राजस्थान के प्रमुख किसान आंदोलन




मेव किसान आंदोलन

–        अलवर में मेव किसान आंदोलन का नेतृत्व गुड़गाव के मेव नेता चौधरी यासीन खान द्वारा किया गया।

–        मोहम्मद हादी ने 1932 ई. में अन्जूमन खादिम उल इस्लामनामक संस्था स्थापित कर मेव किसान आंदोलन को संगठित किया।

–        अलवर शासक जयसिंह के शिकारगढ़ में रहने वाले जंगली जानवर व जंगली सुअर किसानों की फसल बर्बाद करते थे। जानवरों को मारने पर भी पाबंदी थी।

         अत: किसानों ने आंदोलन प्रारंभ किया।

–        1923-1924 ई. में लागू किया गया भू-राजस्व बंदोबस्त मेव किसानों में अंसतोष उत्पन्न करने वाला था।

–        मेव आंदोलन प्रारंभ में आर्थिक स्वरूप लिए था किंतु कालांतर में साम्प्रदायिक रंग प्राप्त करने लगा। मेवों ने हिन्दुओं के घरों की सम्पति लूटना शुरू कर दिया था।

–        ब्रिटिश सरकार के हस्तक्षेप से आंदोलन पर नियंत्रण पाया गया।

–        महाराजा जयसिंह को देश निकाला दे दिया।




 

बूँदी किसान आंदोलन :-

–        बूँदी में बरड़ क्षेत्र के किसानों ने जागीर प्रशासन के विरुद्ध आंदोलन न करके बूँदी राज्य प्रशासन के विरुद्ध किया।

–        बूँदी व बिजौलिया के बीच पथरीला व कठोर भाग बरड़ कहलाता था।

–        बूँदी आंदोलन का नेतृत्व पं.नयनूराम शर्मा ने किया।

–        तरूण राजस्थान, नवीन राजस्थान (अजमेर), राजस्थान केसरी (वर्धा), प्रताप आदि समाचार पत्रों में आंदोलनकारियों पर किए जुल्मों का व्यापक रूप से प्रचार किया।

–        2 अप्रैल,1923 में बूँदी में डाबी नामक स्थान पर किसानों की सभा पर पुलिस अधीक्षक इकराम हुसैन ने गोली चला दी जिसमें नानक जी भील व देवीलाल गुर्जर घटना स्थल पर ही झण्डा गीत गाते हुए शहीद हो गए।

–        माणिक्यलाल वर्मा ने नानक भील की स्मृति में अर्जीशीर्षक से गीत लिखा।




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