राजस्थान की पशु-सम्पदा एवं डेयरी विकास नोट्स




भेड़ व ऊन विभाग ने 4 फार्म खोले थे :

  1. फतेहपुर (सीकर) 2. बांकलिया 3. जयपुर 4. चित्तौड़गढ़।
  • भेड़ व प्रजनन फार्म बांकलिया (नागौर) की इकाई फतेहपुर (सीकर) मेंस्थानान्तरित कर खोली गई।
  • 2001 में जयपुर व चित्तौड़गढ़ दोनों बंद किये गये।
  • भेड़ व ऊन प्रशिक्षण संस्थान – जयपुर (1963) :
  • एशिया की सबसे बड़ी ऊन मण्डी– बीकानेर में।
  • केन्द्रीय ऊन विकास बोर्ड – जोधपुर (1987) में।
  • केन्द्रीय ऊन विश्लेषण प्रयोगशाला – बीकानेर में।
  • राजस्थान पशुधन विकास बोर्ड (Rajasthan Livestock Development Board-RLDB) – जयपुर। इसकी स्थापना 25 मार्च, 1998 में की गई।
  • राजस्थान पशुपालक विकास बोर्ड (जयपुर) 13 अप्रेल, 2005।
  • राजस्थान की सबसे बड़ी गौशाला –पथमेड़ा (सांचौर-जालौर)।
  • राजस्थान गौशाला संघ का मुख्यालय – पिंजरापौल गौशाला, सांगानेर-जयपुर।
  • गौसदन नामक दो गौशालाएं – दौसा व कोड़मदेसर में।
  • पशु पोषाहार संस्थान – जामडोली (जयपुर)।
  • पशु पोषाहार संयंत्र – RCDF द्वारा जोधपुर, लालगढ़ (बीकानेर), नदबई (भरतपुर), तबीजी (अजमेर) में स्थापित।
  • राजफेड (राजस्थान राज्य सरकारी क्रय-विक्रय संघ) द्वारा झोटवाड़ा (जयपुर) में स्थापित।
  • वृहद चारा बीज उत्पादन फार्म – केन्द्र सरकार द्वारा मोहनगढ़ (जैसलमेर) में स्थापित।


पशु मेले

  • मल्लीनाथ पशु मेला-तिलवाड़ा (बाड़मेर) में वि.सं. 1431 को प्रारम्भ। सबसे प्राचीन मेला, राजस्थान सरकार के पशु पालन विभाग द्वारा पहली बार 1957 में राज्य स्तरीय दर्जा। यह चैत्र कृष्णा 11 से चैत्र शुक्ला 11 तक।
  • बलदेव पशु मेला-बलदेव राम मिर्धा की स्मृति में। मेड़ता सिटी (नागौर) में 1947 से प्रारम्भ। राज्य सरकार द्वारा 1957 से। यह चैत्र शुक्ला प्रतिपाद से चैत्र पूर्णिमा (15 दिन) तक।
  • गोमती सागर पशुमेला– झालरापाटन में, 1959 से राज्य सरकार द्वारा प्रारम्भ। यह वैशाख शुक्ला 13 से ज्येष्ठ कृष्ण 5 तक (8 दिन)।
  • तेजाजी पशु मेला-आय की दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा मेला। परबतसर (नागौर) में वि.सं. 1791 में महाराजा अजीत सिंह द्वारा प्रारम्भ। 1957 से राज्य सरकार द्वारा प्रारम्भ। यह श्रावण पूर्णिमा से भाद्रपद पूर्णिमा (1 माह) तक।
  • गोगाजी पशु मेला-गोगामेड़ी (नोहर) हनुमानगढ़ में 1959 से प्रारम्भ और यह श्रावण पूर्णिमा से भाद्र पूर्णिमा (1 माह) तक।
  • जसवंत पशु प्रदर्शिनी-भरतपुर में 1958 से प्रारम्भ। आश्विन शुक्ला 5 से आश्विन शुक्ला 14 तक।
  • पुष्कर पशु मेला(कार्तिक पशु मेला) – अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का मेला। अजमेर में 1963 से प्रारम्भ। यह कार्तिक शुक्ला 8 से मार्ग शीर्ष कृष्णा द्वितीया तक (नवम्बर में)।
  • चन्द्रभागा पशु मेला-झालरापाटन में 1958 से प्रारम्भ। कार्तिक शुक्ला 11 से मार्ग शीर्ष कृष्णा 5 तक।
  • रामदेव पशु मेला-महाराजा उम्मेद सिंह ने 1958 में प्रारम्भ किया। यह नागौर (मानासरगांव) में माघ शुक्ला 1 से माघ पूर्णिमा (15 दिन) तक।
  • महाशिव रात्रि पशु मेला(माल मेला– करौली में 1959 से प्रारम्भ यह फाल्गुन कृष्ण 5 से फाल्गुन कृष्णा 14 तक लगता है।
  • भावगढ़ बन्ध्या(खलकानी माता का मेला) – गधों का सबसे बड़ा (रियासत कालीन मेला)। यह लुणियावास, सांगानेर (जयपुर) में 1993 से राज्य सरकार द्वारा प्रारम्भ। आ.शु. 7 से 11 तक।


Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *