मेवाड़ का इतिहास

 




मेवाड़ का इतिहास 5

  • राव जैत्रसिंह

शासनकाल – 1213 ई. – 1253 ई. तक

  • रावल जैत्रसिंह के समकालीन मालवा शासक देवपाल परमार था जिसे जैत्रसिंह ने पराजित किया।
  • रावल जैत्रसिंह ने गुजरात के गुर्जर प्रतिहार शासक वीर धवल व लवण्य प्रसाद को पराजित किया।
  • रावल जैत्रसिंह ने नाडोल के चौहान शासक उदयसिंह को पराजित किया।
  • उदयसिंह ने मेवाड़ के साथ मैत्रीपूर्व संबंध स्थापित करने हेतु अपनी पुत्री रूगादेवी का विवाह जैत्रसिंह के पुत्र तेजसिंह के साथ किया।
  • भूताला का युद्ध :- 1226/1227
  • मध्य – जैत्रसिंह व इल्लतुतमिश




  • 1226 ई. में जैत्रसिंह व दिल्ली शासक इल्तुतमिश के मध्य राजसंमद में भूताला का युद्ध लड़ गया, जिसमें जैत्रसिंह विजेता रहा।
  • गोपीनाथ शर्मा इस युद्ध का समय 1222 ई.– 1229 ई. के मध्य बताते हैं।
  • इस युद्ध के पश्चात मुस्लिम सैनिकों ने आहड़ व नागदा को क्षति पहुँचाई जिस कारण जैत्रसिंह ने अपनी राजधानी चित्तौड़गढ़ को बनाया।
  • इल्तुतमिश के पश्चात् दिल्ली का मुख्य शासक नासिरुद्दीन बना।
  • नासिरद्दीन का भाई जलालुद्दीन कन्नौज (P.) का शासक/स्वामी था।
  • 1248 ई. में मेवाड़ शासक जैत्रसिंह द्वारा जलालुद्दीन को शरण देने पर नासिरुद्दीन द्वारा असफल आक्रमण किया गया।
  • रावल तेजसिंह
  • शासनकाल – 1253 ई. – 1273 ई.
  • उपाधियाँ – महाराजाधिराज, परमभट्टारक
  • तेजसिंह के शासनकाल में मेवाड़ का प्रथम चित्रित ग्रंथ श्रावक प्रतिक्रमण चूर्णी 1260 ई. में कमलचन्द्र नामक चित्रकार द्वारा चित्रित किया गया था।
  • 1255–56 ई. में दिल्ली सुल्तान नासिरुद्दीन ने कुतलुग खाँ को कैद करने हेतु मेवाड़ पर बलवन के नेतृत्व में सेना भेजी लेकिन आक्रमण असफल रहा।
  • 1260 ई. में गुजरात के शासक बीसलदेव को पराजित कर “उमापतिवार लब्धप्रौढ़प्रताप (शक्तिशाली व उदारक शासक)” की उपाधि धारण की।




रावल समरसिंह

शासनकाल – 1273 ई. – 1302 ई. तक

उपाधि – त्रिलोका

  • जीव हत्या पर प्रतिबंध लगाने वाला प्रथम शासक था। इन्होंने यह प्रतिबंध दरबारी जैन विद्वान रत्नप्रभ सूरी व पार्श्वचन्द्र के कहने पर लगाया।

प्रमुख दरबारी विद्वान – भावशंकर, दयाशंकर

प्रमुख शिल्पी – कर्मसिंह, पद्मसिंह व केल्लसिंह

समर सिंह के समकालीन दिल्ली शासक :-

  • जलालुद्दीन खिलजी (1290 ई. – 96 ई.)
  • अलाउद्दीन खिलजी (1296 ई.– 1316 ई.)




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