मेवाड़ का इतिहास

 




मेवाड़ का इतिहास – 18

राणा सांगा –  (1509-1528ई.)

राणा सांगा के समकालीन मालवा शासक महमूद खिलजी-II था।

राणा सांगा के समकालीन ही माण्डू एंव चंदेरी (M.P.) का राजपूत सरदार मेदिनी राय था।

मुस्लिम सरदार महमूद खिलजी II को निर्बल समझते हुए। उसे राजगद्दी से हटाकर उसके भाई साहब खाँ को मालवा का शासक बनाया।

महमूद खिलजी II ने मेदिनी राय की सहायता से पुन: राजगद्दी प्राप्त की।

सिकंदर लोदी, गुजरात शासक मुजफ्फरशाह एंव साहेब खाँ तीनों ने रूप से खिलजी II को हटाने हेतु आक्रमण किया लेकिन मेदिनी राय ने इसे असफल किया।

महमूद खिलजी II ने मेदिनीराय को मालवा का प्रधानमंत्री बनाया।

 




मालवा के मुस्लिम सरदारों के प्रभाव में आकर खिलजी II ने कुछ समय पश्चात् मेदिनीराय को हटाकर उसके क्षेत्र माण्डू व चंदेरी पर अधिकार करना चाहा।

मेदिनी राय माण्डू का कार्यभार अपने पुत्र नत्थू को सौंपकर मेवाड़ महाराणा सांगा की शरण में आया।

खिलजी II ने नत्थू की हत्या कर माण्डू पर अधिकार किया एंव पूर्ण रूप से मालवा का शासक बना।

राणा सांगा ने मेदिनीराय को गागरोन व चंदेरी की जागीर दी।

 




गागरोन का युद्ध (1519 ई.)

स्थान – झालावाड़

राणा सांगा व महमूद खिलजी II के मध्य युद्ध हुआ।

विजेता राणा सांगा रहे।

राणा सांगा का गुजरात के साथ संबंध :-

राणा सांगा के समकालीन गुजरात शासक मुजफ्फरशाह था।

मुजफ्फरशाह के साथ दुश्मनी के प्रमुख कारण।

  1. धार्मिक कट्टरता,
    2. गुजरात शासक व खिलजी II द्वारा मेदिनीराय के पुत्र नत्थू की हत्या करना।
  2. गागरोन युद्ध में मालवा का सहयोग करना।
  3. ईडर राज्य में सांगा व मुज्जफ्फरशाह का हस्तक्षेप।

भाणा की मृत्यु के पश्चात् ईडर का शासक सूर्यमल्ल एवं तत्पश्चात् रायमल बना।

रायमल की अल्पायू का लाभ उठाकर भीम ईडर का शासक बनता है।

भीम की अल्पायु मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र भारमल शासक बनता है।

रायमल राणा सांगा की शरण में जाकर उनकी सहायता से ईडर का शासक बनता है।

भारमल का सहयोग गुजरात शासक मुज्जफ्फर शाह ने किया।

 




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