राजस्थान के प्रमुख किसान आंदोलन




अलवर किसान आंदोलन – (नीमूचणा)

         अलवर में 80 प्रतिशत भूमि खालसा थी, जबकि 20% भूमि जागीरदारों के नियंत्रण में थी।

–        अलवर में किसानों को खालसा क्षेत्रों में स्थायी भू-स्वामित्व के अधिकार प्राप्त थे, जिन्हें बिश्वेदारकहा जाता था।

–        1876ई. में ब्रिटिश पत्रति पर अलवर में पहला भूमि बंदोबस्त किया गया।

–        नीमूचणा गाँव वर्तमान में अलवर जिले की बानसूर/बाणासुर तहसील में है।

–        अलवर राज्य में राजपूत किसानों ने लगान वृद्धि के विरुद्ध 1924 ई. में आंदोलन किया।




–        जनवरी,1925 में अलवर के राजपूतों ने दिल्ली में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभाके अधिवेशन में भाग लिया और पुकारनामक पुस्तिका में समस्याओं को प्रकाशित किया।

–        7 मई, 1925 को महाराजा जयसिंह ने किसानों की शिकायतों पर विचार करने हेतु आयोग का गठन किया।

–        13 मई,1925 को नीमूचणा गाँव में किसानों की सभा पर कमाण्डर छज्जूसिंह ने गोलियां चलावाई।

–        छज्जूसिंह को राजस्थान का जनरल डायरकहा जाता है।

–        गांधी जी ने यंग इंडियापत्र में इसे दोहरी डायरी शाही कहा है।

–        ‘रियासतनामक समाचार पत्र ने इसकी तुलना जलियावाला बाग हत्याकाण्डसे की।




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