मेवाड़ का इतिहास

 




मेवाड़ का इतिहास – 25

महाराजा कर्णसिंह (1620-1628 ई.)

  • महाराजा कर्णसिंह का राज्याभिषेक 26 जनवरी, 1620 को उदयपुर में हुआ।
  • महाराजा कर्णसिंह द्वारा करवाए गए निर्माण कार्य निम्न हैं-

– कर्ण विलास महल

– चन्द्रमहल

– दिलखुश महल

– रावला जनाना महल

– बड़ा दरीखाना (सभा शिरोमणी)

  • जहाँगीर के पुत्र खुर्रम द्वारा विद्रोह करने पर कर्णसिंह ने उसे सर्वप्रथम कैलवाड़ा हवेली तत्पश्चात जग मंदिर में शरण दी।
  • जगमंदिर-इसका निर्माण कार्य जगतसिंह प्रथम ने पूर्ण करवाया था। जगमंदिर में 1857 की क्रांति के समय स्वरूपसिंह ने अंग्रेजों को शरण दी थी।
  • जगमहल-वर्तमान में होटल लेक पैलेस के रूप में संचालित हैं, इस महल का निर्माण जगतसिंह द्वितीय ने पूर्ण करवाया था।
  • जगमंदिर तथा जगमहल पिछौला झील में स्थित है।
  • कर्णसिंह की मृत्यु मार्च 1628 में हुई।




जगतसिंह प्रथम (1628-1652 ई.)

  • जगतसिंह प्रथम का राज्याभिषेक 28 अप्रैल, 1652 को उदयपुर में हुआ।
  • जगतसिंह प्रथम द्वारा करवाए गए निर्माण कार्य निम्न है-

– रूपसागर तालाब का निर्माण (उदयपुर)

– मोहन मंदिर का निर्माण (उदयपुर)

 जगदा बावड़ी का निर्माण (उदयपुर)

  • मेवाड़-मुगल संधि का सर्वप्रथम उल्लंघन जगत सिंह प्रथम ने चित्तौड़गढ़ दुर्ग का पुन: निर्माण कर किया।
  • जगदीश मंदिर-उदयपुर

जगतसिंह प्रथम द्वारा निर्मित (1652 ई.) इस मंदिर के पास ही इनका स्मारक बना हुआ है, औरंगजेब से इस मंदिर की रक्षा करते हुए नरूजी बारहठ ने बलिदान दिया।

जगदीश मंदिर को सपनों का मंदिर भी कहा जाता है।

पंचायतन शैली में निर्मित इस मंदिर में विष्णु भगवान की प्रतिमा रखी हुई है। इस मंदिर के वास्तुकार भाणा मुकुंद थे।

नैजुबाई मंदिर का निर्माण जगतसिंह प्रथम ने करवाया था। नैजुबाई जगत सिंह प्रथम की धाय माँ थी।

  • जगन्नाथ प्रशस्ति-जगतसिंह ने लिखवाई।

इस प्रशस्ति के लेखक – कृष्ण भट्ट

  • मेवाड़ी भाषा में रचित प्रशस्ति।
  • जगतसिंह प्रथम ने देवलिया प्रतापगढ़ सामंत जसवंत सिंह प्रथम उसके पुत्र महासिंह द्वारा मेवाड़ महाराणा के आदेशों की अवहेलना करने पर उदयपुर में दोनों की हत्या करवाई।
  • शाहजहाँ इस हत्याकाण्ड से नाराज होकर मेवाड़ से एक अलग रियासत प्रतापगढ़ का गठन करता है।
  • जगतसिंह प्रथम के कवि विश्वनाथ ने जगत प्रकाश ग्रंथ की रचना की जो 14 सर्गों में विभक्त है।
  • 10 अक्टूम्बर, 1652 को जगतसिंह की मृत्यु हो गई।




महाराणा राजसिंह (1652-1680 ई.)

  • पिता-जगतसिंह प्रथम, माता- जनादे
  • राज्याभिषेक- 4 जनवरी, 1653
  • वीर विनोद ग्रंथ के अनुसार इनका राज्याभिषेक 14 फरवरी, 1653 को हुआ था।

इनकी उपाधियाँ- विजय कटकातु, हिन्दू धर्म रक्षार्थ

  • शाहजहाँ ने अपनी अजमेर यात्रा के दौरान चित्तौड़गढ़ दुर्ग में निर्माण कार्य के निरीक्षण हेतु सादुल्ला खाँ वजीर को भेजा।
  • 1653 ई. में निर्माण कार्य को ध्वस्त करने हेतु शाहजहाँ ने अब्दुला बेग के नेतृत्व में सेना भेजी।
  • 1656 ई. में शाहजहाँ के पुत्रों में उत्तराधिकार संघर्ष शुरू हुआ।
  • मुगलों के उत्तराधिकार संघर्ष के दौरान 1658 ई. में राजसिंह ने माण्डलगढ़ पर अधिकार किया। माण्डलगढ़ दुर्ग पर किशनगढ़ शासक रूपसिंह के अधीन था एवं यहाँ का किलेदार राघवसिंह था।
  • मेवाड़ का एकमात्र शासक राजसिंह था जिसने फरवरी 1653 ई. में एकलिंगनाथ हेतु रत्नों का तुलादान दिया।




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