राजस्थान के प्रमुख राजवंश एंव उनकी उपलब्धियां




पृथ्वीराज तृतीय (राय पिथौरा) (1177-1192 ई.)

  • पृथ्वीराज प्रतापी राजा व श्रेष्ठ सेनानायक था।
  • उसके पिता का नाम सोमेश्वर व माता का नाम कर्पुरी देवी था।
  • पिता की मृत्यु के बाद उसने 11 वर्ष की आयु में अजमेर का शासन संभाला।
  • कन्नौज के राजा जयचंद गहड़वाल के साथ उसके कटुतापूर्ण सम्बन्ध थे।
  • जयचंद की पुत्री संयोगिता को स्वयंवर से उठाकर वह अजमेर ले आया और उससे विवाह किया।
  • तराईन के प्रथम युद्ध – 1191 ई. मे उसने तुर्क आक्रमणकारी मुहम्मद गोरी को बुरी तरह हराया।
  • तराईन के द्वितीय युद्ध – 1192 ई. मे वह मुहम्मद गोरी से हार गया।
  • हसन निजामी के ताजुल मासिर के अनुसार गौरी द्वारा पृथ्वीराज को कैद किया गया व सुल्तान के विरूद्ध षड़यंत्र करते पाया गया तो उसकी हत्या कर दी गयी।
  • आल्हा व उदल महोबा के चंदेल शासक परमर्दीदेव के सेनानायक थे। दोनों वीर, साहसी थे एवं 1182 ई. में महोबा के युद्ध में पृथ्वीराज के विरुद्ध लड़ते हुए शहीद हुए।
  • ‘पृथ्वीराज रासो‘ के रचयिता चन्दवरदाई थे। इस ग्रंथ को चन्दवरदाई के पुत्र जल्हण ने पूरा किया।


रणथम्भौर के चौहान

  • रणथम्भौर के चौहान वंश की स्थापना पृथ्वीराज के पुत्र गोविन्द राज ने की।
  • रणथम्भौर की चौहान शाखा का सबसे प्रतापी शासक हम्मीर देव (1282-1301 ई) था। उसने 17 युद्ध लड़े जिसमे 16 में विजित रहा।
  • सन् 1291 ई. में उसने जलालुद्दीन खिलजी के आक्रमण को विफल किया।
  • जलालुद्दीन ने 1292 में रणथम्भौर को जीतने का दुसरा असफल प्रयास किया।
  • उसने अलाउद्दीन खिलजी के विद्रोही सेनानायक मुहम्मदशाह को शरण दी अतः अलाउद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर 1301 ई. मे आक्रमण कर दिया।
  • हम्मीर लड़ता हुआ मारा गया, पत्नी रंगदेवी ने जौहर किया। यह राजस्थान का प्रथम साका था।
  • हम्मीर अपनी वीरता के साथ-साथ हठ के लिए भी प्रसिद्ध है।


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