राजस्थान के प्रमुख राजवंश एंव उनकी उपलब्धियां




राव गांगा (1515-32)

  • राव सूजा की मृत्यु के बाद उसका पौत्र गांगा मारवाड़ का शासक बना।
  • राव गांगा बाघा जी के पुत्र थे।
  • खानवा के युद्ध में गांगा ने अपने पुत्र मालदेव के नेतृत्व में सेना भेजकर राणा सांगा की मदद की थी।
  • राव गांगा ने गांगलोव तालाब, गांगा की बावड़ी व गंगश्याम जी के मंदिर का निर्माण करवाया।


राव मालदेव (1532-62 ई.)

  • राव मालदेव राव गांगा का बड़ा पुत्र था।
  • मालदेव ने उदयसिंह को मेवाड़ का शासक बनाने में मदद की।
  • मालदेव की पत्नी उमादे (जो जैसलमेर के राव लूणकर्ण की पुत्री थी) को रूठीरानी के नाम से जाना जाता है।
  • अबुल फज़ल ने मालदेव को ‘हशमत वाला’ शासक कहा था।
  • शेरशाह सूरी व मालदेव के दो सेनापतियों जैता व कुम्पा के बीच जनवरी, 1544 ई. मे गिरी सुमेल का युद्ध (जैतारण का युद्ध) हुआ जिसमें शेरशाह बड़ी मुश्किल से जीत सका।
  • गिरी सूमेल के युद्ध के समय ही शेरशाह के मुख से निकला कि “मैं मुट्ठी भर बाजरे के लिए हिन्दुस्तान की बादशाहत खो देता।“
  • राव मालदेव के समय सिवाणा पर राणा डूँगरसी का अधिकार था।
  • राव मालदेव के समय बीकानेर का शासक राव जैतसी था।
  • मालदेव की रानी उमादे (रूठी रानी) को अजमेर से मनाकर ईश्वरदास जी जोधपुर लाये लेकिन आसा बारहठ ने रानी को एक दोहा सुनाया जिससे वह वापस नाराज हो गई।


राव चन्द्रसेन (1562-1581 ई.)

  • राव चन्द्रसेन मालदेव का तीसरा पुत्र था।
  • चन्द्रसेन के भाई राम के कहने पर अकबर ने सेना भेजकर जोधपुर पर कब्जा कर लिया था।
  • सन् 1570 ई. के नागौर दरबार में वह अकबर से मिला था लेकिन शीघ्र ही उसने नागौर छोड़ दिया।
  • चन्द्रसेन मारवाड़ का पहला राजपूत शासक था जिसने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और मरते दम तक संघर्ष किया। ‘मारवाड़ का भूला बिसरा नायक’ नाम से प्रसिद्ध।
  • चन्द्रसेन को ‘मारवाड़ का प्रताप’ कहा जाता है।


राव उदयसिंह (1583-95 ई.)

  • राव चन्द्रसेन का भाई।
  • राव उदयसिंह को मोटा राजा के नाम से भी जाना जाता है।
  • राव उदयसिंह ने 1570 ई. में अकबर की अधीनता स्वीकार की।
  • उसने अपनी पुत्री जोधाबाई (जगत गुंसाई/भानमती) का विवाह 1587 ई. में शहजादे सलीम (जहाँगीर) के साथ किया।
  • शहजादा खुर्रम इसी जोधाबाई का पुत्र था।


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