राजस्थान में प्रजामंडल आंदोलन




धौलपुर

  • आर्य समाज के प्रमुख स्वामी श्रद्धानन्द ने वर्ष 1918 से ही धौलपुर के निरंकुश शासन व्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठानी आरंभ की। स्वामी जी की मृत्यु के बाद आन्दोलन शिथिल हो गया।
  • वर्ष1936 में धौलपुर राज्य प्रजामंडल की स्थापना कृष्ण दत्त पालीवाल ने की। यहाँ भी प्रजामंडल उत्तरदायी शासन व्यवस्था व नागरिक अधिकारों की मांग को लेकर आन्दोलन चलता रहा। शासक का रवैया सदैव की भांति दमनात्मक ही रहा।
  • मार्च, 1946 में तासीमो गाँव में अधिवेशन में पुलिस द्वारा गोलीबारी की। जनता के दबाव में आकर तासीमो कांड की जाँच के आदेश दिए।
  • नवम्बर, 1947 में प्रजामण्डल ने महाराज की अनुमति नहीं मिलने पर भी अधिवेशन किया व इसका उद्घाटन कांग्रेस महासचिव शंकर राव देव ने किया।
  • 4 मार्च, 1948 में उत्तरदायी शासन स्थापित करना स्वीकार किया। शीघ्र ही धौलपुर मत्स्य संघ में विलीन हो गया।


अन्य राज्य

  • वर्ष 1939 में करौली में प्रजामंडल स्थापित हुआ।
  • उत्तरदायी शासन व नागरिक अधिकारों को लेकर त्रिलोक चंद माथुर, चिरंजीलाल शर्मा आदि ने संघर्ष जारी रखा।
  • बाँसवाड़ा में वर्ष 1943 में भूपेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने प्रजामंडल की स्थापना की।
  • डुँगरपुर में भोगीलाल पांड्या ने वर्ष 1944 में सेवा संघ स्थापित किया। डूँगरपुर प्रजामंडल की स्थापना भोगीलाल पांड्या ने वर्ष 1944 में की।
  • रास्तापाल कांड डूँगरपुर में जून, 1947 में हुआ, जिसमें रियासती सैनिकों ने रास्तापाल गाँव की पाठशाला के संरक्षक नानाभाई खांट को मौत के घाट उतारा व अध्यापक सेंगाभाई को ट्रक से बाँधकर घसीटने लगे। तब 13 वर्षीय भील बालिका कालीबाई की अपने अध्यापक को रस्सी काटकर मुक्त करने के कारण गोली मारकर हत्या कर दी गई।
  • प्रतापगढ़ में ठक्कर बापा की प्रेरणा से अमृतलाल, चुन्नीलाल प्रभाकर ने प्रजामंडल की स्थापना वर्ष 1945 में की।
  • सिरोही में वर्ष 1939 में गोकुल भाई भट्ट ने प्रजामंडल की बागडोर संभाली किन्तु वह अधिक सक्रिय नहीं हो पाया।
  • झालावाड़ में प्रजामण्डल की स्थापना मांगीलाल जी द्वारा की गई।
  • किशनगढ़ प्रजामंडल की स्थापना वर्ष 1939 ई. में हुई।


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