चौहान राजवंश




 

सिरोही के चौहान

  • सिरोही का प्राचीन नाम अर्बुदांचल था। कर्नल जेम्स टॉड ने सिरोही का मूलनाम ‘शिवपुरी’ बताया है।
  • सिरोही में देवड़ा शाखा के चौहानों का संस्थापक लुम्बा था जो जालौर के चाैहानों की देवड़ा शाखा का वंशज था।
  • लुम्बा ने परमारों से आबू एवं चंद्रावती का क्षेत्र जीतकर स्वतंत्र राज्य की स्थापना की तथा चंद्रावती को अपनी राजधानी बनाया।
  • चन्द्रावती गुजरात जाने के मार्ग में स्थित होने के कारण यहाँ पर मुस्लिम आक्रमण होते थे जिस कारण शिवभान ने सरणवा पहाड़ी पर दुर्ग का निर्माण करवाया तथा 1405 ई. में शिवपुरी नगर की स्थापना की।
  • शिवभान के बाद उसका उत्तराधिकारी सहसमल हुआ जिसने 1425 ई. में सिरोही नगर की स्थापना कर उसे अपनी राजधानी बनाया।
  • सहसमल के समय मेवाड़ का शासक राणा कुंभा था, सहसमल ने मेवाड़ के कुछ क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था।
  • राणा कुंभा ने सहसमल के विरुद्ध डोडिया नरसिंह के नेतृत्व में सेना भेजकर वापस अपने क्षेत्रों पर तथा सिरोही के पूर्वी भाग पर अधिकार कर लिया।




  • 1451 ई. में लाखा देवड़ा सिरोही का शासक बना। इसने मेवाड़ के अधीन अपने कई क्षेत्र वापस अधिकार में कर लिए जब राणा कुंभा गुजरात व मांडु के शासकों के विरुद्ध अभियान मेंव्यस्त था।
  • लाखा ने मेवाड़ शासक उदा के समय आबू का क्षेत्र भी वापस अपने अधीन कर लिया।
  • लाखा ने कालिका माता की मूर्ति सिरोही में स्थापित करवाई।
  • लाखा ने लाखनाव तालाब का निर्माण करवाया।
  • यहाँ के शासक जगमाल ने बहलोल लोदी के विरुद्ध युद्ध मेंमेवाड़ शासक रायमल का साथ दिया।
  • जगमाल ने जालौर शासक मजीद खाँ को भी हराया था।
  • जगमाल ने सिरोही आये मेवाड़ राजकुमार पृथ्वीसिंह को जहर दे दिया जिस कारण पृथ्वीसिंह की मृत्यु हो गई।
  • सिरोही शासक अखैराज को ‘उडना अखैराज’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • रायसिंह ने भीनमाल पर अधिकार करने के लिए आक्रमण किया था जिसके दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी।
  • सिरोही शासक महाराव सुरताण ने सिरोही का आधा राज्य अकबर को सौंपकर उनकी अधीनता स्वीकार की। अकबर ने सेवा में आये महाराणा प्रताप के भाई जगमाल को यह क्षेत्र दिया था।




  • जगमाल ने पूरा सिरोही अपने अधिकार में करने के उद्देश्य से आक्रमण किया। 1583 ई. में दोनों सेनाओं के मध्य युद्ध हुआ जिसमें महाराव सुरताण विजयी हुए तथा इन्होंने सिरोही दुर्ग पर अधिकार कर लिया।
  • इस युद्ध में कवि दुरसा आढ़ा उपस्थित थे।
  • महाराव सुरताण ने मारवाड़ शासक राव चंद्रसेन को अपने राज्य में संरक्षण दिया था।
  • उदयभान अपने पिता महाराव अखैराज II को कैद कर स्वयं शासक बन गया मेवाड़ शासक राजसिंह ने अपनी सेना भेजकर उदयभान काे शासक हटाकर वापस अखैराज II को शासक बनाया।
  • 1705 ई. में महाराव मानसिंह सिराेही के शासक बने जिन्होंने सिरोही मे पक्के लोहे की तलवारें बनवाना आरंभ करवाया।
  • सिरोही की ये पक्के लोहे की तलवारें ‘मानसाही’ नाम से प्रसिद्ध हुई।
  • महाराव शिवसिंह के समय 11 सितम्बर, 1823 को सिरोही राज्य की संधि अंग्रेजों के साथ हुई।
  • राजस्थान एकीकरण के छठे चरण में जनवरी, 1950 में सिरोही का राजस्थान में विलय किया गया जबकि 1 नवम्बर, 1956 को आबू-दिलवाड़ा का भी राजस्थान में विलय कर दिया गया।




Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *