मेवाड़ का इतिहास

 




मेवाड़ का इतिहास – 15

रायमल के कुल 11 रानियाँ तथा 13 पुत्र थे।

पुत्र –   पृथ्वीराज सिसोदिया

  • जयमल

–  सग्रांम सिंह

– ज्योतिषियों ने राणा सांगा का राज योग बलिष्ठ बताया था।

– सांरगदेव के रहने पर तीनों भाई भीमल गाँव पहुँचे जहाँ चारणी पुजारिन ने राणा साँगा के शासक बनने की भविष्यवाणी की ।

– इस भविष्यवाणी से नाराज होकर पृथ्वीराज सिसोदिया ने साँगा (सग्राम सिहं) पर वार किया, लेकिन साँगा यहाँ से बचकर सेवंत्री गाँव बीदा राठौड़ की शरण में पहुँचा।

बीदा राठौड़ सांगा की रक्षा करते हुए जयमल से लड़ते हुए  वीरगति को  प्राप्त हुए। तत्पश्चात्  राणा सांगा को  श्रीनगर (अजमेर) में कर्मचंद पँवार ने शरण दी ।

 




पृथ्वीराज की मृत्यु विष से तथा जयमल सोलंकी राजाओं से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।

राणा सांगा /संग्राम सिंह

(1509ई.-1528ई.)

पिता – रायमल

माता – रतनी कँवर

पत्नी – हाड़ी रानी कर्मावती

पुत्र  – रतन सिंह

–  भोजराज

–  विक्रमादित्य

–  उदय सिंह

उपाधि – हिन्दुपत

  • कर्नल जेम्स टॅाड ने संग्राम सिंह को “सैनिको का भग्नावेश” कहा।
  • राणा सांगा के शरीर पर 80 घाव थे।




राणा सांगा तथा दिल्ली सल्तनत

राणा सांगा के समय दिल्ली सल्तनत में तीन शासक बने।

  • सिकन्दर लोदी
  • इब्राहिम लोदी
  • बाबर

-सिकन्दर लोदी ने राणा सांगा पर कभी आक्रमण नहीं किया इब्राहिम लोदी ने साम्राज्यवादी नीति के तहत मेवाड़ पर आक्रमण किया था।

खातौली का युद्ध – 1517 ई.

स्थान –बूँदी।

खातौली वर्तमान में कोटा में है।

इस युद्ध में राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को पराजित किया।

-खातौली की पराजय का बदला लेने के लिए इब्राहिम लोदी ने मेवाड़ पर दुसरी बार आक्रमण किया।

बाड़ी का युद्ध 1518-1519 ई.

स्थान –धौलपुर

इस युद्ध में भी राणा सांगा ने इब्राहिम को दूसरी बार पराजित किया।

 




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