चौहान राजवंश




हाड़ौती के चौहान

  • हाड़ौती क्षेत्र मेंमध्यकाल तक मीणा जाति का शासन था।
  • 1241 ई. के लगभग देवा चौहान ने मीणा शासक जैता को पराजित कर हाड़ौती में चौहान वंश की स्थापना की।
  • देवा चौहान नाडोल के चाैहानों का ही वंशज था।
  • देवा ने अपने राज्य का विस्तार किया तथा गंगेश्वरी देवी के मंदिर का निर्माण करवाया।
  • पूर्व में हाड़ौती का क्षेत्र बूंदी के क्षेत्र में ही आता था। मीणा शासक बूंदा मीणा के नाम पर बूंदी नामकरण हुआ।
  • देवा ने अपने जीवनकाल में ही अपने पुत्र समरसिंह को राज्य सौंप दिया।
  • समरसिंह ने अपने पुत्र जैत्रसिंह के सहयोग से कोटिया भीलों को पराजित कर कोटा का भू-भाग अपने अधीन कर लिया था जिस पर शासन का अधिकार अपने पुत्र जैत्रसिंह को दिया।
  • यहाँ के शासक नापूजी ने अपने राज्य का विस्तार दक्षिण में पाटन तथा उत्तर में टोडा तक किया।
  • नापूजी की मृत्यु 1304 ई. में अलाउद्दीन खिलजी के विरुद्ध युद्ध करते समय हुई।



  • राव वीर सिंहके समय मेवाड़ शासक क्षेत्रसिंह ने बूंदी पर आक्रमण कर बूंदी पर अधिकार कर लिया था।
  • मेवाड़ शासक राणा लाखा ने हामूजी के शासनकाल में बूंदी पर आक्रमण किया जिसे हामूजी ने परास्त कर दिया।
  • राणा लाखा ने शपथ ली कि वे बूंदी दुर्ग पर अधिकार करने पश्चात ही अन्न जल ग्रहण करेंगे। राणा लाखा के इस प्रण को पूरा करने के लिए बूंदी के दुर्ग की मिट्‌टी की प्रतिकृति बनाई गई जिसे राणा लाखा ने ध्वस्त कर अपना प्रण पुरा किया।
  • यहाँ के शासक नारायण दास ने मेवाड़ महाराणा सांगा से अच्छे सम्बन्ध स्थापित किए तथा खानवा के युद्ध में राणा सांगा का साथ दिया।
  • बूंदी शासक सूरजमल की हत्या मेवाड़ शासक रतनसिंह II ने शिकार खेलते समय कर दी।
  • सूरजमल के बाद राव सूरताण सिंह शासक बना जो मालवा सुल्तान के बूंदी आक्रमण के समय रायमल खींची की शरण में चला गया।
  • सुरजन सिंह ने अपने राज्य का विस्तार किया तथा कोटा को पठानों के अधिकार से स्वतंत्र कर पुन: बूंदी राज्य में मिलाया।
  • राव सुरजन सिंहने रायमल खींची से बूंदी के क्षेत्र वापस जीते तथा रणथम्भौर दुर्ग पर अधिकार किया।
  • मुगल शासक अकबर रणथंभौर दुर्ग अपने अधीन करना चाहता था लेकिन कई दिनों के घेरे के पश्चात भी वह दुर्ग नहीं जीत सका।
  • कच्छवाहा शासक भगवंतदास ने मध्यस्थता कर 1569 में अकबर तथा सुरजन सिंह के मध्य संधि करवाई तथा सुरजन सिंह को अकबर की अधीनता के लिए राजी किया।



  • इस प्रकार रणथंभौर पर मुगलों का अधिकार हो गया।
  • खुर्रम ने अपने पिता जहाँगीर के शासनकाल में विद्रोह कर दिया था जिसके कारण खुर्रम को बुरहानपुर में कैद कर लिया गया। इस समय राव रतन सिंह व इनके पुत्र माधोसिंह ने खुर्रम की सहायता की तथा शाही दरबार में उपस्थित होने के आदेश पर खुर्रम को गुप्त रूप से भगा दिया।
  • शाहजहाँ (खुर्रम) ने 1631 में माधोसिंह को कोटा का स्वतंत्र शासक घोषित किया।
  • इस प्रकार बूंदी रियासत का एक भाग कोटा स्वतंत्र रियासत बना तथा माधोसिंह वहाँ के पहले स्वतंत्र शासक बने।
  • बहादुर शाह जफर ने बूंदी शासक बुद्ध सिंह को कोटा पर अधिकार करने की स्वीकृति दे दी क्योंकि उत्तराधिकार युद्ध में बुद्ध सिंह ने उनका साथ दिया था।
  • बुद्ध सिंह ने कोटा पर आक्रमण किया परंतु वहाँ के शासक महाराव भीमसिंह ने उन्हें पराजित किया।
  • 1713 में कोटा महाराव भीमसिंह ने बूंदी की सेना को पराजित कर बूंदी राज्य पर अधिकार कर लिया।
  • 1715 में शाही सेना की सहायता से बूंदी को वापस स्वतंत्र करवाया गया।
  • 1719 में महाराव भीम सिंह ने पुन: बूंदी पर अधिकार कर लिया लेकिन 1720 में भीमसिंह की मृत्यु के बाद कोटा के दीवान भगवानदास ने बूंदी का शासन वापस बुद्ध सिंह को सौंप दिया।
  • 1733 ई. में जयपुर के सवाई जयसिंह ने बूंदी पर अधिकार करने के उद्देश्य से आक्रमण कर बुद्ध सिंह को वहाँ से भगा दिया तथा करवर के जगीरदार सालिम सिंह के पुत्र दलेल सिंह को बूंदी का शासक बना दिया।



  • राजस्थान में मराठों का सर्वप्रथम प्रवेश बूंदी मेंहुआ जब 1734 में बुद्धसिंह की रानी ने अपने पुत्र उम्मेद सिंह काे शासक बनाने के पक्ष में मराठा सरदार मल्हारराव होल्कर व राणोजी को आमंत्रित किया।
  • 12 अप्रैल, 1734 को मल्हारराव होल्कर ने बूंदी पर अधिकार कर यहाँ का शासन उम्मेद सिंह को सौंप दिया लेकिन सवाई जयसिंह ने पुन: बूंदी पर अधिकार कर दलेलसिंह को शासक बना दिया।
  • 1 अगस्त, 1748 को पेशवा बाजीराव, उम्मेदसिंह, कोटा महाराव के दूत तथा ईश्वरी सिंह के भाई माधो सिंह ने बगरू के युद्ध में जयपुर शासक ईश्वरी सिंह को पराजित किया तथा बूंदी का शासन उम्मेद सिंह को सौंप दिया।
  • 1770 ई. में उम्मेद सिंह ने अपने पुत्र अजीत सिंह को शासनभार सौंपकर संन्यास ग्रहण कर लिया।
  • 1818 ई. में बूंदी शासक विष्णु सिंह ने ईस्ट इंडिया कम्पनी के साथ सुरक्षा संधि सम्पन्न की।
  • 25 मार्च, 1948 को बूंदी का विलय राजस्थान संघ मेंकिया गया।



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