कच्छवाहा राजवंश

 




 

जयसिंह प्रथम या मिर्जा राजा जयसिंह (1621-1667 ई.)

  • इसने तीन मुगल बादशाहों जहाँगीर, शाहजहां व औरंगजेब को अपनी सेवाएँ दी।
  • उसने औरंगजेब की तरफ से शिवाजी को सन्धि के लिए बाध्य किया। यह सन्धि इतिहास में पुरन्दर की सन्धि (जून 1665 ई.) के नाम से प्रसिद्ध है।
  • उसकी योग्यता एवं सेवाओं से प्रसन्न होकर शाहजहाँ ने उसे ‘मिर्जा राजा‘ की उपाधि प्रदान की।
  • बिहारी सतसई के रचयिता कवि बिहारी उसके दरबारी कवि थे।
  • बिहारी का भांजा कुलपति मिश्र भी बड़ा विद्वान था, जिसने 52 ग्रन्थों की रचना की इनका दरबारी था।
  • इनकी मृत्यु बुरहानपुर के पास हुई थी।




     

महाराजा रामसिंह प्रथम (1667-1689 ई.) :-

  • मिर्जाराजा जयसिंह की मृत्यु के पश्चात् रामसिंह आमेर के शासक बने।
  • औरगंजेब ने रामसिंह की निगरानी में शिवाजी को महल में कैद रखा था लेकिन शिवाजी वहाँ से भाग निकले।
  • 1669 ई. में औरगंजेब ने इन्हें आसाम विद्रोह का दमन करने के लिए भेजा।
  • रामसिंह को विद्रोह का दमन करने के लिए काबुल भेजा गया जहाँ 1689 ई. में इनकी मृत्यु हो गई।




     

महाराजा बिशनसिंह (1689-1700 ई.) :-

  • रामसिंह के बाद इनका पौत्र बिशनसिंह (विष्णुसिंह) आमेर का शासक बना क्योंकि इनके पुत्र किशनसिंह का दक्षिण में रहते हुए देहांत हो गया था।
  • इन्होंने सिनसिनी के जाटों के विद्रोह का दमन किया तथा उसके बाद उन्हें मुल्तान भेजा गया जहाँ इन्होेंने सक्खर का दुर्ग जीता।
  • बिशनसिंह मुअज्ज्म के साथ काबुल में पठानों के विद्रोह को दबाने के लिए गए जहाँ इनका देहांत हो गया।




     

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