राजस्थान के प्रमुख राजवंश एंव उनकी उपलब्धियां




महाराणा संग्राम सिंह (राणा सांगा) (1509-28 ई.)

  • रायमल का पुत्र।
  • 24 मई, 1509 ई. को महाराणा संग्राम सिंह का राज्याभिषेक हुआ उस समय दिल्ली में लोदी वंश का सुल्तान सिकन्दर लोदी, गुजरात में महमूदशाह बेगड़ा और मालवा में नासिरूद्दीन खिलजी का शासन था।
  • मेवाड़ का सबसे प्रतापी शासक, ‘हिन्दूपत‘ कहलाता था।
  • मालवा के महमूद खिलजी द्वितीय से सांगा का संघर्ष मेदिनीराय नामक राजपूत को शरण देने के कारण हुआ।
  • सन् 1519 को गागरोन (झालावाड़) युद्ध मे मालवा के शासक महमूद खिलजीद्वितीय को हराकर बंदी बनाया, फिर रिहा किया।
  • खातोली (बूँदी) के युद्ध (1517 ई.) व बाड़ी (धौलपुर) के युद्ध (1519 ई.) में दिल्ली के शासक इब्राहिम लोदी को हराया।
  • पंजाब के दौलत खां व इब्राहिम लोदी के भतीजे आलम खां लोदी ने फरगना (काबुल) के शासक बाबर को भारत आमंत्रित किया।
  • बाबर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-बाबरी (तुर्की भाषा) में राणा सांगा द्वारा बाबर को भारत आमंत्रित करने का उल्लेख किया। तुजुक-ए-बाबरी में बाबर ने कमल के फूल के बाग का वर्णन किया है जो धौलपुर में    है।
  • राणा सांगा का गुजरात से संघर्ष ईडर के मामले को लेकर हुआ (गुजरात का सुल्तान मुजफ्फर)।
  • 1526 ई. के बयाना (भरतपुर) के युद्ध में बाबर को हराया।
  • ऐतिहासिक खानवा (भरतपुर की रूपवास तहसील में) के युद्ध- 17 मार्च 1527 ई. में मुगल शासक बाबर से हारा, घायलावस्था में युद्ध क्षेत्र से बाहर, खानवा के युद्ध में बाबर से पराजित होने का प्रमुख कारण बाबर का तोपखाना था।
  • खानवा के इस निर्णायक युद्ध के बाद मुस्लिम (मुगल) सत्ता की वास्तविक स्थापना हुई। खानवा स्थान गंभीरी नदी के किनारे है।
  • खानवा विजय के बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की तथा खानवा युद्ध में जिहाद का नारा दिया।


  • खानवा युद्ध में राणा सांगा ने सभी राजपूत हिन्दू राजाओं को पत्र लिखकर युद्ध में आमंत्रित किया। राजपूतों में इस प्रथा को पोती परवण कहा जाता है।
  • राणा सांगा अन्तिम हिन्दू राजपूत राजा था जिसके समय सारी हिन्दू राजपूत जातियां विदेशियों को बाहर निकालने के लिए एकजुट हो गई थी।
  • खानवा के युद्ध मेंआमेर का – पृथ्वीराज कच्छवाह मारवाड़ का – मालदेव, बूंदी का – नारायण राव, सिरोही का – अखैहराज देवड़ा प्रथम, भरतपुर का – अशोक परमार, बीकानेर का – कल्याणमल ने।
  • अपनी-अपनी सेना का नेतृत्व किया। अशोक परमार की वीरता से प्रभावित होकर राणा सांगा ने अशोक परमार को बिजौलिया ठिकाना भेंट किया।
  • हसन खां मेवाती खानवा युद्ध में राणा सांगा के युद्ध में सेनापति था।
  • खानवा के युद्ध में झाला अज्जा ने सांगा का राज्य चिह्न व मुकुट लेकर सांगा की सहायता की व अपना बलिदान दिया।
  • 30 जनवरी 1528 को कालपी (मध्यप्रदेश) में सरदारों द्वारा विष दिये जाने के कारण बसवां (दौसा) में मृत्यु।
  • मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) में सांगा का दाह संस्कार हुआ तथा वहीं पर उसकी छतरी है।
  • राणा सांगा के दाह संस्कार के समय उसके शरीर पर 80 घाव लगे हुए थे। इसलिए राणा सांगा को सैनिकों का भग्नावशेष भी कहा जाता है।


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