चौहान राजवंश




अलाउद्दीन खिलजी का जालौर आक्रमण :-

  • सिवाणा दुर्ग पर अधिकार के बाद अलाउद्दीन की सेना ने वहाँ के लोगों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया जिस कारण कान्हड़ देव की सेना ने अलाउद्दीन खिलजी की सेना पर आक्रमण कर दिया तथा उसके सेनानायक शम्स खाँ को बंदी बना लिया।
  • वर्ष 1311 में अलाउद्दीन खिलजी स्वयं जालौर आक्रमण के लिए सेना लेकर पहुँचा तथा कमालुद्दीन गुर्ग के नेतृत्व में दुर्ग पर घेरा डाला गया।
  • बीका दहिया द्वारा मुस्लिम सेना को दुर्ग मंे प्रवेश का गुप्त मार्ग बता दिया गया जिससे अलाउद्दीन खिलजी की सेना गुप्त मार्ग से दुर्ग में प्रवेश कर गई।
  • कान्हड़ देव तथा अलाउद्दीन खिलजी की सेना में भीषण संघर्ष हुआ। कान्हड़ देव, उसका पुत्र वीरम देव व अन्य राजपूत यौद्धा इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए तथा महिलाओं ने जौहर किया।
  • इस प्रकार 1311-12 ई. में अलाउद्दीन खिलजी का जालौर दुर्ग पर अधिकार हो गया।
  • कान्हड़ देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के मध्य इस युद्ध की जानकारी पद्मनाभ द्वारा रचित ‘कान्हड़दे प्रबंध’ तथा ‘वीरमदेव सोनगरा की वात’ में मिलती है।




नाडोल के चौहान

 

▪ शाकंभरी के चौहान शासक वाक्पतिराज के पुत्र लक्ष्मण चौहान ने 960 ई. के आसपास चावड़ा राजपूतों के आधिपत्य को समाप्त कर नाडोल में चौहान वंश की स्थापना की।

▪ शाकंभरी से निकलने वाली यह चौहानों की सबसे प्राचीन शाखा थी।

▪ लक्ष्मण चौहान ने नाडोल में अपनी कुलदेवी आशापुरा देवी के मंदिर का निर्माण करवाया।

▪ सुंधा पर्वत अभिलेख से ज्ञात होता है कि यहाँ के शासक बलीराज ने मालवा शासक मुंज काे पराजित किया था।

▪ हेमाचार्य सूरी के ग्रंथ ‘द्वयाश्रय काव्य’ के अनुसार यहाँ के शासक महेन्द्र ने अपनी बहिन के विवाह हेतु स्वयंवर का आयोजन किया था।




▪ महेन्द्र के बाद अणहिल्ल नाडोल का शासक बना जिसने गुजरात शासक भीमदेव प्रथम को पराजित किया।

▪ किराडु अभिलेख के अनुसार अल्हण देव जैन धर्मावलम्बी था जिसने हर माह की अष्टमी, एकादशी तथा चतुर्दशी के दिन जीव हिंसा पर रोक लगाई थी।

▪ अल्हण के पुत्र कीर्तिपाल ने ही जालौर में चौहान वंश की स्थापना की थी। कालांतर में जालौर के चौहान शक्तिशाली होते गये तथा 13वीं शताब्दी के प्रांरभ में नाडोल राज्य को अपने राज्य में मिला लिया।




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