मेवाड़ का इतिहास

 




मेवाड़ का इतिहास – 11

  1. राणा कुंभा के समकालीन शासक =
  • नागौर – फिरोज खाँ, शम्स खाँ तथा मुजाहिद खाँ
  • गुजरात – (5 शासक हुए) कुतुबुद्दीन शाह
  • सिरोही – अचलदास खिंची
  • हड़ौती – सांडा (कोटा) भाणा (बूंदी)
  • मालवा – महमूद खिलजी I

– महमूद खिलजी I मालवा शासक होशंगशाह का मंत्री था लेकिन होशंग शाह के पुत्र उमर खाँ को राजगद्दी से पदच्यूत कर मालवा का शासक बना।

 




– उमर खाँ राणा कुंभा की शरण में आया।

– सांरगपुर युद्ध के समय 1437 ई. में कुंभा सौतेले भाई खेमकरण ने सादड़ी पर अधिकार किया लेकिन कुंभा ने उसे पराजित कर पुन: सादड़ी पर अधिकार कर लिया।

– खेमकरण मालवा शासक महमूद खिलजी I की शरण में गया।

– 1442 ई. में महमूद खिलजी I ने कुंभलगढ़ व चित्तौड़गढ़ पर असफल आक्रमण किया।

– महमूद खिलजी I ने बाण माता मूर्ति को खण्डित किया।

– महमुद खिलजी I ने माण्डलगढ़ (भीलवाड़ा) पर 1446, 1446 एवं 1456 ई. में तीन बार असफल आक्रमण किया।

– 1455 ई. में महमूद खिलजी I ने अजमेर में राणा कुंभा के किलेदार गजाधर सिंह को पराजित कर यहाँ अधिकार किया एवं किलेदार नियामतुल्ला खाँ को नियुक्त कर इसे सैफ खाँ की उपाधि दी।

– 1444 ई. में राणा कुंभा के बहनोई अचलदास खीची पर महमूद खिलजी ने आक्रमण कर गागरोन दुर्ग झालावाड़ पर अधिकार किया।

 

– इस सन्धि के पश्चात जोधा की पुत्री शृंगार देवी का विवाह कुम्भा के पुत्र रायमल के साथ हुआ।

 




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