राजस्थान के प्रमुख किसान आंदोलन




शेखावाटी किसान आंदोलन

–        आंदोलन का प्रारंभ सीकर ठिकाने के नये राव राजा कल्याणसिंह द्वारा 25 से 50 प्रतिशत तक भू-राजस्व में वृद्धि करने से हुआ।

–        राजस्थान सेवा संघ के मंत्री रामनारायण चौधरी के नेतृत्व में किसानों ने इसके विरुद्ध आवाज उठाई।

–        लंदन में प्रकाशित डेली हेराल्डनामक समाचार पत्र में किसानों के समर्थन में लेख छपे।

–        1925 ई. में ब्रिटिश संसद के के नीचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्समें लिचेस्टर (पश्चिम) से लेबर पार्टी के सदस्य सर पैथिक लॉरेन्स ने किसानों के समर्थन में आवाज उठाई।

–        1931 ई. में ठाकुर देशराज ने जाट क्षेत्रीय सभाकी स्थापना की।




–        किसानों को धार्मिक आधार पर संगठित करने के लिए ठाकुर देशराजने मथैना में एक सभा कर ” जाट प्रजापति महायज्ञ” करने का निश्चय किया।

–        बसंत पंचमी 20 जनवरी, 1934 को सीकर में यज्ञाचार्य प. खेमराज शर्मा की देखरेख में यज्ञ आरम्भ हुआ।

–        यज्ञपति कुँवर हुक्मसिंह को हाथी पर बैठाकर जुलूस निकाला।     

–        सिहोट के ठाकुर मानसिंह द्वारा सोतिया का बासनामक गाँव में किसान महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के विरोध में 25 अप्रैल, 1934 को कटराथल नामक स्थान पर श्रीमति किशोरी देवी की अध्यक्षता में विशाल महिला सम्मलेन आयोजित हुआ।

–        शेखावाटी क्षेत्र की पाँच बड़ी जागीरें नवलगढ़, मंडावा, डुण्डलोद, बिसाऊ व मलसीसर थे। इनको पंच पाणेकहते थे।

–        1934 ई. में ठाकुर ईश्वरी सिंह ने जयपुर के जयसिंहपुरा गाँव में किसानों पर गोलियां चलायी जिसे जयसिंहपुरा किसान हत्याकाण्ड के नाम से जानते हैं।

–        ईश्वरी सिंह व साथियों पर मुकदमा चलाकर सजा दी गई।

–        जयपुर राज्य में यह प्रथम मुकदमा था, जिसमें जाट किसानों के हत्यारों को सजा दिलाना संभव हुआ।

–        सीकर ठिकाने के विशेष अधिकारी वैब ने अप्रैल 1935 ई. को कुदन गाँव व गोठड़ा भूकरान गाँवो पर नरसंहार किया।

–        कुदन गाँव का हत्याकाण्ड इतना विभत्स था कि ब्रिटेन की संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स में भी इस पर भी चर्चा हुई।

–        26 मई, 1935 को सीकर दिवस मनाया गया।




मेवाड़ जाट किसान आंदोलन-

         महाराणा फतेह सिंह के शासनकाल में 22 जून, 1880 को चित्तौड़ के रश्मि परगना में मातृकुण्डिया में आंदोलन हुआ।

–        कारण जाट किसानों ने नई भू-राजस्व व्यवस्था के विरुद्ध प्रदर्शन किया।       

 




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