राजस्थान की पशु-सम्पदा एवं डेयरी विकास नोट्स




  1. नाली –
  • गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू जिलों में।ऊन- मध्यम श्रेणी की सबसे लम्बी ऊन (12-14 cm) अधिक ऊन के लिए प्रसिद्ध। गलीचे के लिए प्रयोग की जाती है।
  1. पूगल –
  • बीकानेर, जैसलमेर व नागौरजिले में। मध्यम मोटी ऊन गलीचे के लिए प्रयुक्त होती है।
  1. मगरा –
  • इसे चकरी व बीकानेरी चौकला भी कहते हैं।जिले- बीकानेर, नागौर, चूरू। ऊन- मध्यम मोटी।
  1. जैसलमेरी –
  • इसकी नाक को रोमन नाक कहते हैं। प्रति भेड़सर्वाधिक ऊन यह देती है। 3-4 kg/भेड़। इनका चेहरा गहरा भूरा होता है।


  1. मारवाड़ी –
  • जोधपुर संभाग में पाई जाती है।सर्वाधिक संख्या में यही भेड़ पाई जाती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता सर्वाधिक अतः लम्बी दूरी तक चल सकती है।
  • घुमक्कड़ रेवड़ों में होती है। राजस्थान मेंसर्वाधिक ऊन इसी भेड़ से प्राप्त होती है।
  1. चोकला –
  • इसे छापर भी कहते हैं। शेखावाटी क्षेत्र में मिलती है। इस नस्ल कोभारतीय मेरिनो कहा जाता है। झुंझुनू, सीकर, बीकानेर, चुरु व जयपुर।
  • सर्वोत्तम ऊन यही होती है क्योंकि यह मुलायम है।


  1. बागड़ी
  • अलवर, भरतपुर। मुँह काला व शेष शरीर सफेद होता है। इसका रेशा सबसे छोटा होता है।
  1. देशी/खेरी –
  • पाली, अजमेर, नागौर।
  1. मालपुरी –
  • टोंक, दौसा, जयपुर, सवाई माधोपुर बूंदी, भीलवाड़ामें। इसे माँस के लिए काम लेते हैं। ऊन छोटी होती है। गलीचों के लिए उपयुक्त ‘देशी नाल’
  1. सोनाड़ी (चनोथर)
  • उदयपुर, कोटा संभाग, डूंगरपुर, चितौड़, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा। कान व पूंछ लम्बे। कान चरते समय जमीन को छूते हैं। ऊन साधारण।
  • विदेशी नस्लें :रूसी मेरिनो (रूस), डोसेंट (डेनमार्ग), रेम्बुले (फ्रांस)।


  1. भैंस
  • राज. में सर्वाधिक भैस पशुधन जयपुर, अलवर में तथा न्यूनतम जैसलमेंर में है।
  • भैंसों की दृष्टि से राजस्थान का भारत के राज्यों मेंदूसरा स्थान है। सर्वाधिक भैंसे उत्तर प्रदेश में है।
  • मुर्राह, मेहसाना, सूरती, जाफराबादी, नागपुरी, भदावरी हैं।
  1. मुर्राह (खुंडी)
  • राजस्थान में सर्वाधिक पाई जाने वाली भैंस। मूल उत्पत्ति स्थल- मांटगुमरी जिला (पंजाब-पाकिस्तान)। दूध देने में सर्वोत्तम।
  • जयपुर, उदयपुर, अलवर, गगांनगर, भरतपुर
  1. मेहसाना
  • जालौर, सिरोही, मूलतः गुजरात की।
  1. सूरती
  • सिरोही, उदयपुर, मूलतः गुजरात की।
  1. जाफराबादी
  • डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, मूलतः गुजरात का काठियावाड़
  1. नागपुरी
  • सींग पतले व लम्बे होते हैं। कोटा, बारां, झालावाड़ में।
  1. भदावरी
  • मूलतः भदोही (उत्तर प्रदेश) की। भरतपुर, धौलपुर में, टांगें छोटी होती है।
  • नागौर के एक गांवबासनीका नूर मोहम्मद मारवाड़ीमुम्बई में भैंसो के लिए प्रसिद्ध है। इसे अभी पुरस्कृत किया गया है।


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