महाराजा शिवदानसिंह (1857-1874 ई.) :-
- महाराजा विनयसिंह के देहांत के बाद शिवदान सिंह अलवर के शासक बने।
- इनके अवयस्क होने के कारण शासन कार्य मुंशी अम्मूजान ने संभाला।
- राजपूत सरदारों ने अम्मूजान के विरूद्ध विद्रोह कर दिया जिस कारण यह वहाँ से भाग निकले।
- यहाँ फैली अशांति के कारण पॉलिटिकल एजेंट निक्सन ने स्वयं वहां आकर ठाकुर लखधीर सिंह की अध्यक्षता में एक कौंसिल का गठन किया।
- अलवर के पॉलिटिकल एजेंट कप्तान इम्पी ने अलवर में ‘इम्पी तालाब’ का निर्माण करवाया।
- अलवर में शिवदानसिंह के कुप्रशासन के कारण पोलिटिकल एजेंट की अध्यक्षता में कौंसिल का गठन किया तथा इन्हें पद से हटाकर कौंसिल का एक सदस्य मात्र बना दिया।
महाराजा मंगलसिंह (1874-1892 ई.)
- महाराजा शिवदानसिंह के बाद मंगलसिंह को अलवर रियासत का शासक बनाया गया।
- इनके अवयस्क होने के कारण पण्डित मनफूल को इनका संरक्षक नियुक्त किया गया।
- 1888 ई. में अंग्रेज सरकार ने इन्हेंकर्नल की उपाधि तथा महाराजा का खिताब प्रदान किया।
महाराजा जयसिंह (1892-1933 ई.)
- महाराजा मंगलसिंह के बाद जयसिंह अलवर के शासक बने।
- इन्होंने अलवर की राजभाषा उर्दू के स्थान पर हिन्दी को बनाया।
- जयसिंह ने नरेन्द्र मंडल के सदस्य के रूप में प्रथम गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया। नरेन्द्र मंडल को यह नाम जयसिंह ने ही दिया था।
- इन्हीं के समय नीमूचाणा हत्याकांड (1925) हुआ था।
- 1933 में अंग्रेज सरकार ने इन्हें महाराजा के पद से हटाकर राज्य से निष्कासित कर दिया।
महाराजा तेजसिंह (1937-1948 ई.)
- महाराजा जयसिंह के बाद चन्दपुरा के ठाकुर गंगासिंह के पुत्र तेजसिंह अलवर रियासत के शासक बने।
- इन्होंने अलवर में कई स्कूल तथा हॉस्टल स्थापित करवाए।
- 18 मार्च, 1948 को मत्स्य संघ में अलवर का विलय किया गया तथा इस संघ की राजधानी अलवर तथा उपराजप्रमुख तेजसिंह बने।
“शेखावटी के कच्छवाहा”
- शेखावटी का क्षेत्र जयपुर रियासत का ही भाग था जिसमें सीकर झुंझुनूं का क्षेत्र आता था।
- राव शेखा आमेर के कच्छवाहा वंश के राजपूत सरदार मोकल कच्छवाहा का पुत्र था।
- इसने सीकर-झुंझुनूं पर अपना राज्य स्थापित किया तथा यह क्षेत्र राव शेखा के नाम से शेखावाटी कहलाया। इसके वंशज शेखावत कहलाये।
- राव शेखा ने अपनी राजधानी अमरसर को बनाया।
- राव शेखा के बाद क्रमश: राव रायमल, राव सूजा, राव लूणकर्ण आदि अमरसर के शासक बने।
- राव मनोहर ने अपने पिता लूणकर्ण से जागीर छीन ली तथा स्वयं जागीरदार बना। इसने मनोहरपुर कस्बा बसाया।
- इसके बाद के शेखावत शासकों ने कायमखानियों को परास्त कर झुंझुनूं, नरहर आदि क्षेत्र जीत लिया।
- शेखावाटी के शासकों को जयपुर राज्य की ओर से ‘ताजिमी सरदार’ सम्मान से नवाजा गया।