मेवाड़ का इतिहास

 




मेवाड़ का इतिहास -23

महाराणा प्रताप व अकबर

  • हल्दी घाटी युद्ध के बाद अकबर अपनी सेना सहित 13 अक्टूबर, 1576 ई. को गोगुन्दा पहुँचा तथा मेवाड़ के मही गाँव के पास, 1 महिने तक रूका।
  • इस दौरान अकबर ने मानसिंह को प्रताप को पकड़ने के लिए भेजा जो असफल रहा।
  • नवम्बर 1576 ई. को अकबर निराश होकर मेवाड़ से मालवा लौटा।
  • अकबर के लौटते ही प्रताप ने अकबर के प्रशासक मुजाद्धि बेग की हत्या कर गोगुन्दा पर पुन: अधिकार किया तथा गोगुन्दा का कार्यभार मांडल कूंपावत को सौपा।
  • अकबर ने प्रताप को कैद करने हेतु शाहबाज खाँ को कुंभगलढ़ एंव आस-पास क्षेत्रों पर तीन बार आक्रमण करने के लिए भेजा-
  • शाहबाज खाँ का प्रथम आक्रमण – 15 अक्टूबर, 1577 इस आक्रमण के दौरान 5 अप्रैल, 1578 ई. को शाहबाज खाँ ने कुम्भलगढ़ पर अधिकार कर लिया।




  • 4 अप्रैल, 1575 को शाहबाज खाँ ने गोगुन्दा व उदयपुर पर भी अधिकार कर लिया।
  • प्रथम आक्रमण में शाहबाज खाँ महाराणा प्रताप को कैद करने में असफल रहा।
  • शाहबाज खाँ का दूसरा आक्रमण – 15 दिसम्बर,1578 यह भी आक्रमण असफल रहा।
  • शाहबाज खाँ का तीसरा आक्रमण – 15 नवम्बर, 1579 यह भी आक्रमण असफल रहा।
  • अकबर ने 1580 ई. में रहीम खाना ए-खाना के नेतृत्व में प्रताप को कैद करने हेतु सेना भेजी लेकिन असफल रही।
  • रहीम खान-ए-खाना का कथन-तुर्की राज्य का अंत हो जायेगा लेकिन महाराणा प्रताप का धर्म व राज्य शाश्वत रहेगा।
  • 1580 ई. से 1584 ई. तक महाराणा प्रताप पर मुगल सेना का कोई आक्रमण नहीं हुआ।
  • अकबर ने मेवाड़ पर मुगल शासक चलाने एंव उसे कैद करने हेतु चार सैनिक चौकियाँ स्थापित की।




­     दैबारी – उदयपुर

­     दिवेर – राजसमंद

­     देसुरी – पाली

­     देवल – डूँगरपुर

  • प्रताप की भामाशाह से मुलाकात – 1577 ई. को चुलिया गाँव चित्तौड़गढ में हुई।
  • इस मुलाकात में प्रताप को भामाशाह ने 25 लाख रूपये व 20000 स्वर्ण मुद्राएँ दान दी।
  • यह दान दी गई राशि मालवा से लूटकर लाई गई थी।
  • प्रताप ने अपने प्रधानमंत्री रामा की जगह भामाशाह को नियुक्त किया।




भामाशाह

  • जन्म – 28 जून, 1547 ई. कावड़िया (ओसवाल) गाँव (पाली)
  • इन्हें मेवाड़ का उद्धारक व मेवाड़ का रक्षक कहा जाता है।
  • द्विवेर का युद्ध – 1582 ई. – राजसमंद
  • यह युद्ध महाराणा प्रताप व मुगल सेना के मध्य हुआ।
  • इस युद्ध में मेवाड़ी सेना का सेनापति अमरसिंह I तथा मुगल सेना का सेनापति सुल्तान खाँ था।
  • इस युद्ध में सुल्तान खाँ मारा गया तथा मेवाड़ी सेना की विजय हुई।
  • इस युद्ध को कर्नल जेम्स टॉड ने मेवाड़ का मैराथन कहा।




  • अकबर ने महाराणा प्रताप के विरूद्ध 5 दिसम्बर 1584 ई. को जगन्नाथ कच्छवाहक के नेतृत्व अन्तिम सैनिक अभियान भेजा।
  • 1584 ई.-1586 ई. तक जगन्नाथ कच्छवाह मेवाड़ में रहा लेकिन प्रताप को पकड़ने में असफल रहा।
  • 1586 ई. से प्रताप की मृत्यु तक कोई मुगल आक्रमण नहीं हुआ।
  • चावंड़ का युद्ध – 1585 ई.
  • महाराणा प्रताप व लूणा चावण्डिया के मध्य हुआ।
  • इस युद्ध में प्रताप की सेना विजय हुई।
  • 1585 ई. में महाराणा प्रताप ने अपनी राजधानी चावण्ड को बनाई।
  • नोट:-19 जनवरी, 1597 तक चित्तौड़गढ़ व माण्डल को छोड़कर प्रताप ने अधिकांश मेवाड़ पर अधिकार कर लिया।




     




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