मेवाड़ का इतिहास

 




मेवाड़ का इतिहास – 27

महाराणा जयसिंह (1680-1698 ई.)

  • महाराणा जयसिंह का राज्याभिषेक कुरजगाँव- उदयपुर (राज प्रशस्ति के अनुसार, इस गाँव का नाम कण्डज था) में किया गया।
  • औरंगजेब के पुत्र अकबर द्वितीय को मेवाड़ में शरण देकर मुगल बादशाह घोषित करवा देते है।
  • अकबर द्वितीय का साथ देने हेतु औरंगजेब पर आक्रमण करने के लिए अजमेर रवाना हुए।
  • 1681 ई. में अकबर द्वितीय की सहायता से मुस्लिम सैनिकों को मारते हुए माण्डलगढ़ पर अधिकार किया।
  • मेवाड़ मुगल सन्धि 24 जुन, 1681 मेवाड़ के महाराणा जयसिंह तथा औरंगजेब के प्रतिनिधि मुअज्जम के मध्य यह सन्धि हुई।
  • इस सन्धि के तहत औरंगजेब मेवाड़ से जजिया कर समाप्त करेगा बदले में उसे पुर बदनौर व माण्डल की जांगीरे देनी होंगी।
  • जयसमंद झील – महाराणा जयसिंह ने इस झील का निर्माण उदयपुर में करवाया था।
  • गोमती, रूपारेल, झालवा, बागार नदियों को रोककर इस झील का निर्माण करवाया गया।




जयसमंद झील की विशेषताएँ

  • मीठे पानी की सबसे बड़ी कृत्रिम झील
  • इस झील में कुल 7 टापू हैं।
  • इन टापुओं पर मीणा/भील लोग निवास करते है।
  • इस झील पर स्थित छोटा टापू प्यारी कहलाता है।
  • इस झील पर स्थित बड़ा टापू बाबा का मांगरा कहलाता है।
  • इस झील से श्यामनहर तथा नाट नहर नामक दो नहरें निकाली गई है।




महाराणा अमरसिंह द्वितीय (1698-1710 ई.)

  • महाराणा अमरसिंह ने वागड़ व प्रतापगढ़ को जीतकर मुगलों से स्वतंत्र करवाया तथा मेवाड़ रियासत में विलय किया।
  • इन्होंने उदयपुर में शिव प्रसन्न बाड़ी महल का निर्माण करवाया।
  • अमरसिंह द्वितीय जागीरदारों व सांमतों के नियम बनाकर मेवाड़ का सर्वोच्च प्रबधंक कहलाये।

इनके द्वारा सांमतों की दो श्रेणियाँ निर्धारित की गई।

(i) 16 श्रेणी – प्रथम श्रेणी के सांमत

(ii) 32 श्रेणी- द्वितीय श्रेणी के सांमत

  • अमरशाही पगड़ी अमरसिंह द्वितीय के शासनकाल में प्रारंभ हुई।
  • अमरसिंह द्वितीय के शासनकाल में देबारी समझौता हुआ।




देबारी समझौता – 1708 ई.

स्थान- उदयपुर

– यह समझौता आमेर, मेवाड़ तथा मारवाड़ रियासतों के मध्य हुआ।

– इस समझौते के तहत अमरसिंह द्वितीय ने अपनी पुत्री चन्द्रकुँवरी का विवाह सशर्त आमेर शासक सवाई जयसिंह के साथ किया।

– तीनों राजा मिलकर पुन: राजगद्दी को प्राप्त करेंगे।

महाराणा संग्रामसिंह (1710-1734 ई.)

  • महाराणा संग्रामसिंह द्वितीय का राज्याभिषेक 26 अप्रैल, 1710 में हुआ। इनके राज्याभिषेक समारोह में जयपुर शासक सवाई जयसिंह शामिल हुए।
  • इनके द्वारा नाहर मगरी महलों तथा सहेलियों की बाड़ी का निर्माण करवाया गया।
  • उदयपुर के राजमहलों में चीनी मिट्टी से भित्ति चित्रण करवाया गया।
  • करणीदान कविया के काव्य ग्रंथों से प्रसन्न होकर संग्राम सिंह द्वितीय ने लाख दसाव दिया।
  • महाराणा संग्राम सिंह ने सीसरामा गाँव उदयपुर वैद्यनाथ मंदिर एवं वैद्यनाथ प्रशस्ति का निर्माण करवाया।
  • दुर्गादास राठौड़ को अजीतसिंह द्वारा देश निकाला देने पर संग्राम सिंह ने दुर्गादास को विजयपुर की जागीर एवं रामपुरा के हाकिम नियुक्त किया।




  • मराठाओं के आंतक से बचने हेतु सवाई जयसिंह के सहयोग से राजपूत राजाओं को संगठित करने के उद्देश्य से भीलवाड़ा में हुरड़ा नामक स्थान पर 17 जुलाई, 1734 को एक सम्मेलन तय हुआ। लेकन 11 जनवरी, 1734 को संग्रामसिंह द्वितीय की मृत्यु हो गई।
  • कर्नल जेम्स टॉड- बप्पा रावल की गद्दी का गौरव बचाने वाला मेवाड़ का अंतिम शासक संग्राम सिंह द्वितीय था।

महाराणा जगतसिंह- द्वितीय

  • इनके द्वारा पिछोला झील स्थित जलमहलों का निर्माण पूर्ण करवाया गया।
  • इनके आश्रित कवि नेकाराम ने जगत प्रकाश नामक ग्रंथ की रचना की।
  • इन्हें कर्नल जेम्स टॉड ने ऐशो-आराम वाला शासक कहा।
  • मेवाड़ में सर्वप्रथम मराठाओं का प्रवेश जगतसिंह द्वितीय के काल में हुआ।




हुरड़ा सम्मेलन

17 जुलाई, 1734 ई.  स्थान – भीलवाड़ा

तय अध्यक्ष – संग्राम सिंह द्वितीय (मृत्यु)

अध्यक्षता की गई- जगत सिंह द्वितीय द्वारा

  • इस सम्मेलन का प्रस्तावक (आयोजक) सवाई जयसिंह था।
  • इस सम्मेलन का उद्देश्य – मराठाओं के विरुद्ध राजपूताना के शासकों को संगठित करना।
  • परिणाम- आपसी मतभेदों के कारण सम्मेलन असफल रहा।
  • इस सम्मेलन में शामिल होने वाले शासक

आमेर- सवाई जयसिंह

जोधपुर – अभय सिंह

बीकानेर –  जोरावर सिंह

नागौर – बख्त सिंह

करौली – गोपालदास

किशनगढ़ – राजसिंह

कोटा – दुर्जनशाल

बूँदी – दलेसिंह हाड़

 




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