राजस्थान में प्रजामंडल आंदोलन




जैसलमेर

  • यह क्षेत्र राजस्थान का सर्वाधिक पिछड़ा क्षेत्र था, जो विस्तृत रेगिस्तान, यातायात-संचार के सीमित साधनों व राजनीतिक पृथकता के कारण शेष राजस्थान से कटा ही रहा।
  • यहाँ के महारावल का दमन अत्यन्त तीव्र था, जिसके कारण वर्ष 1915 में ‘सर्व हितकारी वाचनालय’ मीठालाल व्यास के आशीर्वाद से सागरमल गोपा व उसके साथियों द्वारा स्थापित किया गया।
  • वर्ष1930 में जब रघुनाथ सिंह मेहता, आईदान सिंह व सागरमल गोपा ने एक विज्ञप्ति निकाल कर पं. जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर उन्हें बधाई दी तो उपर्युक्त नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
  • रघुनाथ सिंह मेहता की अध्यक्षता में स्थापित माहेश्वरी युवक मण्डल को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया।
  • वर्ष1937-38 में शिवशंकर गोपा, मदनलाल पुरोहित, लालचन्द जोशी आदि ने लोक परिषद् की स्थापना का प्रयास किया। जैसलमेर में जन जागृति का श्रेय सर्वप्रथम सागरमल गोपा को जाता है।
  • जैसलमेर में वर्ष 1938 में देशी राज्य लोक परिषद् की शाखा स्थापित की।


  • वर्ष 1940 के आस-पास उन्होंने ‘जैसलमेर में गुण्डाराज’ नामक पुस्तक छपवा कर वितरित की। इस पर दरबार द्वारा निर्वासित होकर वे नागपुर चले गए।
  • वर्ष 1941 में पिता की मृत्यु पर जब गोपा जी जैसलमेर आए तो उन्हें वर्ष 1942 ई. में छः वर्ष का कठोर कारावास की सजा दी गई। जेल में उन्होंने अमानवीय व्यवहार के बारे में जय नारायण व्यास को पत्र भेजे।
  • 3 अप्रैल, 1946 में गोपा जी को जेल में ही गुमानसिंह ने केरोसिन डालकर जलाकर मार डाला। इस घटना ने जैसलमेर के जन मानस को झकझोर डाला और निरंकुश शासन का विरोध तीव्र हो गया। इन परिस्थितियों में मीठालाल व्यास द्वारा वर्ष 1945 में जोधपुर में जैसलमेर प्रजा मण्डल की स्थापना की गई।
  • वर्ष 1946 में जयनारायण व्यास व अचलेश्वर प्रसाद ने जैसलमेर में एक सार्वजनिक सभा की।
  • 2 अक्टूबर, 1947 को गाँधीजी के जन्म दिवस पर जुलूस निकालने पर लाठीचार्ज किया गया। स्वतंत्रता के पश्चात् जैसलमेर की सामरिक स्थिति के कारण भारत सरकार ने अपना एक प्रशासक नियुक्त किया और कालान्तर में जैसलमेर संयुक्त राजस्थान का भाग बन गया।


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