महाराजा सूरतसिंह (1787-1828 ई.) :-
- 16 अप्रैल, 1805 को मंगलवार के दिन भाटियों को हराकर इन्होंने भटनेर को बीकानेर राज्य में मिला लिया तथा भटनेर का नाम हनुमानगढ़ रख दिया (क्योंकि इन्होंने हनुमानजी के वार मंगलवार को यह जीत हासिल की थी)।
- 1818 ई. में बीकानेर के राजा सूरतसिंह ने ईस्ट इंडिया कंपनी से सुरक्षा संधि कर ली और बीकानेर में शांति व्यवस्था कायम करने में लग गये।
महाराजा रत्नसिंह (1828-1851 ई.) :-
- 1836 ई. में गया (बिहार) में अपने सामंतों को‘कन्या वध’ को रोकने की शपथ दिलाई।
- इन्होंने बीकानेर में‘रतन बिहारी’ मंदिर बनवाया।
महाराजा सरदारसिंह (1851-1872 ई.):-
- 1857 ई. की क्रांति में अंग्रेजों के सहयोग के लिए अपनी सेना कोबाडलू , पंजाब में भेजा।
- यह बीकानेर के एकमात्र राजा थे जो राज्य की सीमा से बाहर जाकर लड़े।
- अंग्रेजों ने इन्हें टिब्बी परगने के 41 गाँव दिए थे।