राजस्थान के प्रमुख राजवंश एंव उनकी उपलब्धियां




दुर्गादास राठौड़

  • वीर दुर्गादास जसवन्त सिंह के मंत्री आसकरण का पुत्र था।
  • उसने अजीतसिंह को मुगलों के चंगुल से मुक्त कराया।
  • उसने मेवाड़ व मारवाड़ में सन्धि करवायी।
  • अजीतसिंह ने दुर्गादास को देश निकाला दे दिया तब वह उदयपुर के महाराजा अमर सिंह द्वितीय की सेवा मे रहा।
  • दुर्गादास का निधन उज्जैन में हुआ और वहीं क्षिप्रा नदी के तट पर उनकी छतरी (स्मारक) बनी हुई है।


अमरसिंह राठौड़

  • जोधपुर के गजसिंह का पुत्र व महाराजा जसवन्त सिंह का भाई जो नाराज होकर शाहजहाँ की सेवा में चला गया।
  • सन् 1644 ई. मे उसने शाहजहाँ के साले व मीरबक्शी सलावत खाँ की भरे दरबार में हत्या कर दी थी।
  • सन् 1644 ई. में ‘मतीरे की राड‘ नामक युद्ध अमर सिंह राठौड़ व बीकानेर के कर्णसिंह के मध्य लड़ा गया।
  • अमरसिंह को नागौर का शासक बनाया गया।
  • वीरता के कारण वह आज भी राजस्थानी ख्यालों में प्रसिद्ध।


बीकानेर के राठौड़

राव बीका (1465-1504 ई.)

  • बीकानेर के राठौड़ वंश का संस्थापक राव जोधा का पुत्र राव बीका था।
  • राव बीका ने करणी माता के आशीर्वाद से 1465 ई. में जांगल प्रदेश में राठौड़ वंश की स्थापना की तथा सन् 1488 ई. में नेरा जाट के सहयोग से बीकानेर (राव बीका तथा नेरा जाट के नाम को संयुक्त कर नाम बना) नगर की स्थापना की।
  • राव बीका ने जोधपुर के राजा राव सुजा को पराजित कर राठौड़ वंश के सारे राजकीय चिह्न छीनकर बीकानेर ले गये।
  • राव बीका की मृत्यु के बाद उसका ज्येष्ठ पुत्र ‘नरा‘ बीकानेर का शासक बना।


राव लूणकरण (1504-1526 ई.)

  • अपने बड़े भाई राव नरा की मृत्यु हो जाने के कारण राव लूणकरण राजा बना।
  • राव लूणकरण बीकानेर का दानी, धार्मिक, प्रजापालक व गुणीजनों का सम्मान करने वाला शासक था। दानशीलता के कारण बीठू सूजा ने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ राव जैतसी रो छन्द में इसे ‘कर्ण‘ अथवा ‘कलियुग का कर्ण‘ कहा है।
  • सन् 1526 ई. में इसने नारनौल के नवाब पर आक्रमण कर दिया परन्तु धौंसा नामक स्थान पर हुए युद्ध में लूणकरण वीरगति को प्राप्त हुआ।
  • ‘कर्मचन्द्रवंशोंत्कीकर्तनंक काव्यम्‘ में लूणकरण की दानशीलता की तुलना कर्ण से की गई है।


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