मेवाड़ का इतिहास

 




मेवाड़ राज्य का इतिहास – 3

–  गुहादित्य/राजा गुहिल ने 566 ई. में गुहिल वंश की स्थापना की।

–  राजा गुहिल के बाद बनने वाले प्रमुख शासक

नागादित्य, महेन्द्र-I, शिलादित्य II, अपराजित

–  महेन्द्र II-  इनकी हत्या भीलों द्वारा की गई। महेन्द्र II के पुत्र का नाम बप्पा रावल था।

–  गुहादित्य का आठवाँ वंशज बप्पा रावल था।

–  बप्पा रावल (734-753 ई.)- 

  जन्म – 713 ई. ईडर (गुजरात)

  पिता  महेन्द्र II

–  बप्पा रावल ने हारित ऋषि के आशीर्वाद से 734 ई. में मान मौर्य को पराजित कर चित्तौड़गढ़ पर अधिकार किया।

–  734 ई. में मेवाड़ के शासक बनकर अपनी राजधानी नागदा को बनाया।

 




–  वास्तविक नाम  कालभोज

–  मेवाड़ में गुहिल वंश का वास्तविक संस्थापक

–  कुल – 100 रानियाँ

–  35 – मुस्लिम रानियाँ

–  रणकपुर प्रशस्ति में बप्पा रावल व कालभोज को अलग-अलग बताया है।

–  कुम्भलगढ़ प्रशस्ति में बप्पा रावल को विप्रवंशीय बताया गया है।

–  735 ई. में बप्पा रावल ने ईराक के शासक हज्जात को पराजित किया।

–  738 ई. में बप्पा रावल ने अरबी आक्रांता जुनैद को पराजित किया।

–  सिंध शासक दाहरसेन को मोहम्मद बिन कासिम ने पराजित कर राजपूताना की तरफ बढ़ा लेकिन बप्पा रावल ने पराजित किया।

–  पाकिस्तान के रावलपिंड़ी शहर (बप्पा रावल के नाम पर) में बप्पा रावल ने सैनिक चौकी स्थापित की थी।

–  बप्पा रावल ने गजनी (अफगानिस्तान) के शासक सलीम को पराजित किया।

–  बप्पा रावल के समकालीन प्रतिहार शासक नागभट्ट I थे।

–  बप्पा राव के समकालीन चालुक्य (सोलंकी) शासक विजयदित्य द्वितीय (गुजरात में) था।

–  बप्पा रावल ने एकलिंगनाथ जी मंदिर का निर्माण कैलाशपुरी (उदयपुर) में करवाया गया था इसी मंदिर के पास हारित ऋषि का आश्रम स्थित है।

 

–  बप्पा रावल द्वारा निर्मित मंदिर

  1. एकलिंगनाथ जी मंदिर (कैलाशपुरी) उदयपुर
  2. आदिवराह मन्दिर (कैलाशपुरी)
  3. सास-बहू मंदिर (नागदा)

  बप्पा रावल को अजमेर से 115 ग्रेन का सोने का सिक्का प्राप्त होता है। जिस पर कामधेनु (नंदी), बोप्प शब्द, त्रिशुल अंकित है।

  G.H ओझा के अनुसार मेवाड़ में सर्वप्रथम सोने के सिक्के बप्पा रावल ने चलाएँ।

–  753 ई. में बप्पा रावल ने राजकार्य से सन्यास लिया। बप्पा रावल की मृत्यु 810 ई. में 97 वर्ष की आयु मे।

  बप्पा रावल की समाधि कैलाशपुरी (उदयपुर) में स्थित है।

  कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार बप्पा रावल की मृत्यु खुरासन में हुई।

 




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