प्रष्न अश्वगंधा की विधिवत् की खेती की जाती है।
प्रष्न अश्वगंधा की ऐसी जड़े जिनकी औसत लम्बाई 5 cm व्यास 0.50 & 9 c.m. जड़ो का बीच का भाग, स्टार्च व एल्कोहल की मात्रा मुनंस हो तो कौनसी ग्रेड होगी:-
प्रष्न संतरे की पौधे लगाने हेतु गड्डे का आकार व आपसी दूरी:-
प्रष्न नींबू प्रजाति के फलों पर किस वृद्धि नियामक का घोल सितम्बर, में छिड़कर गिरने से प्रष्न फलों को बचाया जा सकता हैः-
प्रष्न संतरे में कलिकायन द्वारा तैयार पौधे कितने समय देने शुरू हो जाते है:-
प्रष्न संतरे में प्रायः पुष्पन के कितने समय बाद फल तैयार हो जाते है:-
प्रष्न अंश्वगंधा की जड़ों का पतला भाग व अंन्तिम या रेशे व स्टार्च कम एल्कोहल की मात्रा अधिक हो तो वह श्रेणी होगी:-
प्रष्न आम में NAA अिथवा 2, 4D का कितना PPM का घोल में छिड़क कर इसके फलों को बचा सकते है
प्रष्न पादप वृद्धि नियामकों को कितने प्रकार में वर्गीकृत किया जाता है:-
प्रष्न अश्वगंधा की निम्न श्रेण़ी की जड़े छोटे-छोटे टुकड़ों में श्रेणीकरण की जाती है:-
प्रष्न कवक व शैवाल में किस अलैंगिक प्रवर्धन से प्रजनन होता है।
प्रष्न विकसित पौधे को उसके मातृ पौधे से अलग कर नया पौधा तैयार करने को कहते हैः-
प्रष्न दुब घास व स्ट्राबेरी में प्रवर्धन होता हैः-
प्रष्न तुलसी का B.N. है:-
प्रष्न साॅस बनाने के लिये उपयुक्त फल:-
प्रष्न तैयार साॅस का T.S.S. होता है:-
प्रष्न जंगली स्ट्राबेरी में प्रवर्धन सम्भव है:-
प्रष्न साॅस बनाने हेतु टमाटर के फल होने चाहिये:-
प्रष्न जड़ कलम की लम्बाई व मोटाई क्रमशः लेते हैः-
प्रष्न टमाटर के साॅस में परिरक्षक पदार्थ:-
प्रष्न पूर्ण कलम से प्रवर्धन करने हेतु काम में आने वाली पत्तियों पर पायी जाती है:-
प्रष्न टमाटर का साॅस बनाते समय नमक की मात्रा मिलाते है:-
प्रष्न कैचप किन फलों से तैयार करते है:-
प्रष्न पूर्ण कलम की अंकुरित कलियों को कहते है:-
प्रष्न कलम में अधिक सफलता हेतु उसके निचले भाग (3 सेमी. तक वृद्धि नियंत्रक से उपचारित करना चाहिये)
प्रष्न टमाटर के कैचप में T.S.S. होता है:-
प्रष्न कोमल या शाकीय कलम की लम्बाई रखते है:-
प्रष्न कोमल या शाकीय कलम में कितने समय बाद जड़े उत्पन्न हो जाती है:-
प्रष्न तना कलम की लम्बाई रखते है:-
प्रष्न पूर्ण परिपक्व तना कलम से जड़े कितने दिन बाद निकलकर तैयार हो जाती है:-
प्रष्न पर्णपाती पौधों की कलम किस ऋतु में लगाते है:-
प्रष्न टमाटर के एक किलों गुदों में कितनी चीनी मिलाते है:-
प्रष्न कलमों को पौधशाला में लगाने के समय दूरी रखी जाती है:-
प्रष्न अचार में परिरक्षण हेतु नमक की मात्रा लेते है:-
प्रष्न चटनी में र्शकरा की मात्रा होती है:-
प्रष्न तने के अक्ष का आधार तने के भोजन संग्रह के कारण फूलकर बाद में बड़ा हो जाता है, कहलाता है:-
प्रष्न कौनसा तेल अचार में परिरक्षक का काम करता है:-
प्रष्न सिरके में एसीटिक एसीड़ की मात्रा:-
प्रष्न रजनीगंधा, प्याज, लहसुन में प्रवर्धन कर सकते है:-
प्रष्न अचार में अचारीय सुगन्ध (पिकलिंग फ्लेवर) पैदा करने हेतु 2-3 दिन तक कितने तापक्रम पर रखा जाता है:-
उत्तर 25-30° C
प्रष्न मातृ पौधों की किसी शाखा या टहनी को बिना उसे पृथक किये जड़े उत्पन्न करना कहलाता हैः
प्रष्न पिकलिंग फ्लेवर किस परिवर्तन के कारण होती है:-
प्रष्न साधारण दाब में शाखा का कौनसा भाग हटाते है:-
प्रष्न साधारम दाब से पवर्धन करने हेतु कितनी शाखा का चयन करने:-
प्रष्न साधारण दाब में शाखा की कितनी चैड़ाई छाल उतार दी जाती है:-
प्रष्न तेल द्वारा परिरक्षित पदार्थ है
प्रष्न स्ट्राबेरी, मोगरा, चमेली में प्रवर्धन कर सकते है:-
प्रष्न सामान्यतः अचार परिरक्षण हेतु कितना एसिटिक अम्ल काम में लते है:-
प्रष्न पौधों को सुषुप्तावस्था में छेटी-छोटी टहनियां काटकर नया पौधा तैयार को कहते हैः-
प्रष्न मीठे अचार नींबू, आम, करौंदा में चीनी की मात्रा रखते है:-
प्रष्न जैम में अम्लता: रखते है:-
प्रष्न ऐसे फल जिनमें परिपक्वता के प्श्चात श्वसन गति अचानक बढ़कर धाीमी हो जाती है, ऐसे फलों को परिपक्वता के पश्चात् सरलता से पकाया जा सकता है, कहलाते है:-
प्रष्न जड़ विकास हेतु कौनसा वृद्धि नियामक कितनी मात्रा में काम में लते है:-
प्रष्न अमरूद में प्रवर्धन की सर्वोत्त्म विधि है:-
प्रष्न जैम व जैली के पकने का तापक्रम है:-
प्रष्न मार्केटिंग या चाइनीज लेयरिंग के नाम से जानी जाती है:-
प्रष्न जैली में अम्लता प्रतिशतता होती है:-
प्रष्न फूल आने हेतु NAA की मात्रा लेते है:-
प्रष्न नागपुरी संतरा, खासी संतरा, कुर्ग संतरा, पंजाब देशी, दार्जलिंग संतरा, लाहोर लोकल इत्यादि किस्मे है।
प्रष्न रतनजोत का B.N. है:-
प्रष्न राजस्थान व पंजाब में व्यावसायिक महत्व की संतरा की किस्म (किन्नों) किसके संकरण से तैयार की गई है:-
प्रष्न फूल आने हेतु व फूल झड़ने से रोकने हेतु सान्द्रता रखते है:-
प्रष्न रतनजोत का औषधीय महत्व वाला भाग है:-
प्रष्न ग्वारपाठा का कुल है:-
प्रष्न माल्टा का उत्पति स्थल है:-
प्रष्न ऐसे फल जिन्हें परिपक्वता के बाद नहीं पकाया जाता है, अर्थात् फल तुड़ाई पकने के बाद की जाती है, कहलाते है:-
प्रष्न ग्वारपाठा का B.N. हैः-
प्रष्न माल्टा व संतरा किस कुल से सम्बन्धित है:-
प्रष्न ग्वारपाठे का उत्पति स्थल है:-
प्रष्न फलों को पकाने हेतु वृद्धि नियामक है:-
प्रष्न माल्टा का B.N.
प्रष्न फलों को पकाने हेतु एथाइलिन की कितनी सान्द्रता काम में लेते है:-
प्रष्न माल्टा के लिये उपयुक्त जलवायु है:-
प्रष्न राज. के किस जिलें में माल्टा की व्यवसायिक खेती होती है।
प्रष्न ग्वारपाठे की पत्तियों के गुदे को विशेष विधियों से सुखाव पर जो पदार्थ होता है, उसे कहते है:-
प्रष्न मौसम्बी, ब्लडरेड माल्टा, ठेमलिन, जाफा, पाइनेपल, वैलेनिया, बो. संतुगुड़ी इत्यादि किस्मे है
प्रष्न माल्टे में प्रवर्धन की व्यवसायिक विधि है:-
प्रष्न कटे फलों की तुड़ाई के बाद स्टार्च का परिवर्तन हो जाता है:-
प्रष्न प्रायः सभी प्रकार की धातु, उपधातु, रत्न और उपरत्न आदि की भस्में प्राप्त कर सकते है
प्रष्न माल्टा के कलिकायन द्वारा तैयार किये गये पौधों में फलन व अच्छी फसल मिलने का उपयुक्त समय क्रमशः है:-
प्रष्न माल्टा में पुष्पन व फलन व्र्श के किस माह में होता है:-
प्रष्न कच्चे फलों की तुड़ाई के बाद प्रोटीनयुक्त नत्रजन व घुलनशील नाइट्रोजन युक्त पदार्थ की मात्रा में क्रमशः परिवर्तन होता है।
प्रष्न माल्टा के पूर्ण विकसित पौधों से फलों की उपज प्राप्त होती है:-
प्रष्न नींबू प्रजाति में गूटी हेतु कौनसा वृद्धि नियंत्रक कितनी मात्रा में काम में लाते है:-
प्रष्न ग्वारपाठे के छोटे-पौधों का रोपण किस माह में किया जाता है:-
प्रष्न डाइ-बेक अथवा उल्टा सूखा रोग किससे सम्बनित है:-
प्रष्न ग्वारपाठे में कतार से कतार व पौधे स पौधे की दूरी रखते है:-
प्रष्न खरपतवारनाशी आॅक्सिजन है:-
प्रष्न फलों का श्रेणीकरण करने हेतु लकड़ी के बने उपकरण काम में लाते है:-
प्रष्न पौध-रोपण में कितने समय प्श्चात ग्वार पाठे की पत्तियों की कटाई की जा सकती है।
प्रष्न भारत में नींबू प्रजाति फलों का स्थान है:-
प्रष्न भण्डारण करने की ऐसी विधि जिसमें फलों को भकर उपलब्ध वायु को निर्वात पम्प की सहायता से निकाल दिया जाता है, कहलाती है:-
प्रष्न ग्वारपाठे का यदि पूरा पौधा प8्राप्त करना है, तो पौध रोपण के कितने समय प्श्चात् पौधों को उखाड़ना चाहिये।
प्रष्न प्याज के अंकुरण को स्थगित करता है:-
प्रष्न ग्वारपाठे में एक स्थान पर कितने समय तक उत्पादन लिया जा सकता है:-
प्रष्न केला का उत्पत्ति स्थान:-
प्रष्न खरपतवार नष्ट करने हेतु 2, 4-D की कितनी मात्रा का छिड़काव किया जाता है:-
प्रष्न ग्वारपाठे की उपज है:-
प्रष्न जैम में फल का भाग होना चाहिये:-
प्रष्न ग्वार पाठे में पत्ती धब्बा रोग का नियंत्रण किया जा सकता है:-
प्रष्न चैड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नष्ट करने हेतु काम में लाते है:-
प्रष्न प्राचीन ग्रन्थों में किस फल का कदली फल के रूप में वर्णन है:-
प्रष्न ग्वारपाठे में लगने वाला कीट है:-
प्रष्न भण्डारण की नियंत्रित विधि में:-
प्रष्न भारत के किस राज्य में सर्वाधिक केला का उत्पादन होता है:-
प्रष्न ग्वारपाठे का नया पौधा रोपित करना चाहिये:-
प्रष्न नींबू वर्गीय फलों कों प्रायः कितने: औसत नमी पर भण्डारण कर सकते है:-
प्रष्न कौनसा फल वृक्ष केवल एक बार ही फल देता है:-
प्रष्न पनामा रोग सम्बन्धित है:-
प्रष्न केला रोपण के कितने समय बाद फल देने लगता है:-
प्रष्न केले की उचित वृद्धि हेतु तापमान है:-
प्रष्न रतनजोत या जंगली अरण्ड की ऊँचाई होती हैः-
प्रष्न सनाथ/सोनामुखी का ठण्छण् है।
प्रष्न केले के पनामा विल्ट का रोग कारक है:-
प्रष्न भारत में केले की तुड़ाई किस माह में करते है:-
प्रष्न किस औषधीय पादप में केंसर प्रतिरोध तत्व होता है:-