राजस्थान की पशु-सम्पदा एवं डेयरी विकास नोट्स




 

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य 

– गध व खच्चर सर्वाधिक बाड़मेर में तथा न्यूनतम टोंक में पाये जाते हैं।

– सुअर सर्वाधिक भरतपुर में तथा न्यूनतम डूंगरपुर में। लार्ज व्हाइट यार्कशायर सुअर की प्रमुख नस्ल है।

– कुक्कुट सर्वाधिक अजमेर में तथा न्यूनतम बाड़मेर में पाये जाते हैं। असील, वरसा, टेनी कुक्कुट की प्रमुख नस्लें हैं। देशी नस्ल की सर्वाधिक मुर्गियां बाँसवाड़ा जिले में हैं।

– राज्य में सर्वाधिक भैंसे मुर्रा नस्ल की हैं। मुर्रा दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से श्रेष्ठ भैंस नस्ल है।

– गाय की विदेशी नस्लें :- जर्सी, हॉलिस्टिन एवं रेडडेन।

– नागौर जिले का सुहालक प्रदेश बैलों के लिए प्रसिद्ध है।

– हीफर परियोजना :- 1997-98। गौवंश से सम्बन्धित परियोजना।

हीफर परियोजना डूंगरपुर जिले में संचालित है।

– नीलगाय :- एंटीलोप प्रजाति का पशु। स्थानीय नाम :- रोजड़ा।

– रेवड़ :- भेड़ों का झुण्ड।


– अविकापाल जीवन रक्षक योजना :- 2004-05 में भेड़पालकों के लिए।

– राजस्थान का ऊन उत्पादन में भारत में पहला स्थान है।

सर्वाधिक ऊन उत्पादक जिला :- (1) जोधपुर, (2) बीकानेर।

न्यूनतम ऊन उत्पादक जिला :- (1) झालावाड़।

– राजस्थान का पहला गौ-अभयारण्य :- बीकानेर।

– उष्ट्र प्रजनन प्रोत्साहन योजना :- 02 अक्टूबर, 2016।

– देश की पहली गौमूत्र रिफाइनरी :- पथमेड़ा (सांचौर, जालौर)

– राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र :- जोहड़बीड़ (बीकानेर) स्थापना :- 5 जुलाई, 1984

– पश्चिमी क्षेत्रीय बकरी अनुसंधान केन्द्र :- अविकानगर (टोंक)

– राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय :- बीकानेर

– स्विस स्कीम का सम्बन्ध भेड़ प्रजाति से है। जोधपुर-नागौर में संचालित स्कीम।

– वर्ष 2017 में प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा राजस्थान कृषि प्रतिस्पर्धात्मक परिेयोजना के तहत 7 पशुहाट खोलने की घोषणा की गई।

– भेड़ प्रजनन फार्म :- फतेहपुर (सीकर)

– केन्द्रीय भेड़ व ऊन अनुसंधान संस्थान :- अविकानगर (टोंक) 1962 में स्थापित।

– राजस्थान का पहला मत्स्य अभयारण्य :- बड़ी तालाब (उदयपुर)।


– बीसलपुर बाँध (टोंक) पर रंगीन मछलियों का ब्रीडिंग सेंटर व एक्वेरियम बनाया जा रहा है।

– आदिवासी मछुआरों के उत्थान हेतु महत्वाकांक्षी आजीविका मॉडल योजना राज्य के तीन जलाशयों जयसमन्द (उदयपुर), माही बजाज सागर (बाँसवाड़ा), कडाना बैक वाटर (डूंगरपुर) में प्रारम्भ की गई है।

– सुअर विकास फार्म :- अलवर में।

– राष्ट्रीय गोकुल मिशन :- दिसम्बर 2014 में प्रारम्भ।

– नकुल स्वास्थ्य पत्र का सम्बन्ध पशु स्वास्थ्य से है।

– राष्ट्रीय बोवाइन उत्पादकता मिशन परियोजना :- दिसम्बर 2016 में शुरू।

– राष्ट्रीय पशुधन नीति :- अप्रैल 2013

– बरसीम :- रबी में बोई जाने वाली दलहनी चारा फसल।

– एशिया की ऊन की सबसे बड़ी मंडी :- बीकानेर।

– ऊँट पालक जाति :- रेबारी (राइका) ऊँटों के देवता :- पाबुजी।

– गधों का मेला :- लुणियावास (जयपुर)

– कड़कनाथ योजना :- कुक्कुट पालन से सम्बन्धित बाँसवाड़ा में संचालित योजना।

– गरिमा :- विश्व की प्रथम क्लोन्ड भैंस (25 जनवरी, 2013)

– पोर्क :- सुअर का माँस।

– ऊँट के गले का आभूषण :- गोरबन्द।


– राज्य में ऊँट प्रजनन का कार्य भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा किया जाता है।

– गोपाल योजना :- 1990 से राज्य के 10 दक्षिणी-पूर्वी जिलों में संचालित योजना। उद्देश्य – कृत्रिम गर्भाधान द्वारा पशु नस्ल संवर्धन।

– थारपारकर वंशावली चयन परियोजना :- जोधपुर व जैसलमेर।

– राजस्थान में भेड़-ऊन प्रशिक्षण संस्थान :- जयपुर में।

– राजस्थान की अण्डे की टोकरी की उपमा :- अजमेर को

– शेखावटी नस्ल की बकरी के सींग नहीं होते हैं। काजरी वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नस्ल।

– बकरी की विष्ट को मींगणी कहा जाता है।

– पशुपालन विभाग की स्थापना :- 1957 में।

– राजस्थान राज्य सहकारी भेड़ व ऊन विपणन संघ लिमिटेड :- 1977 में स्थापित।

– नाचना (जैसलमेर) नामक स्थल ऊंटों के लिए देशभर में प्रसिद्ध है।

– गोपालन निदेशालय :- 22 जुलाई, 2013

– गोपालन विभाग :- 13 मार्च, 2014

– भामाशाह पशुधन बीमा योजना :- 23 जुलाई, 2016

– राजस्थान गौ संरक्षण एवं संवर्धन निधि नियम :- 22 नवम्बर, 2016

– मुख्यमंत्री पशुधन नि:शुल्क दवा योजना :- 15 अगस्त, 2012

– कैमल मिल्क प्लान्ट :- जयपुर में

– ट्रेटापैक दुग्ध संयंत्र :- जयपुर में


– हिमीकृत वीर्य बैंक :- बस्सी जयपुर में 14 अगस्त, 2007 को स्थापित

– रामसर (अजमेर) :- चारा उत्पादन केन्द्र, बकरी प्रजनन व शोध केन्द्र।

– आनन्द वन :- पथमेड़ा (जालौर) में स्थित राज्य की सबसे बड़ी गौशाला।

– राज्य का पहला सीमन बैंक :- बस्सी (जयपुर)।

– बगरू (नागौर) :- बकरियों हेतु देशभर में प्रसिद्ध।

– बतख चूजा उत्पादन केन्द्र :- बाँसवाड़ा।

– राष्ट्रीय मत्स्य बीज उत्पादन फार्म :- कासिमपुरा (कोटा)।

– राजस्थान राज्य गौ सेवा आयोग :- 23 मार्च, 1995


डेयरी विकास

– राजस्थान में दुग्ध उत्पादन :- 18.5 मिलियन टन (देश का 11.9%)

– भारत के सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक राज्य :- (1) उत्तर प्रदेश, (2) राजस्थान, (3) गुजरात, (4) मध्य प्रदेश

– राजस्थान में 2015-16 में प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता :- 704 ग्राम प्रतिदिन।

– प्रदेश के दुग्ध उत्पादक जिले :- (1) जयपुर, (2) श्रीगंगानगर, (3) अलवर

– प्रदेश में न्यूनतम दुग्ध उत्पादन बाँसवाड़ा में होता है।

– राज्य का एकमात्र डेयरी व फुड साइंस महाविद्यालय उदयपुर में है।

– राष्ट्रीय दुग्ध दिवस :- 26 नवम्बर।

– राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान केन्द्र :- करनाल (हरियाणा में)।

– राजस्थान का पहला आइसक्रीम प्लान्ट :- भीलवाड़ा में (2015 में)।

– सहकारी डेयरी फैडरेशन (RCDF) :- 1977 में स्थापित।


– पद्‌मा डेयरी :- अजमेर स्थित राजस्थान की सबसे पुरानी डेयरी।

– ऊंटनी के दूध में विटामिन C की मात्रा अधिक होती है।

– राज सरस सुरक्षा कवच बीमा योजना :- 1 जनवरी, 2017

– मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना :- बजट 2019-20 में घोषणा।

1 फरवरी, 2019 से योजना शुरू हुई जिसमें सहकारी संघों की दुग्ध समितियों को दूध की आपूर्ति करने वाले 5 लाख पशुपालकों को 2 रुपये प्रति लीटर का अनुदान देने की योजना है।

– राजस्थान ऊँट (वध का प्रतिषेध और अस्थायी प्रवजन या निर्यात का विनियमन) अधिनियम 2015 :- 23 मार्च, 2015

– भारत की पहली कैमल मिल्क डेयरी :- जोहड़बीड़ (बीकानेर)

– अविका कवच बीमा योजना :- भेड़ पालकों के लिए। इसके तहत SC/ST/BPL किसानों द्वारा भेड़ों का बीमा करवाने पर प्रीमियम राशि का 80% तथा अन्य वर्ग के पशुपालकों के लिए 70% प्रीमियम व्यय सरकार द्वारा किया जायेगा।


 

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