- नाली –
- गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू जिलों में।ऊन- मध्यम श्रेणी की सबसे लम्बी ऊन (12-14 cm) अधिक ऊन के लिए प्रसिद्ध। गलीचे के लिए प्रयोग की जाती है।
- पूगल –
- बीकानेर, जैसलमेर व नागौरजिले में। मध्यम मोटी ऊन गलीचे के लिए प्रयुक्त होती है।
- मगरा –
- इसे चकरी व बीकानेरी चौकला भी कहते हैं।जिले- बीकानेर, नागौर, चूरू। ऊन- मध्यम मोटी।
- जैसलमेरी –
- इसकी नाक को रोमन नाक कहते हैं। प्रति भेड़सर्वाधिक ऊन यह देती है। 3-4 kg/भेड़। इनका चेहरा गहरा भूरा होता है।
- मारवाड़ी –
- जोधपुर संभाग में पाई जाती है।सर्वाधिक संख्या में यही भेड़ पाई जाती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता सर्वाधिक अतः लम्बी दूरी तक चल सकती है।
- घुमक्कड़ रेवड़ों में होती है। राजस्थान मेंसर्वाधिक ऊन इसी भेड़ से प्राप्त होती है।
- चोकला –
- इसे छापर भी कहते हैं। शेखावाटी क्षेत्र में मिलती है। इस नस्ल कोभारतीय मेरिनो कहा जाता है। झुंझुनू, सीकर, बीकानेर, चुरु व जयपुर।
- सर्वोत्तम ऊन यही होती है क्योंकि यह मुलायम है।
- बागड़ी
- अलवर, भरतपुर। मुँह काला व शेष शरीर सफेद होता है। इसका रेशा सबसे छोटा होता है।
- देशी/खेरी –
- पाली, अजमेर, नागौर।
- मालपुरी –
- टोंक, दौसा, जयपुर, सवाई माधोपुर बूंदी, भीलवाड़ामें। इसे माँस के लिए काम लेते हैं। ऊन छोटी होती है। गलीचों के लिए उपयुक्त ‘देशी नाल’
- सोनाड़ी (चनोथर)
- उदयपुर, कोटा संभाग, डूंगरपुर, चितौड़, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा। कान व पूंछ लम्बे। कान चरते समय जमीन को छूते हैं। ऊन साधारण।
- विदेशी नस्लें :रूसी मेरिनो (रूस), डोसेंट (डेनमार्ग), रेम्बुले (फ्रांस)।
- भैंस
- राज. में सर्वाधिक भैस पशुधन जयपुर, अलवर में तथा न्यूनतम जैसलमेंर में है।
- भैंसों की दृष्टि से राजस्थान का भारत के राज्यों मेंदूसरा स्थान है। सर्वाधिक भैंसे उत्तर प्रदेश में है।
- मुर्राह, मेहसाना, सूरती, जाफराबादी, नागपुरी, भदावरी हैं।
- मुर्राह (खुंडी)
- राजस्थान में सर्वाधिक पाई जाने वाली भैंस। मूल उत्पत्ति स्थल- मांटगुमरी जिला (पंजाब-पाकिस्तान)। दूध देने में सर्वोत्तम।
- जयपुर, उदयपुर, अलवर, गगांनगर, भरतपुर
- मेहसाना
- जालौर, सिरोही, मूलतः गुजरात की।
- सूरती
- सिरोही, उदयपुर, मूलतः गुजरात की।
- जाफराबादी
- डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, मूलतः गुजरात का काठियावाड़
- नागपुरी
- सींग पतले व लम्बे होते हैं। कोटा, बारां, झालावाड़ में।
- भदावरी
- मूलतः भदोही (उत्तर प्रदेश) की। भरतपुर, धौलपुर में, टांगें छोटी होती है।
- नागौर के एक गांव‘बासनी‘ का ‘नूर मोहम्मद मारवाड़ी‘ मुम्बई में भैंसो के लिए प्रसिद्ध है। इसे अभी पुरस्कृत किया गया है।