राजस्थान की पशु-सम्पदा एवं डेयरी विकास नोट्स




पशु विकास से सम्बन्धित योजनाएँ :

  • गोपाल योजना-पशु नस्ल सुधार के लिए 2 अक्टूबर, 1990 से 10 जिलों में प्रारम्भ की थी। राज. के द.पू. जिलो में संचालित।
  • चयनित ग्रामीण युवक जो दसवीं पास होगोपाल कहलाता है।
  • कामधेनु योजना-गौशालाओं के उन्नत नस्ल के पशु उपलब्ध कराने के लिए व कृत्रिम गर्भाधान के लिए। यह 1997-98 में, सभी गौशालाओं में प्रारम्भ।
  • राष्ट्रीय गाय-भैंस परियोजना-गाय-भैंस में कृत्रिम गर्भाधान द्वारा नस्ल सुधार के लिए। यह 2001 में प्रारम्भ। पहले 20 जिलों में अब सभी जिलों में चल रही है। दस साल के लिए चलाई गई है।
  • वेटनरी कॉलेज-पहला सरकारी वेटनरी कॉलेज 1954 में बीकानेर में खोला गया तथा निजी क्षेत्र का पहला वेटनरी कॉलेज अपोलो कॉलेज जयपुर में 2002 में प्रारम्भ।


दुग्ध उत्पादन (डेयरी) :

  • 1970-71 में डेयरी कार्यक्रम वर्गीज कुरियन आणन्द [आनन्द (गुजरात)] नामक स्थान पर अमूल (Amul) डेयरी की स्थापना से प्रारम्भ किया गया।
  • इसे श्वेत क्रांति की शुरूआत कहा जाता है। वर्गीज कुरियन को श्वेत क्रांति का जनक कहा जाता है।
  • इस कार्यक्रम की सफलता को देखकर राजस्थान सहित 10 राज्यों में ’Operation Flood’ शुरू किया गया। इसके तीन चरण थे- (i) 1971 से 1978 तक (ii) 1978 से 1986 तक (iii) 1986 से 1994 तक।
  • वर्तमान में डेयरी विकास कार्यक्रम का संस्थागत ढांचा त्रिस्तरीय है।
  1. शीर्ष स्तर पर (RCDF)राजस्थान सहकारी डेयरी फेडरेशन, स्थापना-1977, मुख्यालय जयपुर।
  2. जिला स्तर पर –जिला दुग्ध उत्पादक संघ (वर्तमान में 21) जिला डेयरी संघ – 19 (16 + 3 + 2)। नागौर, बांसवाड़ा तथा बाड़मेर + टोंक, चित्तौड़गढ़।
  3. प्राथमिक स्तर –वर्तमान में 11,421 दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियां ग्राम स्तर पर पंजीकृत हैं।
  • भारत विश्व में दुग्ध उत्पादन में प्रथम है।
  • भारत में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन वाले तीन राज्य – उत्तरप्रदेश, राजस्थान तथा पंजाब।
  • राजस्थान में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन वाले तीन जिले – जयपुर, अलवर तथा श्रीगंगानगर।
  • राजस्थान में सबसे पहले 1975 में राजस्थान डेयरी विकास निगम की स्थापना की गई फिर इसे 1977 में RCDF में बदल दिया गया।
  • यह त्रिस्तरीय व्यवस्था के आधार पर दुग्ध उत्पादन करती है- RCDF शीर्ष संस्था तथा
  • दो नये डेयरी संघ प्रस्तावित – टोंक व चित्तौड़गढ़।


दुग्ध उत्पादन सहकारी समितियाँ :

  • पहली महिला डेयरी भोजूसर (बीकानेर) में 1992 में स्थापित। वर्तमान में राजस्थान के 20 जिलों में महिला डेयरी परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
  • राजस्थान की सबसे पुरानी डेयरी – पद्मा डेयरी, अजमेर।
  • वर्तमान की चार प्रमुख डेयरी – सरस (जयपुर), उरमूल (बीकानेर), वरमूल (जोधपुर) तथा गंगमूल (श्रीगंगानगर) में।
  • सबसे बड़ी डेयरी– रानीवाड़ा (जालौर) में 1986 में स्थापित।
  • प्रस्तावित पहली मेट्रो डेयरी जिसमें 1 लाख लीटर/दिन की उत्पादन क्षमता होगी – बस्सी, (जयपुर)।
  • सात दुग्ध पाउडर संयंत्र– हनुमानगढ़, बीकानेर, जयपुर, अलवर, अजमेर, रानीवाड़ा (जालौर) तथा जोधपुर में।
  • बतख-चूजा उत्पादन केन्द्र-बांसवाड़ा में।
  • 2009-10 में दुग्ध संकलन 50 लाख लीटर प्रतिदिन रहा।
  • विपणन – 98 लाख लीटर प्रतिदिन रहा। शेष का दुग्ध पाऊडर बनाया गया।
  • सघन डेयरी विकास परियोजना केन्द्र सरकार के द्वारा 9 जिलों में प्रस्तावित है। इसका प्रारम्भ झालावाड़ से प्रस्तावित है।
  • देव नारायण योजना – राज्य के पांच जिलों में सवाई माधोपुर, करौली, धोलपुर, अलवर, झालावाड़ में आर्थिक विकास हेतु डेयरी परियोजना चलायी जा रही है।


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