JET ICAR Horticulture Questions Part-4

प्रष्न नीम का कुल:-

उत्तर मेलीऐसी।

प्रष्न केले की उपज / है. प्राप्त होती है:-
उत्तर 30-50 टन

प्रष्न इसबगोल का ठण्छण् है:-
उत्तर प्लान्टेगों ओवेटा।

प्रष्न केले को धूम्रोपचार द्वारा पकाने के लिये गर्मी व सर्दी क्रमशः कितने घंटे उपचारित करते है
उत्तर 18-24 घंटे व 48 घंटे।

प्रष्न नीम का B.N. है:-
उत्तर अजाडिरेक्टा इण्डिका।

प्रष्न रतनजोत किस कुल से सम्बन्धित है:-
उत्तर यूफोरबिएसी।



प्रष्न शून्य ऊर्ज कुल चैम्बर विधि द्वारा फलों को कितने दिनों तक खराब हुऐ बिना भण्डारित कर सकते है:-

उत्तर 6 से 8 दिन।

प्रष्न केले के लिये उपयुक्त जलवायु:-
उत्तर उष्ण व आर्द्र (नम)।

प्रष्न रतनजोत का उत्पत्ति स्थल है:-
उत्तर उत्तर पश्चिम व मध्य भारत।

प्रष्न आम को कितने डिग्री ताप पर भण्डारित कर सकते है:-
उत्तर 8-9°

प्रष्न केले में प्रवर्धन की विधि हे:-
उत्तर सर्कस द्वारा

प्रष्न केले के लिए मृदा का च्भ् है
उत्तर 6.7

प्रष्न रतनजोत में वानस्पतिक प्रवर्धन करते है:-
उत्तर कलम से।



प्रष्न आभासी तना पाया जाता है:-

उत्तर केले में।

प्रष्न सिंचित क्षेत्रों में रतनजोत की बुवाई करनी चाहिये।
उत्तर 2×2 मी.।

प्रष्न केला रोपण में दूरी रखते है:-
उत्तर 3×3 मी.

प्रष्न सर्कस (प्रकन्द) को रोग से बचाने हेतु उपचारित करते है:-
त्तर 1000 ppm प्राइफोलेटाॅन से 90 मिनट तक या दिन तक धूप में रखते है।

प्रष्न रसायन तथा वृद्धि नियंत्रक से केले पकाने के लिये कितना इथरेल व सोड़ियम हाइक्रोक्साइड का घोल/क्वि. की दर से रखना चाहिये।
उत्तर 200 ml इथरेल व 10-15 ग्राम NaOH

प्रष्न अमरूद का B.N. है:-
उत्तर सिड़ियम ग्वाजावा

प्रष्न अनार का कुल:-
उत्तर पुनिकेसी।

प्रष्न पपीता का उत्पत्ति स्थल है:-
उत्तर मैक्सिकों।



प्रष्न किस औषधीय पादप के बीजों के तेल को जैविक ईधन (बायोडिजल) के रूप में काम में लाया जा सकता है:-

उत्तर रतनजोत।

प्रष्न सोनाप/सोनामुखी का कुल।
उत्तर लेग्यूमिनेसी।

प्रष्न नींबू का उत्पत्ति स्थल:-
उत्तर अरब देश।

प्रष्न फालसा का कुल:-
उत्तर टीलिएसी

प्रष्न अनार का B.N. है:-
उत्तर पुनिका ग्रेनेटम।

प्रष्न अनार का उत्पत्ति स्थल:-
उत्तर अफगानिस्तान।

प्रष्न वर्ष में अमरूद को कितनी फसले ली जाती है:-
उत्तर 3 (तीन)



प्रष्न सोनामुखी का उत्पत्ति स्थलः-

उत्तर अरब देश।

प्रष्न नीम में औषधीय उपयोगी भाग है:-
उत्तर पत्ती एवं बीज।

प्रष्न अमरूद के लिये उपयुक्त जलवायुः-
उत्तर उष्ण व उपोष्ण।

प्रष्न L-49 इलाहाबादी सफेदा, अर्कामृदुला, सीड़लैस, चित्तीदार, एपिल कोहिर सफेद, सफेद जाम, इलाहाबाद सुर्ख, हफसी इत्यादि किस्मे है:-
उत्तर अमरूद।

प्रष्न सनाथ में औषधीय महत्व का उपयोगी भाग है:-
उत्तर पत्तियाँ व फलियाँ।

प्रष्न अमरूद के पौधे लगाने हेतु Rx R व P×P दूरी रखते है:-
उत्तर 6-8 मी.

प्रष्न रतनजोत के बीजों का अंकुरण कितने समय में हो जाता है:-
उत्तर एक सप्ताह बाद।

प्रष्न पपीता का B.N. है:-
उत्तर कैरीका पपाया।

प्रष्न अमरूद के पौधे लगाने हेतु गड्डों का आकार रखते है:-
उत्तर 1×1×1 मी.

प्रष्न रतनजाते की शुष्क एवं पड़त भूमि में R×R व P×P दूरी रखते है:-
उत्तर 2×1 मी./1.5×1.5 मी.

प्रष्न सनाथ के पौधे की ऊँचाई।
उत्तर 40-120 cm.

प्रष्न वर्षा ऋतु की बहार जून-जुलाई में पुष्पन व नवम्बर से फरवरी तक फलन हो कहलाती है।
उत्तर मृग बहार।

प्रष्न अमरूद में अवांछित फलन को रोककर वृक्ष को आराम हेतु बाध्य करना कहलाता है:-
उत्तर बहार नियंत्रण

प्रष्न रतनजोत में फसल की रेापाई के किस वर्ष पौधें में फल आने आरम्भ हो जाते है:-
उत्तर दूसरे वर्ष।

प्रष्न अमरूद में रोगरहित व मिठे फलों के लिये कौनसी बहार की फसल लेनी चाहिये:-
उत्तर मृग बहार।

प्रष्न हस्त नक्षत्र में वर्षा होने पर जब पुष्पन होता है और इस बहार में अक्टूबर में फूल आकर अप्रैल में फलन होता है, कहलाती है:-
उत्तर हस्तबहार।

प्रष्न रतनजोत में पुष्पन के कितने माह बाद फल पककर तैयार हो जाते है:-
उत्तर 2-4 माह बाद।



प्रष्न ICAR नई ल्लिी द्वारा किये गये शोध कार्य के अनुसार कितने छण्।ण्।ण् का छिड़काव अम्बे बहार में 10 प्रतिशत फूल आने की अवस्था करके बहार उपचार कर सकते है:-

उत्तर 10 ppm

प्रष्न रतनजोत के एक फल में कितने बीज होते है:-
उत्तर 3-4

प्रष्न अमरूद में फल से फल बनने की प्रक्रिया में कितना समय लगता है:-
उत्तर लगभग 5 माह।

प्रष्न रतनजोत के 6 वर्ष या इससे अधिक आयु की फसल की उपज सिंचित एंव असिंचित क्षेत्र में क्रमशः है:-
उत्तर 12000 kg व 4000 kg

प्रष्न अमरूद के एक परिपक्व वृक्ष से कितने किलोग्राम फल प्राप्त होते है:-
उत्तर 40-50 kg

प्रष्न सरदार अमरूद का दूसरा नाम:-
उत्तर L-49 (लखनाऊ-49)

प्रष्न अमरूद में श्यामवर्ण रेाग का रोगकारक है:-
उत्तर कोलेटोट्राइकम सिड़ी आई

प्रष्न फ्यूजिरेरियम आॅक्सीस्पोरम नामक कवक से अमरूद में रोग है:-
उत्तर उक्टा रोग।

प्रष्न पौधें का भाग कोशिका, तना, पत्ती, भू्रण द्वारा नये पौधे तैयार करना कहलाता है:-
उत्तर टिश्यू कल्चर।

प्रष्न उत्तक संवर्धन की खोज किसने की:-
उत्तर R.G. हरीसन।

प्रष्न प्रवर्धन की किस विधि में सांकुर शाखा को प्रवर्धन के लिये इससे अलग नहीं करते:-
उत्तर इनार्चिग

प्रष्न इनार्चिण में मूलवृा पर सांकुर शाखा की ओर कितनी ऊँचाई पर तथा 0ण्5 बउ मोटी छाल पट्टी उतारते है।
उत्तर 15-20 cm.

प्रष्न इनार्चिग में कितने समय में मुलवृत्त एवं साकुर आपस में मिलते हैः-
उत्तर 2-3 माह

प्रष्न जैम में फलों का अंश है:-
उत्तर 45%

प्रष्न जैली बनाने हेतु सवोत्तम फल है:-
उत्तर अमरूद

प्रष्न जैली को छानने के लिये काम में लेते है:-
उत्तर जैलीबैग।

प्रष्न जैलीमीटर का पाठ्यांक होता है उतना ही 1 kg मिलाते है।
उत्तर चीनी।

प्रष्न जैली के पकने का अंन्तिम बिन्दू परिरक्षण है:-
उत्तर मिली हुई चीनी का 1.5 गुना भार व T.S.S.-70%

प्रष्न पादप संवर्धन की नवीनतम विधि है:-
उत्तर उत्तक संवर्धन।

प्रष्न जैली बनाने हेतु महत्वपूर्ण है:-
उत्तर पेक्टिन

प्रष्न ग्राफ्टिंग क्रिया में जड़ वाला पौधे का भाग होता है:-
उत्तर मूलवृन्त।

प्रष्न जैम होता है:-
उत्तर अपारदर्शी।



प्रष्न अल्पपारदर्शी

उतर जैली।

प्रष्न ग्राफ्टिंग या ग्राफ्टेज में पैतृक गुण युक्त ऊपर जुड़ने वाला भाग कहलाता है:-
उतर सांकुर शाखा या टहनी या सायन।

प्रष्न निम्न में से जैम का अंन्तिम बिन्दू है:-
उतर चीन का 1.5 गुना भार रहना,

प्रष्न जब पैतृक पौधे की टहनी या शाखा मूलवृन्त से जोड़ी जाती है, कहते है:-
उत्तर ग्राफ्टिंग।

प्रष्न वीनियर ग्रफ्टिंग हेतु सांकुरशाखा के लिये कितने माह पुरानी शाखा का चुनाव करते है:-
उत्तर 4 माह

प्रष्न जैली के जमने पर पानी का धीरे-धीरे ऊपर आना कहलाता है:-
उत्तर जैली का रोना

प्रष्न मुरब्बा (प्रीसर्व) को परिरक्षित करते है।
उत्तर चीनी द्वारा।

प्रष्न पेठा है:-
उत्तर सुखा मुरब्बा।

प्रष्न विनियर ग्राफ्टिंग करने का उपयुक्त समय।
उत्तर मार्च व अगस्त।

प्रष्न आम में व्यवसायिक प्रवर्धन की विधि है:-
उत्तर स्टोन

प्रष्न विनियर ग्राफ्टिंग में सांकुर शाखा का फुटाव कितने समय बाद होता है:-
उत्तर 1.5-2 माह
प्रष्न आम में कम समय में पौधे तैयार करने की विधि:-
उत्तर ग्रेन ग्राफ्टिंग।

प्रष्न जब सुखे मुरब्बे को दानेदार या रवेेदार चीनी में लपेट दिया जाता है, तो यह कहलाता है
उत्तर दार

प्रष्न स्टोन ग्राफ्टिंग हेतु सर्वोत्तम समय
उत्तर जुलाई-अगस्त (पर्याप्त नमी वाले दिन)

प्रष्न मुरब्बा बनाने के लिये सर्वोत्तम फल:-
उत्तर आंवला

प्रष्न मुख्य शाखाओं को काटकर उन्नत श्रेणी के अच्छी जाति की सांकुर शाखा को उन्नत किस्मों में बदलने को कहते हे।
उत्तर शीर्ष या फ्रेम वर्किंग

प्रष्न पहले से रोपित सांकु डाली को कुछ ऊपर से काटकर उस पर अच्छी जाति का ग्राफ्टिंग करना कहलाता है:-
उत्तर दोहरा-रोपण

प्रष्न छाल क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में, क्षतिग्रस्त भाग को साफ करके, उसके दोनों किनारों के चारों तरफ से शाखाओ से जोड़ा जाता है। क्रिया को कहते है।
उत्तर बिज्र ग्राफ्टिंग।



प्रष्न आवंलें के फलों को गोदने की क्रिया कहलाती है:-

उत्तर कोकिंग

प्रष्न मूलवृन्त व साधन को मिलाने पर एक-दूसरे को प्रभावित करते हैः-
उत्तर स्टोयोनिक प्रभाव।

प्रष्न मुरब्बे की चाशनी कितने ब्रिक्स की होती है:-
उत्तर 70° ब्रिक्स की

प्रष्न निम्न में से किस फल पदार्थ को पात्र में भरने के लिये 24 घंटे बाद लगाते है:-
उत्तर जैली

प्रष्न सेव व नाशपाती हेतु उपयुक्त जलवायु है।
उत्तर ठण्डी।

प्रष्न पानक में TSS की मात्रा।
उत्तर 40%

प्रष्न रंगहीन फलवृक्षों में परिरक्षक पदार्थ:-
उत्तर सोड़ियम बेन्जोएट

प्रष्न शर्बत या सीरप में चीनी की मात्रा रखते है:-
उत्तर 65-70%



प्रष्न फलोद्यान के रेखांकन का कार्य बाड़ या वायुरोधी पट्टी से लगभग दूरी से आरम्भ करते है:-

उत्तर 6 मी.

प्रष्न शर्बत में परिरक्षक पदार्थ है:-
उत्तर चीनी

प्रष्न उद्यान के रेखांकन की सर्वोत्तम प्रचलन विधि है:-
उत्तर वर्गाकार विधि।

प्रष्न शर्बत का T.S.S. होता है:-
उत्तर 60-70%

प्रष्न फलोधान के रेखांकन की ऐसी विधि जिसमें R×R व P×P की दूरी समान रखते है:-
उत्तर वर्गाकार।

प्रष्न वर्गाकार विधि के प्रत्येक वर्ग में एक अस्थायी पौधा लगाने पर विधि कहलाती है:-
उत्तर पंचभुजाकार।

प्रष्न मानक बनाने हेतु चाशनी में कौनसा अम्ल मिलाया जाता है:-
उत्तर साइट्रिक अम्ल।

प्रष्न स्कवैश में फलों का रस होता है:-
उत्तर 25%

प्रष्न स्कवैश में चीनी की मात्रा:-
उत्तर 33-55%

प्रष्न निकाले हुए फल रस को खुला रखने पर किस क्रिया के कारण कड़वापन आता है:-
उत्तर आॅक्सीजन।

प्रष्न शहर के समीप फलोद्यान के रेखांकन हेतु किस विधि का प्रयोग अधिक करते है:-
उत्तर षटभुजाकार

प्रष्न कोर्डियल कौनसी प्रजाति के फलों से बनायी जाती है:-
उत्तर नींबू

प्रष्न पूरक विधि ेस वर्गाकार विधि की अपेक्षा किनते प्रतिशत पौधे अधिक लगाये जा सकते है
उत्तर 50%



प्रष्न फलों के डिब्बाबन्दी में चीनी की सान्द्रता रखते है:-

उत्तर 220-55%

प्रष्न पूरक विधि में बीच का पौधा कहलाता हैः-
उत्तर पूरक पौधा।

प्रष्न सब्जी की डिब्बाबन्दी में नमक की मात्रा रखते है:-
उत्तर 2%

प्रष्न सब्जी की डिब्बाबंदी में संसाधन का तापमान रखते है:-
उत्तर 115°-121°C

प्रष्न सबसे कम पौधों की संख्या/है. कौनसी विधि में रहती है:-
उत्तर कन्टूर विधि में।

प्रष्न बन्द डिब्बों में वायु निष्कासन का कार्य कितने तापमान पर किया जाता है
उत्तर 80-100°C

प्रष्न डिब्बाबन्दी के जनक है।
उत्तर निकोल्स एप्पर्ट।

प्रष्न फल सब्जियो को रखने के लिये जिन कांच की बोतलों का प्रयोग करते है, कहलाती है
उत्तर कैनिंग या डिब्बाबन्दी।

प्रष्न अनार के लिये जलवायुः-
उत्तर उपोष्ण।

प्रष्न सोनामुखी को खते में एक बार रोपाई करने के उपरान्त कितने वर्ष फल देता है:-
उत्तर 4-5 वर्ष तक

प्रष्न किस फल के कच्चे फल से प्रोटीन पदार्थ पपेन प्राप्त होता है:-
उत्तर पपीता

प्रष्न पपीता में पाया जाने वाला विटामिन है
उत्तर A व C

प्रष्न सोनामुखी की पत्तियों व फलियों क्रमशः सोनोसाइड़ की मात्रा होती है:-
उत्तर 2-3% व 4-5%

प्रष्न पपीता के लिये उपयुक्त जलवायु है:-
उत्तर गर्म व नम

प्रष्न गणेश, मृदुला, जलौर सीडड़लैस, अरक्ता, रूबी इत्यादि किस्मे है।
उत्तर अनार।

प्रष्न सनाय की पत्तियों का मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है:-
उत्तर पेट की बीमारियेां से सम्बन्धित दवाईयाँ बनाने में।

प्रष्न अनार की व्यावसायिक प्रवर्धन की विधि:-
उत्तर कलम द्वारा।



प्रष्न फल फटना एक समस्या है:-

उत्तर अनार।

प्रष्न सनाय के बीच बुवाई के कितने समय बाद अंकुरित होते है:-
उत्तर 3-15 दिन

प्रष्न अनार का सबसे हानिकारक कीट है:-
उत्तर अनार की तितली।

प्रष्न सनाय या सोनामुखी की प्रति है. बीजदर रखते है:-
उत्तर 10 kg.

प्रष्न एक है. से सनाय की सूखी पत्तियों का उत्पादन:-
उत्तर 10 क्विंटल।

प्रष्न पपीतें की कुछ ऐसी किस्में जिनमें मादा या उभयलिंगी पौधे होते है, कहलाती है:-
उत्तर गायनोडायोसिस।

प्रष्न सनाय के पौधे की एक वर्ष में कटाई की जा सकती है:-
उत्तर चार।

प्रष्न सनाथ की पहली कटाई बुवाई के कितने समय बाद की जाती है:-
उत्तर 100 दिन बाद।

प्रष्न गृह वाटिकाओं के लिये पपीते की किस्म।
उतर पूसा नन्हा।

प्रष्न बड़े आकार के फलवृक्षों जैसे-आम, कटहल, आंवला इत्यादि के लिए कितने आकार के गड्डे खोदने चाहियेः-
उत्तर 1×1×1 मी. के

प्रष्न पपीते का व्यावसायिक प्रवर्धन करते है:-
उत्तर बीज द्वारा।

प्रष्न अनार में कलम द्वारा प्रवर्धन करने पर कलमों का किस ऋतु में नर्सरी में रोपण किया जाता है:-
उत्तर वर्षा ऋतु में।

प्रष्न विश्व में सनाय या सोनामुखी की ख्ेाती किस देश में सर्वाधिक होती है:-
उत्तर भारत

प्रष्न अनार में पौधे से पौधे व कतार से कतार के मध्य दूरी
उत्तर 5×5 मी.

प्रष्न पपीतें के बगीचे में कितने: नर पौधे रखते है:-
उत्तर 10%

प्रष्न राज. जैसे कम पानी वाले क्षेत्रों में अनार की कौनसी बहार लेना उपयुक्त रहता हैः-
उत्तर मृग बहार

प्रष्न अनार में फूल आने के कितने समय बाद फलन होता है:-
उत्तर 4-5 माह



प्रष्न सनाय की खेती हेतु उपयुक्त जलवायु:-

उत्तर शुष्क जलवायु।

प्रष्न सनाय या सोनामुखी की बुवाई में त्×त् व च्×च् दूरी रखते है:-
उत्तर 30 सेमी.

प्रष्न पपीते के प्रति पौधे से उपज व पपेन प्राप्त ाहेती है:-
उत्तर 40-50 kg फल 100 पपेन।

प्रष्न अनार की प्रति पौधे से उपज।
उत्तर 60-120

प्रष्न अमरूद व बैर में पौधो की दूरी:-
उत्तर 8×8 मी.

प्रष्न नमक का घोल कहलाता है:-
उत्तर ब्राइन विलियन द्वारा

प्रष्न नमका का घोल ज्ञात करते है:-
उत्तर सैलोमीटर द्वारा

प्रष्न पपीता, केला, अंगूर, फालसा में वृक्षारोपण दूरी रखते है:-
उत्तर 3×3 मी.

प्रष्न निम्न में से तेजी से बढ़ने वाला एवं शीघ्र उपज देना वाला फल वृक्ष है:-
उत्तर पपीता

प्रष्न बेर का B.N. है:-
उत्तर जिजिफस मोरेशियाना।

प्रष्न अचूक औषधिक का कार्य करता है:-
उत्तर पपीता।

प्रष्न सनाय की पहली कटाई से दूसरी कटाई का अन्तराल रखते है:-
उत्तर 60-70 दिन।

प्रष्न रोपण या कलिकायन का जुड़ाव भमि से कितनी ऊँचाई पर करते है:-
उत्तर 22.5 सेमी।

प्रष्न डिब्बाबंदी करने हेतु काम में लेते है:-
उत्तर डबलसीमर।

प्रष्न एपरटाइजिंग कहलाती है:-
उत्तर डिब्बाबंदी

प्रष्न आम व कटहल में वृक्षा रोपण दूरी रखते है:-
उत्तर 10×10 मी.

प्रष्न मध्यम आकार के फलवृक्ष जैसे नीम्बू, अमरूद, अंगुर इत्यादित हेतु गड्डे का आकार रखते है:-
उत्तर 75×75×75 सेमी.

प्रष्न आंवला कटहल, चीकू, लीची में वृक्षारोपण दूरी रखते है:-
उत्तर 9×9 मी.

प्रष्न डिब्बाबन्दीं हेतु फल सब्जियों की सफाई के बाद उन्हें छिलना कहलाता है:-
उत्तर पिलिंग।

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