मेवाड़ का इतिहास – 21
- चितौडगढ़ दुर्ग विजय के पश्चात अकबर ने मेवाड़ के अधीन रणथम्भौर दुर्ग पर आक्रमण किया।
- इस समय रणथम्भौर दुर्ग का किलेदार सुर्जनसिंह हाडा थे जिन्होनें भगवतंदास के कहने पर अकबर की अधीनता स्वीकार की।
- अकबर ने 1569 ई. में रणथम्भौर दुर्ग को अपने अधीन कर यहाँ का प्रशासक मिहत्तर खाँ को नियुक्त किया।
- 28 फरवरी, 1572 ई. को उदयसिंह की गोगुन्दा में मृत्यु (होली के दिन) हो गई।
- उदयसिंह की पत्नी रानी महियाणी/धीरबाई ने अपने पुत्र जगमाल को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
- जयंता बाई (उदयसिंह की पत्नी) का पुत्र कीका/कुका (प्रताप) अपने नाना अखेराज सोनगरा (पाली) की सहायता से मेवाड़ का शासक बना।
महाराणा प्रताप (1572 ई.- 1597 ई.)
- जन्म-9 मई 1540 कुम्भलगढ़ दुर्ग के बादल महल की जुनी कचहरी (विक्रम संवत 1597 ज्येष्ठ शुक्ल 3) में हुआ।
- प्रताप जयंती- ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया को।
- राज्याभिषेक- 28 फरवरी 1572 को, गोगुन्दा सलुम्बर के कृष्णदास चूण्डावत ने प्रताप के राजकीय तलवार बांधी।
- राज्याभिषेक समारोह- कुम्भलगढ़ दुर्ग में मनाया।
- माता- जयवंता बाई
- पिता- उदयसिंह
- पत्नी- अजबदे (रामरख पंवार की पुत्री)
- बचपन को नाम- कीका
- घोड़ा – चेतक
- हाथी- रामप्रसाद व लूणा
उपनाम-
- हल्दी घाटी का शेर, मेवाड़ केसरी, हिन्दुआ सुरज, पाथल, कीका।
- अकबर सुलह- ए-कूल की नीति के तहत प्रताप को अपने अधीन करना चाहता था।
- अकबर ने प्रताप को समझाने के लिए 4 शिष्टमण्डल भेजे-
- जलाल खाँ कोरची- सितम्बर 1572 ई.
- मानसिंह- अप्रैल-1573 ई.
- भगवंतदास- सितम्बर-1573 ई.
- टोडरमल- दिसम्बर 1573 ई.
- अकबर ने महाराणा प्रताप पर आक्रमण करने हेतु योजना अकबर के किले (अजमेर) में बनाई।
- इस योजना के तहत अकबर ने सेनाध्यक्ष/ प्रधान सेनापति मानसिंह को बनाया।
- अकबर की सेना अजमेर से माण्डलगढ़ (भीलवाड़ा) पहुँची तथा वहाँ पर 18-21 दिन तक सैन्य प्रशिक्षण लिया।
- हल्दीघाटी युद्ध से पूर्व अकबर की सेना ने अपना अंतिम पड़ाव मोलेला गाँव (राजसमंद) में डाला।
- मुगल सेना के हरावल भाग का नेतृत्व जगन्नाथ कच्छवाह एवं आसफ खाँ ने किया।
- इस युद्ध में मानसिंह (मुगलों) की सेना लगभग 80 हजार थी।
- महाराणा प्रताप ने युद्ध की योजना के दौरान अपने सेना के हरावल भाग का नेतृत्व हाकिम खाँ को सौपा।
- महाराणा प्रताप के पास इस युद्ध में लगभग 20 हजार सेना थी।
- हल्दीघाटी युद्ध से पूर्व प्रताप की सेना का अंतिम पड़ाव लेसिंगा गाँव (राजसमंद) में डाला।