी भारत में अंगूर की संधाई के लिये किस विधि का प्रयोग अधिक किया जाता है:-
प्रष्न करौंदा में फल आने व पकने का समय क्रमशः हैः-
प्रष्न अंगूर की कटाई-छटाई की जाती है:-
प्रष्न बेर में फूल आने के कितने माह बाद फल पककर तैयार हो जाते है:-
प्रष्न करौंदे की एक पूर्ण परिपक्व झाड़ी से कितने फल प्राप्त हो जाते है:-
प्रष्न बेर में कलिकायन किये हुये पौधों का रोपण का उपयुक्त समय:-
प्रष्न आवंले में आन्तरिक उत्तक क्षय के नियंत्रण हेतु सितम्बर के प्रारम्भ में बोरेक्स का 3 बार 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करना चाहिये।
प्रष्न पूण परिपक्व तना कलम कितने वर्ष पुरानी लकड़ी से प्राप्त करते है:-
प्रष्न शाकीय कलम का कितना भाग भूमि में दबा देते है:-
प्रष्न अर्द्ध परिपक्व तना कलम से किस वृक्ष के पौध तैयार किये जा सकते है:-
प्रष्न कलमों को पौधशाला में 2/3 भाग भूमि में दबाकर कितने अन्तराल पर लगाते है।
प्रष्न अंगूर में कोनसे वर्ष से उपज मिलना प्रारम्भ हो जाती है:-
प्रष्न करौंदे की व्यावसायिक खेती के लिए आपसी दूरी व गड्डे का आकार क्रमशः रखते है:-
प्रष्न कायिक प्रवर्धन द्वारा तैयार किया गया आंवलें का पौधा कितने वर्ष पश्चात् फल देना प्रारम्भ कर देता है:-
प्रष्न उत्तरी भाग में अंगूर में फूल आने का समय व पके हुये प्राप्त करने का समय क्रमश है:-
प्रष्न अंगूर में संधाई की सबसे पुरानी, आसान व सस्ती विधि है:-
प्रष्न पूर्ण तना फलन से जड़े निकलकर कितने दिन बाद पौधा तैयार हो जाता है:-