राजस्थान के प्रमुख राजवंश एंव उनकी उपलब्धियां




रावल जैत्रसिंह (1213-50 ई.)

  • इल्तुतमिश के आक्रमण का सफल प्रतिरोध किया जिसका वर्णन जयसिंह कृत ‘हम्मीर-मान-मर्दन’ नामक नाटक में किया गया है।
  • 1242-43 में जैत्रसिंह की गुजरात केत्रिभुवनपाल से लड़ाई हुई।
  • जैत्रसिंह नेमेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ को बनाई।
  • तेजसिंह – 1260 ई. में मेवाड़ चित्र शैली का प्रथम ग्रन्थ ‘श्रावक प्रतिकर्मण सूत्र चुर्णि’ तेजसिंह के काल में लिखा गया।

नोट – मेवाड़ चित्रकला शैली की शुरूआत तेजसिंह के समय हुई।


रावल समरसिंह (1273-1301)

  • इसने आचार्य अमित सिंह सूरी के उपदेशों से अपने राज्य में जीव हिंसा पर रोक लगाई।

रावल रतनसिंह (1301-1303 ई.)

  • यह समरसिंह का पुत्र था जो 1301 ई. में शासक बना।
  • 1303 ई.में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय लड़ते हुए शहीद, पत्नी पद्मिनी का जौहर, सेनापति गोरा-बादल (चाचा – भतीजा) का बलिदान। गोरा पद्मिनी का चाचा तथा बादल भाई था।
  • यह चित्तौड़ का प्रथम साका (राजपूतों का बलिदान एवं राजपूत महिलाओsं का सामुहिक जौहर) था।
  • अलाउद्दीन ने चित्तौड़ का नामखिज्राबाद रखा व अपने पुत्र खिज्र खां को वहाँ का शासक बनाया।
  • चित्तौड़गढ़ के किले में पद्मिनी पैलेस, गौरा बादल महल, नौ गंजा पीर की दरगाह व कालिका माता का मन्दिर, कुम्भा द्वारा निर्मित विजय स्तम्भ, जीजा द्वारा जैन कीर्ति स्तम्भ, मोकल द्वारा पुनः निर्माण कराया गया।समिद्धेश्वर मन्दिर (त्रिभुवन नारायण) मीरां मन्दिर आदि दर्शनीय है।


  • चित्तौड़गढ़ दुर्ग में बाघसिंह की छतरी, जयमल पत्ता की छतरी, वीर कल्ला राठौड़ की छतरी (चार हाथों वाले देवता, शेषनाग का अवतार) मीरां के गुरू संत रैदास की छतरी, जौहर स्थल।
  • चैत्र कृष्ण एकादशी को जौहर मेला चित्तौड़गढ़ में लगता है।
  • 1313 के बाद सोनगरा चौहान मालदेव को अलाउद्दीन ने चित्तौड़ का प्रशासन सौंपा।
  • मलिकमुहम्मद जायसी द्वारा शेरशाह सूरी के समय मसनवी शैली में रचित अवधी भाषा के प्रसिद्ध ग्रन्थ पद्मावत में रतनसिंह व पद्मिनी की प्रेम कथा का उल्लेख है।
  • पद्मावतको कुछ इतिहासकार जैसे ओझा, कानूनगो, लाल आदि कल्पना पर आधारित मानते हैं।
  • पद्मिनीका प्रिय तोता – हीरामन (राय जाति का तोता, जो वर्तमान में दर्रा अभ्यारण्य, कोटा एवं गागरोण में पाया जाता है)।
  • रावलरतनसिंह का विद्वान पण्डित – राघव चेतन (इसने रतनसिंह द्वारा देश निकाला दे दिये जाने पर अलाउद्दीन खिलजी के दरबार में शरण ली)।
  • इस युद्ध (1303 ई. ) में इतिहासकारअमीर खुसरो उपस्थित था।
  • रतनसिंहगुहिलों की रावल शाखा का अंतिम शासक था।


Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *