गुहिल वंश
- मेवाड़कागुहिल वंश
गुहिल
- अबुलफजल ने मेवाड़ के गुहिलों को ईरान के बादशाह नौशेखाँ आदिल की सन्तान माना है।
- मुहणौतनैणसी ने अपनी ख्यात में गुहिलों की 24 शाखाओं का जिक्र किया है। इन सभी शाखाओं में मेवाड़ के गुहिल सर्वाधिक प्रसिद्ध रहे हैं।
- गुहादित्य या गुहिल इस वंश का संस्थापक था।
- पिताका नाम – शिलादित्य, माता का नाम – पुष्पावती।
- स्थापना 566 ई. में, हूण वंश के शासक मिहिरकुल को पराजित करके।
- राजधानी– नागदा (उदयपुर के पास)।
बप्पा रावल या कालभोज
- 734 ई. में चित्तौड़गढ़ के अन्तिम मौर्य राजा मान मौर्य से चित्तौड़ दुर्ग जीता, एकलिंग मंदिर (कैलाशपुरी) का निर्माण, एकलिंगजी को कुलदेवता मानते थे। एकलिंग जी के पास इनकी समाधि ‘बप्पा रावल’ नाम से प्रसिद्ध।
- बप्पारावल को कालभोज के नाम से जाना जाता है।
- बप्पारावल को मेवाड़ का वास्तविक संस्थापक कहा जाता है।
- बप्पारावल ने कैलाशपुरी (उदयपुर) में एकलिंगनाथजी का मन्दिर बनवाया एकलिंगनाथजी मेवाड़ के कुल देवता थे।
- 734 ई. में बप्पारावल ने मौर्य शासक मानमौरी से चित्तौड़गढ़ का किला जीता तथा नागदा (उदयपुर) की राजधानी बनाया।
नोट – चित्तौड़ का किला (गिरि दुर्ग) गम्भीरी व बेड़च नदियों के किनारे पर मेसा के पठार पर स्थित चित्रांगद मौर्य (कुमारपाल संभव के अभिलेख के अनुसार चित्रांग) द्वारा बनाया गया। चित्तौड़ के किले में सात द्वार हैं। पाडनपोल, भैरवपोल, गणेशपोल, हनुमानपोल, जोडनपोल, लक्ष्मणपोल, रामपोल।
- चित्तौड़ के किले के बारे में कहा गया है कि गढ तो बस चित्तौड़गढ़ बाकी सब….
- क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा किला चित्तौड़ का किला है। यह व्हेल मछली की आकृति का किला है।
- इसे राजस्थान का दक्षिणी-पूर्वी प्रवेश द्वार कहते हैं।
- चित्तौड़ को राजस्थान में किलों का सिरमौर व राजस्थान का गौरव कहते हैं।
- राजस्थान किलों की दृष्टि से देश में तीसरा स्थान रखता है। पहला महाराष्ट्र का, दूसरा मध्यप्रदेश का तीसरा राजस्थान का है।
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