अर्णोराज
- तुर्क आक्रमणकारियों को बुरी तरह हराया
- अजमेर में आनासागर झील का निर्माण करवाया।
- इसने चौलुक्य जयसिंह की पुत्री कांचन देवी से विवाह किया था।
- अर्णोराज शैव मतावलम्बी था।
- गुजरात के चालुक्य शासक कुमारपाल तथा अर्णोराज के मध्य संघर्ष हुआ।
- प्रबंध चिन्तामणि के अनुसार अर्णोराज ने गुजरात के सामन्तों में फूट डाली तथा कुमारपाल को असमंजस की स्थिति में डाल दिया।
- कुमारपाल ने अर्णोराज को माउण्ट आबु के निकट युद्ध मेंपराजित किया।
- अर्णोराज ने पुष्कर में वराह मंदिर का निर्माण करवाया।
- इसके समय के प्रमुख विद्वानों में देवबोध तथा धर्मघोष का नाम मिलता है।
- अर्णोराज की हत्या उनके पुत्र जगदेव के द्वारा कर दी गई।
विग्रहराज चतुर्थ (बीसलदेव/कवि बांधव) (1158-1163 ई.)
- विग्रहराज चतुर्थ, जिसे बीसलदेव भी कहा जाता है शाकम्भरी व अजमेर का महान् चौहान शासक था।
- उसका शासनकाल सपादलक्ष का स्वर्णयुग माना जाता है।
- इसने ढिल्लिका (दिल्ली) के तोमर शासक को हराकर अपने अधीन सामन्त बना लिया।
- उसने संस्कृत भाषा मे ‘हरिकेली’ नामक नाटक की रचना की।
- हरिकेली नामक नाटक की विषय वस्तु में अर्जुन व शिव के मध्य युद्ध का वर्णन है।
- नरपति नाल्ह द्वारा रचित ग्रंथ ‘बीसलदेव रासो’ में रानी राजमती के कहने पर बीसलदेव द्वारा उड़ीसा के राजा से हीरे लाने का प्रसंग का सौन्दर्यात्मक वर्णन किया है। यह एक श्रेष्ठ शृंगार काव्य है।
- समकालीन लोग इसे ‘कवि बान्धव’ नाम से पुकारते थे।
- सोमदेव बीसलदेव का दरबारी कवि था, जिसने ‘ललित विग्रहराज’ ग्रंथ की रचना की।
- उसने अजमेर मे संस्कृत विद्यालय की स्थापना की जिसे बाद मे कुतुबुद्दीन ऐबक ने तोड़कर कर ‘ढाई दिन का झोपड़ा‘ बनवा दिया।
- उसने बीसलपुर नामक कस्बे व झील का निर्माण करवाया।
- इसने एकादशी के दिन पशु वध पर प्रतिबंध लगाया।